HINDI BLOG : June 2022

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Sunday, 19 June 2022

अनुनासिक पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) उगँली
(ii) उँगली
(iii) मँगल
(iv) जॅंगल
उत्तर- (ii) उँगली
प्रश्न 2 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग हुआ है -
(i) साँतवा
(ii) ध्वनिंया
(iii) सातवाँ
(iv) अँश
 उत्तर- (iii) सातवाँ
प्रश्न 3 - 'नांद ' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i)  नांद 
(ii) नाँद
(iii) नादं
(iv) नँद
 उत्तर- (ii) नाँद
प्रश्न 4 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) लंगड़ा
(ii) लगंड़ा
(iii) लंगंडा
(iv) लँगड़ा
 उत्तर- (iv) लँगड़ा
प्रश्न 5 - 'फूंकना' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) फूंकना
(ii) फूँकना
(iii) फूकँना
(iv) फूकनाँ
 उत्तर- (ii) फूँकना
प्रश्न 6 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) धुआँ
(ii) धुँआँ
(iii) धुँआ
(iv) धुआं
 उत्तर- (i) धुआँ
प्रश्न 7 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग हुआ है -
(i) गँगा
(ii) अँग
(iii) बाँसुरी
(iv) आँश
 उत्तर- (iii) बाँसुरी
प्रश्न 8 - 'हसमुख' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) हंसमुख
(ii) हँसमुख            
(iii) हसँमुख
(iv) हसमुँख
 उत्तर- (ii) हँसमुख 
प्रश्न 9 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) नादँ
(ii) गवाँर
(iii) अगुँली
(iv) सँवारना
 उत्तर- (iv) सँवारना
प्रश्न 10 - 'मुह' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) मुंह
(ii) मुँह
(iii) मुहँ
(iv) मुहं
 उत्तर- (ii) मुँह
प्रश्न 11 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) किँतु
(ii) रँगीला
(iii) हिँसा
(iv) नीँद
उत्तर- (ii) रँगीला
प्रश्न 12- निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) पूँछिए
(ii) सँभव
(iii) माँसपेशियाँ
(iv) लिखींए
उत्तर- (iii) माँसपेशियाँ
प्रश्न 13- 'पूंजीपति' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) पूँजीपति
(ii) पूंजीपति
(iii) पूंजीपतिं
(iv) पूजींपति
उत्तर- (i) पूँजीपति
 प्रश्न 14- निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) गाँव
(ii) हिँसा
(iii) उत्तराँचल
(iv) प्रारँभ
उत्तर- (i) गाँव
प्रश्न 15 - 'महगाई' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) महंगाई
(ii) मँहगाई
(iii) महगाँई
(iv) महँगाई
उत्तर- (ii) मँहगाई
प्रश्न 16 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) मँत्र
(ii) दिनाँक
(iii) साँप
(iv) सँभव
उत्तर- (iii) साँप
प्रश्न 17 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) वाद्य यँत्र
(ii) पाँचवाँ
(iii) पांचवाँ
(iv) चँद्रशेखर
उत्तर- (ii) पाँचवाँ
प्रश्न 18 - 'ऊचाई' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) ऊंचाई
(ii) ऊँचाई
(iii) ऊचाँई
(iv) ऊंचाईँ
उत्तर- (ii) ऊँचाई
 प्रश्न 19 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) प्रसंन
(ii) आशँका 
(iii) प्रसँग
(iv) प्रतिज्ञाएँ
उत्तर- (iv) प्रतिज्ञाएँ
