HINDI BLOG : कहानी - सही उत्तर

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Thursday, 30 May 2024

कहानी - सही उत्तर


सही उत्तर

राजा भोज बड़े उदार और कुशल शासक थे। अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए वे अकसर वेश बदलकर घूमा करते थे। उनके दरबार में महाकवि कालिदास का बड़ा सम्मान था। कालिदास महाकवि होने के साथ-साथ अत्यंत बुद्धिमान व व्यवहार कुशल भी थे।

एक दिन राजा भोज वेश बदलकर कालिदास के साथ प्रजा का कुशल-क्षेम जानने के लिए नगर में घूम रहे थे। बातों-बातों में राजा भोज ने कालिदास से पूछा, "महाकवि बताओ, खाता कौन है?" प्रश्न बड़ा अटपटा-सा था। कालिदास कुछ सोच में पड़ गए। राजा भोज ने हँसते हुए कहा, "क्यों, पड़ गए न सोच में!" कालिदास बोले, "राजन, बिना सोचे समझे उत्तर देने वाला मूर्ख होता है।"

"प्रश्न तो बड़ा सीधा-सा है महाकवि। ऐसे प्रश्नों के उत्तर के लिए बुद्धिमानों को विचार नहीं करना पड़ता।" राजा ने कहा।

"तो आप ही इसका उत्तर देने की कृपा करें", कालिदास बोले।

"अच्छा ठीक है। सीधे से प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है कि भूखा ही खाता है" राजा भोज उत्तर दिया। "गलत" कालिदास ने कहा। ने

राजा भोज बोले, "प्रमाणित कीजिए।"

"अवश्य। कल मैं अपनी बात प्रमाणित करूंगा," कालिदास ने उत्तर दिया।

अगले दिन कालिदास के कहे अनुसार राजा भोज ने पंडित का और कालिदास ने उनके शिष्य का वेश धारण किया। कालिदास ने राजा से कहा, "राजन ध्यान रखिएगा कि आपको कुछ नहीं बोलना है, जो बोलना है, मैं बोलूँगा। बस आप मेरे साथ चलते रहिएगा।"

राजा भोज ने कहा, "ठीक है।"

दोनों चल दिए। चलते-चलते दोपहर हो गई। दोनों को ज़ोरों से भूख लग रही थी। सामने ही उन्हें एक बड़ी हवेली दिखाई दी। दोनों ने सोचा कि हमने ब्राह्मण वेश धारण किया हुआ है अतः हवेली के द्वार पर भोजन मिल ही जाएगा। वे दोनों हवेली के द्वार पर जा पहुँचे। सेठ का मुनीम वहीं खड़ा था। उसने पूछा, "आप कौन हैं? आपको क्या चाहिए?" कालिदास कटु स्वर में बोले, "मूर्ख, देखते नहीं हो हम कौन हैं? तुम बताओ, तुम कौन हो?" मुनीम को बड़ा क्रोध आया और वह भुनभुनाता हुआ भीतर चला गया। राजा भोज चकित से कालिदास का मुँह देखने लगे।

तभी सेठ की दासी बाहर आई। उन्हें देखकर उसने भी पूछा, "आप लोग कौन हैं?" कालिदास फिर बोले, "आँखें होते हुए भी तुम्हें नहीं दिखाई देता कि हम कौन हैं। दोपहर का समय है, हम भूखे हैं।" दासी को भी क्रोध आ गया। गुस्से से बोली, "भूखे हैं तो मैं क्या करूँ।" यह कहकर वह अंदर चली गई।

तभी सेठ और सेठानी मंदिर से पूजा करके लौटे। द्वार पर दो जनों को खड़ा देखकर सेठ पूछा, "कौन हैं आप लोग ? क्या कुछ दान चाहिए?" कालिदास चिढ़कर बोले, "क्या कहा-दान लगता है इस हवेली में रहने वाले सभी मूर्ख हैं। हमें देखकर भी नहीं पहचानते। हम पंडित हैं। हमारे साथ ये हमारे गुरु हैं। हम भूखे हैं, इसलिए यहाँ आए हैं।" अपने लिए मूर्ख शब्द सुनकर सेठ गुस्सा आ गया। उसने चिल्लाकर दरबान से कहा, "इन पंडितों को धक्के देकर बाहर निकाल दो।"

यह सुनते ही दोनों वहाँ से भाग खड़े हुए। कुछ दूर जाकर राजा बोले, "महाकवि, यह नाटक है?"

"नाटक नहीं महाराज, यह आपके उत्तर को गलत सिद्ध करने का प्रमाण था। समझे आप?" कालिदास ने कहा। "अब मैं आपको आपके प्रश्न का सही उत्तर दूँगा।"

कुछ महीने बाद कालिदास और राजा ने फिर से पंडित का वेश धारण किया और उसी हवेली के सामने जा पहुँचे। राजा भोज तो डर रहे थे कि कहीं मार न खानी पड़े पर का "देखते रहिए राजन। आज मैं आपको बढ़िया भोजन खिलवाऊँगा। बस आप कुछ न बोलिएगा।" तभी हवेली में से वही दासी बाहर आई। कालिदास बोले, "धन्य हो, धन्य हो । बड़ी सौभाग्यवती हो बहन। तभी सेठानी भी आ पहुँची। कालिदास उसे देखते ही बोल उठे, "धन्य हो माँ। साक्षात सीता मैया का रूप हो देवी।" संयोग से सेठ और उनका मुनीम भी उसी समय बाहर से हवेली सीता मैया का उस्होंने पूछा, "क्या बात है ? कौन हैं ये लोग ? " कालिदास तुरंत बोल उठे, "धन्य है सेठ जी। मस्तक पर क्या तेज है! आपका सूर्य चमक रहा है। सब मंगल ही मंगल है।" कालिदास की बात सुनकर सेठ बड़ा प्रसन्न हुआ। कालिदास आगे कहने लगे, "आप तो दाता के दाता दानवीर कर्ण हैं। ईश्वर आपका भला करे। हम चलते हैं। भोजन का समय हो गया है।"

सेठ आगे बढ़कर बोला, "नहीं पंडित जी, आप ऐसे नहीं जाएँगे। आज हवेली में भोजन करके ही जाइएगा।" फिर मुनीम से कहा, "मुनीम जी, इनके लिए भोजन की व्यवस्था कीजिए।" आदर के साथ दोनों को आसन पर बिठाकर भोजन परोसा गया।

दोनों ने छककर स्वादिष्ट भोजन किया और दान-दक्षिणा लेकर लौटे।

कुछ आगे चलकर कालिदास ने कहा, "कहिए राजन कैसी रही? यह था आपके प्रश्न का सही उत्तर। भूखा नहीं खाता बल्कि जो पाता है वही खाता है।" राजा भोज कालिदास के कंधे पर हाथ रखकर मुसकराने लगे।




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