HINDI BLOG : प्रेरक प्रसंग हेलेन केलर Helen Kelar

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Thursday, 11 August 2022

प्रेरक प्रसंग हेलेन केलर Helen Kelar


अपनी धुन के पक्के, लगनशील व साहसी मनुष्य अपनी शारीरिक विकलांगता को अपना रास्ता बाधित नहीं करने देते। वे अपने दृढ़ निश्चय से अपनी कमज़ोरियों पर विजय प्राप्त करते हैं और विश्व के लिए एक मिसाल बन जाते हैं। 

जब हम किसी बात को लेकर बेहद परेशान होते हैं , तो हमारा मन उस परेशानी में इतना अधिक डूब जाता है कि हमें अन्य कोई रास्ता नज़र ही नहीं आता। पर जो ऐसी विषम परिस्थिति में भी अपना संबल बनाए रखता है और असंभव को संभव कर दिखाता है, वही अन्य लोगों के लिए आदर्श बन जाता है। मनुष्य की दृढ़ इच्छाशक्ति, मज़बूत इरादे व आत्मविश्वास उसकी शारीरिक अपंगता को भी परास्त करने में सक्षम हैं। हेलेन केलर एक ऐसी ही महिला थीं, जिन्होंने अपनी शारीरिक बाधाओं को पार कर सफलता की अनूठी मिसाल कायम की। 
जब हम किसी बात को लेकर बेहद परेशान होते हैं, तो हमारा मन उस परेशानी में इतना अधिक डूब जाता है कि हमें अन्य कोई रास्ता नज़र ही नहीं आता। पर जो ऐसी विषम परिस्थिति में भी अपना संबल बनाए रखता है और असंभव को संभव कर दिखाता है, वही अन्य लोगों के लिए आदर्श बन जाता है। मनुष्य की दृढ़ इच्छाशक्ति, मज़बूत इरादे व आत्मविश्वास उसकी शारीरिक अपंगता को भी परास्त करने में सक्षम हैं। हेलेन केलर एक ऐसी ही महिला थीं, जिन्होंने अपनी शारीरिक बाधाओं को पार कर सफलता की अनूठी मिसाल कायम की।
27 जून, 1880 को अमेरिका में तस्कंबिया नामक छोटे से कस्बे में एक सुंदर बच्ची का जन्म हुआ। उसकी माता का नाम कैथरीन एडम्स केलर और पिता का नाम कैप्टन आर्थर था। पिता एक साप्ताहिक अखबार के संपादक थे। 
अपने जन्म के समय हेलेन केलर एक स्वस्थ बच्ची थीं, लेकिन जब वे उन्नीस माह की थीं, तो एक बार उन्हें बहुत तेज़ बुखार हुआ। बुखार होने के कुछ ही दिनों के भीतर हेलेन की माँ ने महसूस किया कि उनकी बेटी खाने की घंटी बजने या उसके चेहरे के आगे हाथ हिलाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। बुखार ने बच्ची को दृष्टिहीन तथा बधिर बना दिया था। बेटी की यह स्थिति माता-पिता से देखी नहीं जाती थी। हेलेन के बचपन के ये सबसे कठिन दिन थे। उसकी स्थिति में सुधार की आशा दिनोंदिन क्षीण हो रही थी। ऐसे में हेलेन की माँ उसकी पहली गुरु बनीं। उन्होंने उसे कई छोटे-बड़े काम करने सिखाए। 
एक दिन हेलेन की माँ ने समाचार पत्र में बोस्टन की परकिन्स संस्था के बारे में पढ़ा । हेलेन के माता-पिता वहाँ गए और उन्होंने वहाँ की संरक्षिका से घर आकर हेलेन को पढ़ाने का अनुरोध किया। वे तैयार हो गईं। एनी सुलिवन एक ऐसी गुरु थीं, जिन्होंने प्रेम, धैर्य व लगन का परिचय देते हुए न केवल हेलेन को प्रशिक्षित किया, अपितु उसकी अंधकारमय जिंदगी में उमंग व उत्साह का संचार किया।
उन्होंने कई-कई घंटों की मेहनत के बाद हेलेन को वर्णमाला याद करवाई। अपनी असाधारण प्रतिभा के कारण वे छह महीनों में 625 शब्दों से परिचित हो गईं। हेलेन ने संकल्प शक्ति व कठिन अभ्यास द्वारा लैटिन, फ्रेंच और जर्मन भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। आठ वर्षों के घोर परिश्रम से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 
सुलिवन की सहायता से हेलेन ने महात्मा गांधी, रवींद्र नाथ टैगोर, कार्ल मार्क्स, टॉलस्टॉय आदि अनेक महान दार्शनिकों व साहित्यकारों के बारे में पढ़ा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। हेलेन को घुड़सवारी का भी बहुत शौक था। 
एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन किया। उन्होंने वहाँ उपस्थित लोगों को विकलांग मनुष्यों की मदद करने के बारे में समझाया। उनके समझाते ही कुछ ही देर में हज़ारों डॉलर एकत्र हो गए। 
हेलेन केलर परिस्थितियों से हार न मानने वाली महिला थीं। एक बार उन्होंने कह था,  “ज़िंदगी के पहले उन्नीस महीनों में मैंने जिन विस्तृत हरे-भरे खेतों, चमकद आकाश, पेड़-पौधों और फूलों की झलक देखी थी, उस पर मेरा अंधापन कभी पूरी तरह कूची नहीं फेर सका। यदि हमने एक बार दिन को देखा है, तो फिर चाहे जैसे भी दिन आएँ, दिन तो हमारा ही है।"
हेलेन केलर ने छह बार विश्व भ्रमण करके करोड़ों रुपयों की धनराशि एकत्र व विकलांगों के लिए अनेक संस्थानों का निर्माण किया।वे अनेक महान व्यक्तियों से मिलीं । वे रवींद्रनाथ टैगोर तथा पं ० जवाहर लाल नेहरू से बहुत प्रभावित हुईं। 
हेलेन एक स्वावलंबी महिला थीं। उन्हें अपने लगभग सभी कार्य स्वयं ही करना पसंद था। हिम्मत और हौसले की अद्भुत मिसाल थीं- हेलेन केलर। एक बार उन्होंने कहा था, " विश्वास ही वह शक्ति है, जिसकी बदौलत ध्वस्त हुआ संसार भी सुख की रोशनी में आबाद हो सकता है।"