प्रश्न 20- 'खुशियां' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) खुशियाँ
(ii) खुशियां
(iii) खुशिंयां
(iv) खुशिंयाँ
उत्तर- (iv) प्रतिज्ञाएँ
प्रश्न 21 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) सँग्राम
(ii) प्रतिज्ञाँए
(iii) आँख
(iv) गँध
उत्तर- (iii) आँख
प्रश्न 22 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) कँपन
(ii) ऊँट
(iii) पतँग
(iv) दिनाँक
उत्तर- (ii) ऊँट
 प्रश्न 23 - 'हंसना' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) हंसना
(ii) हसँना
(iii) हँसना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (iii) हँसना
प्रश्न 24 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) चँचल
(ii) कुआँ
(iii) परँतु
(iv) सुँदर
उत्तर- (iv) सुँदर
प्रश्न 25 - 'अंधेरा' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) अँधेरा
(ii) अंधेरा
(iii) अधेँरा
(iv) अधेराँ
उत्तर- (i) अँधेरा
प्रश्न 26 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) धुँधला
(ii) शंख
(iii) गांव
(iv) शँख
उत्तर- (i) अँधेरा
प्रश्न 27 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) वाड्.मय
(ii) रँग
(iii) चाँद
(iv) रंग
उत्तर- (iii) चाँद
प्रश्न 28 - 'बाधकर' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) बाँधकर
(ii) बांधकर
(iii) बँधकर
(iv) इनमें से कोई नहीं
 उत्तर- (i) बाँधकर
 प्रश्न 29 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) गँगा
(ii) बंदर
(iii) अगूँर
(iv) टाँग
उत्तर- (iv) टाँग
 प्रश्न 30 - 'सास' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) सास
(ii) सासँ
(iii) साँस
(iv) इनमें से कोई नहीं
 उत्तर- (iii) साँस
प्रश्न 31 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) सँत
(ii) पतँग
(iii) अँत
(iv) काँप
 उत्तर- (iv) काँप
प्रश्न 32 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) जाऊँगा
(ii) प्रयंत्न
(iii) मँगल
(iv) घँटो
उत्तर- (i) जाऊँगा
प्रश्न 33 - 'बूँदा-बांदी' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) बूंदा-बांदी
(ii) बूँदा-बांदी
(iii) बूनदा-बानदी
(iv) बूँदा-बाँदी
उत्तर-  (ii) बूँदा-बांदी
प्रश्न 34 - निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) पतँग
(ii) मियाँ
(iii) डँडा
(iv) पँकज
 उत्तर- (ii) मियाँ
प्रश्न 35 - 'संभाले' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) संभाले
(ii) सँभाले
(iii) सभाँले
(iv) सभाले
उत्तर- (ii) सँभाले
प्रश्न 36 - निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुनासिक का प्रयोग कीजिए -
(i) रोएँ
(ii) दंपत्ति
(iii) अँत
(iv) सँपत्ति
उत्तर- (i) रोएँ
 प्रश्न 37 - निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुनासिक का प्रयोग होता है -
(i) हिंदी
(ii) पँजाब
(iii) बँगला
(iv) पूँछ
उत्तर- (iv) पूँछ
 प्रश्न 38 - 'चांदनी' में उचित स्थान पर अनुनासिक लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) चांदनी
(ii) चाँदनी
(iii) चादँनी
(iv) चादनीँ
 उत्तर- (ii) चाँदनी

