HINDI BLOG : December 2023

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

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Tuesday, 5 December 2023

श्रीराम की बाल - लीला सप्रसंग व्याख्या

श्रीराम की बाल - लीला


सप्रसंग व्याख्या


1. कबहूँ ससि -------- । 

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्य पुस्तक 'सुनहरी धूप' भाग - 8' के पाठ-9 श्री राम की बाल -लीला से उद्धृत की गई हैं। इनके रचियता  कवि शिरोमणि तुलसीदास जी हैं। तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं।  प्रस्तुत पद्‌यांश में तुलसीदास जी ने श्रीराम के  बाल रूप और महाराज दशरथ के अन्य पुत्त्रों के बाल रूप का  मनोहरी वर्णन किया गया है। 


भावार्थ/व्याख्या : कवि तुलसीदास जी कहते हैं कि कभी चंद्रमा को माँगने की ज़िद (हठ) करते हैं, तो कभी अपनी परछाई देखकर डरते हैं, कभी हाथ से ताली बजा - बजाकर नाचते हैं, जिससे सब माताओं के हृदय आनंद से भर जाते हैं। कभी - कभी हठपूर्वक कुछ कहते (माँगते) हैं और जिस वस्तु के लिए हठ करते हैं  या अड़ते हैं, उसे लेकर ही मानते हैं।  अयोध्यापति महाराज के वे चरों बालक तुलसीदास के मन रूपी मंदिर में सदैव विहार करते हैं। 

भाव - तुलसीदास जी श्रीराम और उनके भाइयों की बाल -लीला देखकर उन्हें अपने मन-मंदिर में सदैव के लिए बिठा लेते हैं। 



2. बर दंत—----------------------------  बोलन की। 

भावार्थ : कवि तुलसीदास राम के बाल रूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि कमल के समान उज्जवल दाँतों की पंक्ति, होठों का खोलना और मुक्त - मालाओं की छवि ऐसी जान पड़ती हैं मानों काले व रंग के बादलों के भीतर चमक रही हो। मुख पर घुँघराली लटें लटक रही हैं। कवि तुलसी जी ऐसा मनोहर रूप देखकर कहते हैं कि लल्ला मैं कुंडलों (लटों) की झलक से सुशोभित तुम्हारे कपोलों (गालों) और इन अमोल बोलों (बातों) पर अपने प्राण न्योछावर करता हूँ।



3. पग नूपुर -------कौन जिए । 

भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के पैरों में नूपुर घुँघरू हैं, उनके कमल रूपी हाथों में आभूषण हैं तथा गले में मोतियों की माला सुशोभित है । उन्होंने नवीन नीले कमल के समान शरीर पर पीले वस्त्र पहने हुए हैं । राजा दशरथ उन्हें गोद में लिए हुए हर्ष से रोमांचित हो रहे हैं । महाराज दशरथ के नेत्र रूपी भौंरे राम के मुख्य रूपी कमल के रूप-रूपी पराग( रस) को पीकर आनंदित हो रहे हैं अर्थात दशरथ श्री राम की सुंदरता को देखकर मंत्रमुग्ध  हो रहे हैं । तुलसीदास जी कहते हैं कि यदि ऐसा बाल रूप मन में नहीं बस तो संसार में जीवित रहने का कोई लाभ नहीं है।



4. तनकी दुति —-------------- में बिहरैं।।

भावार्थ :  तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम के शरीर की कांति चमक नील कमल के समान है। उनके नेत्र कमल की सुंदरता को मात देने वाले हैं । धूल से लिपटे हुए राम के सुंदर शरीर की शोभा कामदेव की अत्यधिक सुंदरता को भी एक कोने में कर देती है अर्थात श्री राम का बाल रूप अत्यंत मनमोहक है । छोटे-छोटे दाँतों की कांति बिजली के समान उस समय चमकती है, जब वह सुंदर बालक बाल विनोद में किलकारी मारते हैं । तुलसीदास जी कहते हैं कि महाराज दशरथ के चारों बालक तुलसी के मन रूपी मंदिर में सदा विहार करें अर्थात सदा उनके मन में बसे रहें।