HINDI BLOG : class 12 विष्णु खरे

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Sunday, 9 April 2023

class 12 विष्णु खरे

विष्णु खरे

(क) एक कम

1. 1947 के बाद से
इतने लोगों को इतने तरीकों से आत्मनिर्भर 
मालामाल और गतिशील होते देखा है
    कि अब जब आगे कोई हाथ फैलाता है
    पच्चीस पैसे एक चाय या दो रोटी के लिए मेरे सामने एक ईमानदार आदमी औरत या बच्चा खड़ा है
   तो जान लेता हूँ
   मेरे सामने एक ईमानदार आदमी, औरत या बच्चा खड़ा है 
   मानता हुआ कि हाँ मैं लाचार हूँ कंगाल या कोढ़ी 
  या मैं भला-चंगा हूँ और कामचोर और
  एक मामूली धोखेबाज़ 
  लेकिन पूरी तरह तुम्हारे संकोच लज्जा परेशानी या गुस्से पर आश्रित
  तुम्हारे सामने बिलकुल नंगा निर्लज्ज और निराकांक्षी 
  मैंने अपने को हटा लिया है हर होड़ से
  मैं तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंद्वी या हिस्सेदार नहीं
  मुझे कुछ देकर या न देकर भी तुम
  कम से कम एक आदमी से तो निश्चित रह सकते हो। 
1. यह काव्यांश किस कविता से अवतरित है ?
  (क) एक कम  
  (ख) सत्य
  (ग) 1947 के बाद
  (घ) लोग
उत्तर: (क) एक कम  
2. 1947 के बाद कवि ने लोगों को क्या होते देखा ?
(क) आत्मनिर्भर
(ख) मालामाल
(ग) गतिशील
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी
13. पच्चीस पैसे के लिए हाथ फैलाने वाले व्यक्ति के बारे में कवि क्या जान लेता है ?
(क) वह ईमानदार है। 
(ख) वह बेईमानी है। 
(ग) वह भिखारी है।
(घ) वह कामचोर है
उत्तर : (क) वह ईमानदार है। 
4. हाथ फैलानेवाला को कैसा मानता है ?
(क) लाचार
(ख) कंगाल
(ग) कोढ़ी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी
5. भिखारी सामने वाले का क्या नहीं है ? (ख) प्रतिद्वंद्वी
(क) विरोधी
(ख) प्रतिद्वंद्वी
(ग) हिस्सेदार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर : (घ) उपर्युक्त सभी



(ख) सत्य 

1. हम कह नहीं सकते
   न  तो हममें कोई स्फुरण हुआ और न ही कोई ज्वर
   किंतु शेष सारे जीवन हम सोचते रह जाते हैं 
   कैसे जानें कि सत्य का वह प्रतिबिंब हममें समाया या नहीं
   हमारी आत्मा में जो कभी-कभी दमक उठता है
   क्या वह उसी की छुअन है
   जैसे
   विदुर कहना चाहते तो वहीं बता सकते थे 
   सोचा होगा माथे के साथ अपना मुकुट नीचा किए
   युधिष्ठिर ने 
   खांडवप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ लौटते हुए।
1. यह काव्याश किस कविता से अवतरित है ?
(क) सत्य
(ख) बनारस
(ग) युधिष्ठिर
(घ) एक कम
उत्तर: (क) सत्य
2. इस कविता के रचयिता कौन है ?
(क) विष्णु खरे 
(ख) प्रीति खरे
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर: (क) विष्णु खरे 
3. सत्य की क्या अनुभूति हुई ?
(क) वह आया
(ख) कँपकँपी  हुई
(ग) ज्वर हुआ
(घ) कुछ नहीं
उत्तर: (घ) कुछ नहीं
4. 'कभी-कभी' में किस अलंकार का प्रयोग है ?
(क) दृष्टांत 
(ख) पुनरुक्ति
(ग) अनुप्रास
(घ) यमक
उत्तर: (ख) पुनरुक्ति
5. इस काव्यांश की भाषा क्या है ?
(क) खड़ी बोली
(ख) ब्रज 
(ग) अवधी
(घ) भोजपुरी
उत्तर:  (क) खड़ी बोली

2. जैसे शमी वृक्ष के तने से टिककर
     न पहचानने में पहचानते हुए विदुर ने धर्मराज को 
     निर्निमेष देखा था अंतिम बार
    और उनमें से उनका आलोक धीरे-धीरे आगे बढ़कर
    मिल गया था युधिष्ठिर में 
    सिर झुकाए निराश लौटते हैं हम
    कि सत्य अंत तक हमसे कुछ नहीं बोला
   हाँ हमने उसके आकार से निकलता वह प्रकाश-पुंज देखा था
   हम तक आता हुआ
  वह हममें विलीन हुआ या हमसे होता हुआ आगे बढ़ गया।
1. यह काव्यांश किस कविता से अवतरित है ?
   (क) सत्य 
   (ख) तोड़ो
   (ग) वसंत आया
   (घ) शमी वृक्ष
उत्तर:   (क) सत्य 
2. शमी वृक्ष के तने से कौन टिका था ?
  (क) युधिष्ठिर 
  (ख) विदुर
   (ग) अर्जुन
   (घ) भीम
उत्तर :   (ख) विदुर
3. आलोक किसमें मिल गया ?
    (क) युधिष्ठिर में 
    (ख) विदुर में
    (ग) वृक्ष में
    (घ) तने में
उत्तर:  (क) युधिष्ठिर में 
4. हम किस अवस्था में लौटते हैं ?
    (क) निराशावस्था में
    (ख) सिर झुकाए
    (ग) (क)- (ख) दोनों
    (घ) सामान्य
उत्तर:   (ग) (क)- (ख) दोनों
5. 'धीरे-धीरे' में कौन-सा अलंकार है ?
(क) पुनरुक्ति प्रकाश 
(ख) यमक 
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर: (क) पुनरुक्ति प्रकाश 




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