Wednesday, 1 June 2022

Idioms in Hindi HARIHAR KAKA /SANCHYAN Class 10

हरिहर काका ------ मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. घमाचौकड़ी मचाना- शोर मचाना । 
वाक्य- संतरों के बगीचे में बच्चों ने धमाचौकड़ी मचाकर माली को नींद से जगा दिया। 
2. दिल पसीजना - दया आना। 
वाक्य- निर्धनों की दयनीय स्थिति देखकर मेरा दिल पसीज गया।
3. जी-जान से जुटना - कठोर मेहनत करना। 
वाक्य- बोर्ड परीक्षा के लिए सभी छात्र-छात्राएँ जी-जान से जुट गए हैं। 
4. तितर-बितर होना - बिखर जाना। 
वाक्य- पुलिस के लाठी चार्ज करते ही भीड़ तितर-बितर हो गई।
5. हाय-पाँव हिलाना- कोशिश करना। 
वाक्य- बच्चे तरणताल में कूदते ही हाथ-पाँव हिलाने शुरू कर देते हैं। 
6. हरफनमौला होना - हर कला में माहिर। 
वाक्य- आज की युवा पीढ़ी हरफनमौला होना चाहती है। 
7. दिल मसोसकर रह जाना - विवश होकर रह जाना। 
वाक्य- आज कई माता-पिता अपने बच्चों की मनमानी देखकर दिल मसोसकर रह जाते हैं। 
8. मुँह लटकाना - उदास होना। 
वाक्य- परिस्थितियों को देखकर मुँह लटकाने की बजाय मनुष्य को उनका सामना करना चाहिए। 
9. लगती बातें कहना- कड़वी बातें बोलना। 
वाक्य- हमें सदा किसी के लिए भी लगती बातें कहने से बचना चाहिए। 
10. साये से भागना- घबराना / दूर रहना। 
वाक्य- दुष्टों के तो साये से भी भागना चाहिए। 
11. दिली हमदर्दी होना - दिल से आत्मीयता होना। 
वाक्य- मुझे अनाथों के लिए दिली हमदर्दी है, तभी तो उनसे मिलने उनके पास जाती हूँ। 
12. पाँव पसारना- फैलाव बढ़ाना। 
वाक्य- आजकल हमारे देश में पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव बड़ी ही तेज़ी से पाँव पसार रहा है। 
13. सिर फिर जाना - बुद्धि ठिकाने न रहना। 
वाक्य- अचानक धन आ जाने से हमारे पड़ोसियों का तो सिर ही फिर गया है। 
14. पहाड़ के समान- अत्यंत मुश्किल। 
वाक्य- गणित का गृहकार्य करना मुझे पहाड़ के समान प्रतीत होता है। 
15. तलवार खींच लेना - लड़ने के लिए तैयार होना। 
वाक्य- विजय का स्वभाव इतना खराब है कि वह बात-बात पर तलवार खींच लेता है। 16. आँखें भर आना - बहुत दुख होना। 
वाक्य- इतने कठिन परिश्रम के बाद भी जब मेरे भाई को मेडिकल में प्रवेश न मिला, तो मेरी आँखें भर आई। 
17. खून खौलना - बहुत क्रोध आना। 
वाक्य- जब भी मैं सोचता हूँ कि पड़ोस के नंदलाल ने मेरी माँ के साथ कैसा व्यवहार किया था , तो मेरा खून खौलने लगता है। 
18. गिद्ध दृष्टि रखना - बुरी दृष्टि रखना। 
वाक्य- सारे रिश्तेदार तुम्हारी संपत्ति पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठे हैं, इनसे सावधान रहना। 19. तू-तू मैं-मैं होना - आपस में कहा-सुनी होना। 
वाक्य- कल रमेश और उसकी पत्नी के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई। 
20. तूती बोलना - बोलवाला होना, अत्यधिक प्रभाव होना। 
वाक्य- आजकल सारी दुनिया में अमेरिका की तूती बोल रही है। 
21. दूध की मक्खी- व्यर्थ की वस्तु। 
वाक्य- पहले तो उसने मेरी मदद ली और जब काम चल पड़ा, तो मुझे दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंका। 
22. फरार होना - धोखा देकर भाग जाना। 
वाक्य- कल रात जेल से चार कैदी फरार हो गए। 
23 . फूटी आँख न सुहाना - तनिक भी अच्छा न लगना। 
वाक्य- झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते। 
24 . रंगे हाथ पकड़े जाना - अपराध करते समय पकड़े जाना। 
वाक्य- सी.आई.डी. ने बैंक के मैनेजर को रंगे हाथ पकड़ा है, वचने का तो प्रश्न ही नहीं है। 
25. मुँह खोलना- रहस्योद्घाटन करना। 
वाक्य- अगर मैंने अध्यापक के सामने मुँह खोल दिया, तो सबको सज़ा मिलेगी।