शब्दार्थ:
1. विषम -   कठिन   
2. इच्छाशक्ति- किसी काम को मन के अनुकूल करने की शक्ति
3. परास्त-   करना हराना, 
4. दृष्टिहीन- जो देख नहीं सकता 
5. क्षीण -  कमज़ोर 
6. भ्रमण-  घूमना  
7. बदौलत- के कारण
8. संबल- सहारा, 
9. अपंगता- विकलांगता
10. अनूठी- अद्भुत 
11. बधिर-    जो सुन नहीं सकता
12. अनुरोध- आग्रह, निवेदन 
13. स्वावलंबी- आत्मनिर्भर 
14. ध्वस्त- बरबाद, नष्ट

* निम्न प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए-
क. हेलन की पहली गुरु कौन थीं ?
      i.सोलविन                             ii. रविंद्रनाथ टैगोर                      iii.  उनकी माँ 
ख. हेलन केलर ने किस लिपि में अनुवाद किया ?
      i.रोमन लिपि                       ii. ब्रेल लिपि                                iii. देवनागरी लिपि  
ग. हेलेन केलर की माँ ने समाचार पत्र में किस संस्था के बारे में पढ़ा ?
      i. बाल गृह                            ii. सुधार गृह                              iii. परिकिन्स संस्था 
घ.  हेलेन केलर ने कितनी बार विश्व भ्रमण किया ?
      i. चार बार                           ii. छह बार                                   iii. तीन बार 
ङ.  हेलेन केलर को किसका शौक था ?
    i. पर्यटन का                        ii. घुड़सवारी का                          iii. भाषण देने का





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