कहानी परीक्षा---लेखक मुंशी प्रेमचंद

 जब रियासत देवगढ़ के दीवान सुजानसिंह बूढ़े हुए, तो उन्हें परमात्मा की याद आई । जाकर महाराज से उन्होंने विनय की- "दीन दास ने श्रीमान् की सेवा चालीस साल तक की। अब कुछ दिन परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहता हूँ । दूसरे, अब अवस्था भी ढल गई।  राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रह गई, कहीं भूल-चूक हो जाए, तो बुढ़ापे में दाग लगे, सारी जिंदगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाए ।" 
राजा साहब अपने अनुभवशील और नीति-कुशल दीवान का बड़ा आदर करते थे। उन्होंने बहुत समझाया, लेकिन जब दीवान साहब न माने तो हारकर उन्होंने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली, पर शर्त यह लगा दी कि रियासत के लिए नया दीवान उन्हीं को खोजना पड़ेगा। 
दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध समाचार पत्रों में यह विज्ञापन निकला- "देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की आवश्यकता है । जो सज्जन अपने को इसके योग्य समझें, वे वर्तमान दीवान सरदार सुजानसिंह की सेवा में उपस्थित हों। यह जरूरी नहीं कि वे ग्रेजुएट हों, मगर उनका हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है। मंदाग्नि के मरीजों को यहाँ तक आकर कष्ट उठाने की कोई जरूरत नहीं । एक महीने तक उम्मीदवारों के रहन-सहन, आचार-विचार की परख की जाएगी ; विद्या कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा। जो महाशय इस परीक्षा में खरे उतरेंगे, वे ही इस उच्च पद पर सुशोभित होंगे।"
इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में हलचल मचा दी। ऐसा ऊँचा पद और किसी प्रकार की कैद नहीं । केवल नसीब का खेल है। सैकड़ों आदमी अपना-अपना भाग्य परखने के लिए चल पड़े । देवगढ़ में नए-नए  और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला - सा उतरता । कोई पंजाब से चला आ रहा था, तो कोई मद्रास से कोई नए फ्रैशन का प्रेमी था, तो कोई पुरानी सादगी पर मिटता था पंडितों और मौलवियों को भी अपने-अपने भाग्य की परीक्षा करने का अवसर मिला। बेचारे सनद के नाम को रोया करते थे, तो यहाँ उसकी कोई जरूरत नहीं थी। रंगीन तमगे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कटोप देवगढ़ में अपनी सजधज दिखाने लगे, क्योंकि सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका ही रहता है। सरदार सुजानसिंह ने इन महानुभावों के आदर-सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था। लोग अपने-अपने कमरों में बैठे हुए रोजेदार मुसलमानों की तरह महीने के दिन गिना करते थे । हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था। 'मिस्टर' अ' दिन के नौ बजे तक सोया करते थे, लेकिन आजकल वे बगीचे में टहलते हुए उपा का दर्शन करते थे। मिस्टर 'ब' को हुक्का पीने की लत थी, पर आजकल वे बहुत रात गए किवाड़ बंद करके अँधेरे में हुक्का पीते थे। मिस्टर 'स' , 'द' और 'ज' से उनके घरों पर नौकरों की नाक में दम था, लेकिन ये सज्जन आजकल 'आप' और 'जनाब' के बगैर नौकरों से बातचीत नहीं करते थे। महाशय 'क' नास्तिक थे हक्सले के उपासक, मगर आजकल उनकी धर्मनिष्ठा देखकर मंदिर के पुजारी को पदच्युत हो जाने की आशंका लगी रहती। मिस्टर 'ल' को किताबों से घृणा थी, परंतु आजकल बड़े-बड़े धर्मग्रंथ खोले पढ़ने में डूबे रहते थे। जिससे भी बातचीत कीजिए, वही नम्रता और सदाचार का देवता मालूम होता था। शर्माजी बड़ी रात से ही वेद-मंत्र पढ़ने लगते थे और मौलवियों को नमाज़ तलावत के सिवा और कोई काम ही न था। लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो फिर कौन पूछता है ? लेकिन मनुष्यों का वह बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा है ? 
एक दिन नए फैशन वालों को सूझी कि आपस में हॉकी का खेल हो जाए । यह प्रस्ताव हॉकी के मँझे खिलाड़ियों ने पेश किया। यह भी तो आखिर एक विद्या है, इसे क्यों छिपा रखें ? संभव है, कुछ हाथों की सफ़ाई ही काम कर जाए। चलिए तय हो गया, कोर्ट बन गए, खेल शुरू हो गया और गेंद किसी दफ्तर के अपरेटिस की तरह ठोकरें खाने लगी। रियासत देवगढ़ में यह खेल बिल्कुल निराला था। पढ़े-लिखे भलेमानुस तो शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे। दौड़-कूद के खेल तो बच्चों के खेल समझे जाते थे। खेल बड़े उत्साह से जारी था। धावे के लोग जब गेंद लेकर तेज़ी से उठते, तो ऐसा जान पड़ता था कि कोई लहर बढ़ती चली आती है, लेकिन दूसरी ओर के खिलाड़ी इस बढ़ती हुई लहर को इस तरह रोक लेते थे मानो लोहे की दीवार हों। संध्या तक यह धूम-धाम रही। लोग पसीने में तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही। थी हाँफते-हाँफते बेदम हो गए, लेकिन हार-जीत का निर्णय न हो सका। अँधेरा हो गया था। इस मैदान से पर कोई पुल न था। पथिकों को नाले में घुसकर आना पड़ता था। खेल जरा दूर हटकर एक नाला था। अभी बंद हुआ था और खिलाड़ी लोग बैठे दम ले रहे थे कि एक किसान अनाज से भरी हुई गाड़ी लिए उस नाले के पास आया। लेकिन कुछ तो नाले में कीचड़ था और कुछ उसकी चढ़ाई इतनी ऊँची थी कि गाड़ी ऊपर न चढ़ सकती थी। वह कभी बैलों को ललकारता, कभी पहिये को हाथों से ढकेलता, लेकिन बोझ अधिक था और बैल कमजोर। गाड़ी ऊपर को न चढ़ती और चढ़ती भी तो कुछ दूर चढ़कर फिर खिसककर नीचे पहुँच जाती। किसान बार-बार जोर लगाता और बार-बार झँझलाकर बैलों को मारता, लेकिन गाड़ी उभरने का नाम न लेती। बेचारा किसान इधर-उधर निराश होकर ताकता, मगर वहाँ कोई सहायक नज़र न आता था। गाड़ी को अकेले छोड़कर वह कहीं जा भी नहीं सकता था। वह बड़ी विपत्ति में फँसा हुआ था। इसी बीच खिलाड़ी हाथों में डंडे लिए झूमते-झामते उधर से निकले। किसान ने उनकी तरफ़ सहमी हुई आँखों से देखा , परंतु किसी से मदद माँगने का साहस न हुआ। 
खिलाड़ियों ने भी उसको देखा, मगर बंद आँखों से। उनमें सहानुभूति का नाम तक न था ; उनमें स्वार्थ था, मद था, मत्सर था उदासीनता थी, पर वात्सल्य का नाम भी न था। उसी समूह में एक ऐसा मनुष्य भी था, जिसके हृदय में दया थी और साहस था। आज हॉकी खेलते हुए उसके पैरों में चोट लग गई थी। लँगड़ाता हुआ वह धीरे-धीरे चला आ रहा था। अकस्मात् उसकी निगाह गाड़ी पर पड़ी। वह ठिठक गया। उसे किसान को देखते ही सब बात ज्ञात हो गई। उसने हॉकी किनारे पर रख दी, कोट उतारा और किसान के पास जाकर बोला, “मैं तुम्हारी गाड़ी निकलवा दूँ ? "किसान ने देखा कि गठे हुए बदन का एक लंबा आदमी सामने खड़ा है । डरकर बोला , "हुजूर ! आपसे कैसे कहूँ ?" युवक ने कहा, "मालूम होता है, तुम यहाँ बड़ी देर से फँसे हुए हो। अच्छा, तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहिये को ढकेलता हूँ। अभी गाड़ी नाले के ऊपर आ जाती है।" किसान गाड़ी पर जाकर बैठा, युवक ने पहिये को जोर लगाकर खिसकाया। कीचड़ बहुत ज्यादा था। वह घुटने तक ज़मीन में गड़ गया, लेकिन उसने हिम्मत न हारी।
उसने फिर जोर लगाया, उधर किसान ने बैलों को ललकारा, बैलों को सहारा मिला, उनकी भी हिम्मत बँध गई।  उन्होंने कधे झुकाकर एक बार जोर लगाया, बस गाड़ी नाले के ऊपर थी। किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला, “महाराज ! आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात यहीं बैठना पड़ता।" युवक ने हँसकर कहा, "अब मुझे कुछ इनाम देते हो ?" किसान ने गंभीर भाव से कहा, "नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।" युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ- कहीं यह सुजानसिंह तो नहीं ? आवाज मिलती है। चेहरा-मोहरा भी वही है। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद वह उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुसकराकर बोला, " गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।"
निदान महीना पूरा हुआ। चुनाव का दिन आ पहुँचा। उम्मीदवार लोग प्रातःकाल से ही अपनी किस्मत का फ़ैसला सुनने के लिए उत्सुक थे। दिन काटना पहाड़-सा हो गया। प्रत्येक के चेहरे पर आशा और निराशा के रंग आते थे। नहीं मालूम आज किसके नसीब जागेंगे, न जाने किस पर लक्ष्मी की कृपादृष्टि होगी ? संध्या समय राजा साहब का दरबार सजाया गया, शहर के रईस और धनाढ्य लोग, राजा के कर्मचारी और दरबारी तथा दीवानी के उम्मीदवार, सब रंग-बिरंगे सज-धज बनाए दरबार में आ विराजे उम्मीदवारों के कलेजे धड़क रहे थे। तब सरदार सुजानसिंह ने खड़े होकर कहा- "दीवानी के उम्मीदवार महाशयो ! मैंने आप लोगों को जो कुछ कष्ट दिया हो उसके लिए क्षमा कीजिए। मुझे इस पद के लिए एक ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी। जिसके हृदय में दया हो और साथ ही साथ आत्म बल भी। हृदय वही है, जो उदार हो, आत्म-बल वही है, जो विपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और इस रियासत के सौभाग्य से हमको ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुण वाले संसार में कम हैं, जो हैं वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं। उन तक हमारी पहुँच ही नहीं। मैं रियासत को पंडित जानकीनाथ-सा दीवान पाने पर बधाई देता हूँ।"
रियासत के कर्मचारियों और रईसों ने पं ० जानकीनाथ की तरफ देखा और उम्मीदवारों के दल की आँखें भी उधर उठीं, मगर उन आँखा में सत्कार था और इन आँखों में ईर्ष्या सरदार साहब ने फिर फरमाया- "आप लोगों को यह स्वीकार करने में कोई आपत्ति न होगी कि जो पुरुष स्वयं जख्मी होने पर भी एक गरीब किसान की भरी हुई गाड़ी को दलदल से निकालकर नाले के ऊपर चढ़ाए, उसके हृदय में साहस, आत्म-बल और उदारता का निवास है। ऐसा आदमी गरीबों को कभी न सताएगा। उसका संकल्प दृढ़ है जो उसके चित्त को स्थिर रखेगा । वह चाहे स्वयं धोखा खा जाए, परंतु दिया और धर्म के मार्ग से कभी न हटेगा।"

Idioms In Hindi CLASS 10 --Sakhi /साखी, पद, दोहे, मनुष्यता, तोप, कर चले हम फ़िदा--- मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित

साखी---------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. अँधियारा मिटना - अज्ञान समाप्त होना। 
वाक्य- जब सच्चा ज्ञान मिलता है, तभी मन का अँधियारा मिटता है। 
2. आपा खोना - मानसिक संतुलन बिगड़ना। 
वाक्य-  पिता की लाश देखकर संतोष ने अपना आपा खो दिया।
3. घर जलाना - अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना। 
वाक्य- हम तो अपना घर जलाकर तमाशा देखने वालों में से हैं, तुम हमारा क्या मुकाबला करोगे ? 
4. मंत्र न लगना- कोई भी कोशिश कामयाब न होना। 
वाक्य- बच्चे को सुधारने के लिए मैंने हर तरह की कोशिश करके देख ली पर कोई मंत्र न लगा।

पद---------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. लाज रखना- इज्जत रखना। 
वाक्य- कारगिल युद्ध जीतकर भारतीय सेना ने देश की लाज रख ली। 

मनुष्यता---------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित
  
1. बाहु बढ़ाना - मदद के लिए आगे आना। 
वाक्य- धनवानों को चाहिए कि वे अपनी बाहुओं को बढ़ाकर गरीबों की मदद करें। 
2. विपत्ति ढकेलना- संकट को दूर करना। 
वाक्य- सच्चे वीर वही होते हैं, जो विपत्तियों को ढकेलकर आगे बढ़ते रहते हैं। 
3. विशाल हाथ होना - सामर्थ्यवान होना। 
वाक्य- सरकार से बचकर कहाँ जाओगे, सरकार के हाथ बहुत विशाल हैं।

तोप--------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 
1. मुँह बंद होना- शांत हो जाना। 
रामेश्वर हमेशा दूसरों के बच्चों में खोट ही निकालता था। जब अपना बेटा चोरी करते पकड़ा गया तो उसका मुँह बंद हो गया। 

 कर चले हम फ़िदा--------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित  
1 . मौत से गले मिलना - खुशी से जान देना। 
वाक्य- जाँबाज सैनिक अपने देश के लिए मौत से गले मिलने में संकोच नहीं करते। 
2. सिर न झुकने देना - अपमान न होने देना।  
वाक्य- भले ही मेरी जान चली जाए, पर गलत काम करके देश का सिर नहीं झुकने नहीं दूँगा। 
3 . सिर पर कफन बाँधना - मरने को तत्पर रहना। 
वाक्य- जो एक बार सिर पर कफन बाँध लेता है, उसे फिर किसी का डर नहीं लगता। 4. हाथ उठाना - पीटना। 
वाक्य -छोटे बच्चों पर हाथ उठाना तुम्हें शोभा नहीं देता। 
5. हाथ तोड़ना - मुनासिव जवाब देना। 
वाक्य- जो हमारो ओर हाथ उठाएगा, हम उसका हाथ तोड़ देंगे।

Class 10 Idioms in Hindi/मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित Lesson डायरी का एक पन्ना, तताँरा-वामीरो कथा, तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र, अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले, पतझर में टूटी पत्तियाँ, कारतूस

डायरी का एक पन्ना...मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. रंग दिखाना - प्रभाव या स्वरूप दिखाना। 
वाक्य - तुम मोहन को जैसा समझते हो, वह वैसा नहीं है। जब वह अपने रंग दिखाएगा तभी तुम्हें समझ आएगा। 
2. ठंडा पड़ना- ढीला पड़ना । 
वाक्य-ओलंपिक खेल आरंभ होने वाले हैं, अभी भी तैयारियाँ पूरी नहीं हुई हैं। पता नहीं सरकार इनती ठंडी क्यों पड़ी हुई है।
3. टूट जाना - बिखर जाना। 
वाक्य- घर के एक सदस्य की मौत से पूरा परिवार टूट जाता है। 
4. जुल्म ढाना - अत्याचार करना । 
वाक्य- अंग्रेज़ों ने भारतीय जनता पर अनगिनत ज़ुल्म ढाए।

तताँरा-वामीरो कथा-------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. बाट जोहना - प्रतीक्षा करना। 
वाक्य- आजकल भी पत्नियाँ पति की बाट जोहती रहती हैं और वे खाना खाकर आराम से लौटते हैं। 
2. राह न सूझना - उपाय न मिलना। 
वाक्य- आतंकवादियों द्वारा पकड़े जाने पर यात्रियों को बचने की कोई राह न सूझी। 
3. सुराग न मिलना - पता न मिलना। 
वाक्य- डाकू घर के लोगों की हत्या करके चले गए परंतु पुलिस को उनका सुराग न मिला । 
4 . सुध-बुध खोना- होश न रहना । 
वाक्य- गोपियाँ मुरली की धुन सुनते ही अपनी सुध-बुध खो बैठती थीं। 
5. खुशी का ठिकाना न रहना - बहुत प्रसन्न होना। 
वाक्य- प्रतियोगिता जीतने पर मीरा की खुशी का ठिकाना न रह । 
6. आग बबूला होना - बहुत क्रोधित होना।
वाक्य- अपने ही बेटे को चोरी करते देख पिता जी आग बबूला हो गए।
7. आवाज़ उठाना- विरोध करना। 
वाक्य- सरकार की गलत नीतियों के लिए जनता को आवाज़ उठाने का पूरा अधिकार है। 
8. चेहरा मुरझाना - उदास हो जाना। 
वाक्य- होस्टल में अपनी माँ की बीमारी का समाचार सुनकर मोहन का चेहरा मुरझा गया । 
9. चक्कर खा जाना - उलझ जाना / धोखा खाना। 
वाक्य- राधा की चालाकी देखकर उसके पिता जी भी चक्कर खा गए। 
10. गाँठ बाँधना - दृढ़ निश्चय करना। 
वाक्य- माँ ने बच्चे से कहा, "आज से गाँठ बाँध कि कभी जीवन में झूठ नहीं बोलोगे।” 
11. एक-एक पल पहाड़ होना - प्रतीक्षा का समय मुश्किल से बीतना। 
वाक्य- विदेश से अपने पुत्र के आने की खबर सुनने के बाद माँ के लिए एक-एक पल पहाड़ हो रहा था। 12. एकटक निहारना - देखते ही रह जाना। 
 वाक्य- विदेशी पर्यटक ताजमहल को एकटक निहारते रहे।

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र-------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. चक्कर खाना- घबरा जाना। 
वाक्य- परीक्षा में प्रश्नपत्र देखकर कुछ छात्र चक्कर खा गए। 
2. सातवें आसमान पर होना - ऊँचाई पर होना। 
वाक्य- इस सरकार के राज में आटे-दाल के दाम साँतवें आसमान पर पहुँच गए हैं। 
3. तराजू पर तोलना - उचित-अनुचित का निर्णय लेना। 
वाक्य-  कोई भी बात मुँह से निकालने से पहले तराजू पर तोल लेनी चाहिए। 
4. हावी होना- अधिक प्रभावी होना। 
वाक्य- मोहित अपना काम करवाने के लिए दूसरों पर हावी होने की कोशिश करता है। 

अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले-------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

 1. दीवार खड़ी करना - बाधा उत्पन्न करना। 
वाक्य- जब भी हम कोई अच्छा काम करते हैं, दुनिया दीवार खड़ा कर देती है, पर हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए। 
2. डेरा डालना - अस्थायी रूप से रहना। 
वाक्य- मजदूर संगठन ने अपनी माँग पूरी करवाने के लिए जंतर-मंतर पर डेरा डाल लिया।

पतझर में टूटी पत्तियाँ-------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. हवा में उड़ना - ऊपरी बातें करना। 
वाक्य- तुम्हारे व्यवहार से सभी जान गए कि तुम्हें तो हवा में उड़ने की आदत हो गई है।

कारतूस--------------मुहावरे अर्थ व वाक्य सहित 

1. हाथ न आना - पकड़ा न जाना। 
वाक्य- पुलिस चोर का शहर के अंत तक पीछा करती रही, परंतु वह हाथ में न आया। 2. नज़र रखना- निगरानी करना। 
वाक्य- उस आदमी पर नज़र रखना, कहीं वह सामान उठाकर न ले जाए। 
3. हक्का-बक्का रहना - हैरान रह जाना। 
वाक्य- संजीत ने चोरी की थी, यह जानकर मैं हक्का-बक्का रह गया। 
4. आँखों में धूल झोंकना - धोखा देना। 
वाक्य- युवा पीढ़ी अपने माता-पिता की आँखों में धूल झोंककर जीवन में आगे नहीं बढ़ सकती।
5. कूट-कूट कर भरना - अच्छी तरह से भरना। 
वाक्य- युवा पीढ़ी में देश-प्रेम कूट-कूट कर भरना चाहिए। 
6. काम तमाम करना - मार डालना। 
वाक्य- पूरे विश्व के आतंकवादियों का काम तमाम कर देना चाहिए। 
7. गिरह बाँधना - गाँठ बाँधना। 
वाक्य- उसने अपने माता-पिता के संस्कारों को गिरह बाँधकर सुरक्षित रखा हुआ है। 
8. मुट्ठी भरआदमी - थोड़े से आदमी।
वाक्य-  मुट्ठी भर आदमी भी देश का भविष्य बदल सकते हैं।