एक राजकुमार था। उसका नाम था तेजप्रताप । जैसा नाम वैसा काम । तेजप्रताप बहुत जिद्दी था। वह जिस किसी चीज को पाने की जिद्द कर लेता उसे हासिल कर के ही रहता था।
एक रात तेजप्रताप ने सपने में एक अत्यंत सुंदर जलपरी को देखा। उसकी सुंदरता देख कर तेजप्रताप उस पर मोहित हो गया। उसने जलपरी से शादी करने की मन में ठान ली।
अगले दिन राजकुमार तेजप्रताप ने अपने पिता से कहा, "पिता जी मैं जलपरी से शादी करूँगा।" इतना सुनना था कि उसके पिता ने कहा, "बेटा तेजप्रताप तू पागल हो गया है क्या?"
"जलपरी समुद्र के अंदर रहती है, वहाँ तुम कैसे जा पाओगे। समुंद्र के अंदर बड़े खतरनाक जानवर रहते हैं।
वह तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
तुम जलपरी से शादी करने की जिद्द छोड़ दो।" "नहीं पिता जी मैं जलपरी को अपनी रानी बना कर ही रहूँगा। वह जहाँ भी रहती होगी उसे वहाँ से ढूँढ़ कर लाऊँगा। मेरा यह आखिरी फैसला है।" इतना कह कर राजकुमार तेजप्रताप अपनी तलवार ले कर घोड़े पर बैठा और जलपरी से शादी करने के लिए चल दिया।
कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद राजकुमार तेजप्रताप समुंद्र के पास जा पहुँचा।
वहाँ पहुँच कर राजकुमार तेजप्रताप ने समुंद्र देव से हाथ जोड़ कर कहा, "हे समुंद्र देव मैं आप की शरण में आया हूँ, आप हमारी मदद कीजिए । मैं इस समुंद्र के बीच रहने वाली जलपरी से शादी करना चाहता हूँ।" राजकुमार तेजप्रताप की बात सुनकर समुंद्र देव जल में प्रकट हो कर बोले, "राजकुमार मैं तुम्हारी हिम्मत देख कर बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें एक नाव दे रहा हूँ। तुम इसमें बैठ कर जलपरी तक आसानी से पहुँच जाओगे। यह नाव तुम्हें जलपरी के महल तक पहुँचा देगी। रास्ते में तुम्हे बड़े-बड़े सर्प, मगरमच्छ, जहरीले जीव-जंतु राक्षस तथा खतरनाक दरियाई घोड़े मिलेंगे। तुम सबको मारते काटते आगे बढ़ते जाना। समुंद्र के बीच पहुँचते ही तुम्हें पानी पर तैरता हुआ एक सुंदर महल दिखाई देगा। महल के बाहर बड़े-बड़े दो राक्षस पहरा देते मिलेंगे। उन्हें तुम मार कर महल के अंदर घुस जाना। महल के अंदर जलपरी पलंग पर सोती मिलेगी। उसके पास पहुँच कर जैसे ही जलपरी को छुओगे तो जलपरी उठ कर बैठ जाएगी। और तुमसे एक सवाल पूछेगी। अगर तुम जलपरी के सवाल का जवाब दे दोगे तो जलपरी तुमसे शादी करने को तैयार हो जाएगी। अगर तुम उसके सवाल का जवाब नहीं दे सके तो जलपरी तुम्हें तोता बना कर अपने महल में हमेशा के लिए कैद कर लेगी।
"मैं तुम्हें यह सोने की अँगूठी दे रहा हूँ इसे तुम पहन लो इस अँगूठी के पहनने से जलपरी के सवाल का जवाब मालूम हो जाएगा।"
राजकुमार समुंद्र देव से इजाजत लेकर आगे की ओर नाव में बैठ कर चल दिया।
ठुमार तेजप्रताप बड़े-बड़े सर्पों, राजकुमार मगरमच्छों, जहरीले जीवों, राक्षसों तथा दरियाई घोड़ों को मारते काटते कई दिनों की यात्रा के बाद समुद्र के बीच समुद्र में तैरते जलपरी के महल के पास जा पहुँचा। महल के बाहर पहरा दे रहे दो राक्षसों को तलवार से मार कर महल के अंदर जा पहुँचा।
वहाँ जलपरी एक पलंग पर गहरी नींद में सोई हुई थी। राजकुमार तेजप्रताप ने जलपरी के पलंग के पास पहुँच कर जैसे ही उसके बदन को छुआ वैसे ही जलपरी नींद से जागकर पलंग पर बैठ गई।
जलपरी ने राजकुमार तेजप्रताप से पूछा, "तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आए हो ?"
जलपरी की बात सुन राजकुमार तेजप्रताप बोला, "मेरा नाम राजकुमार तेजप्रताप है। मैं धर्मपुर के राजा चंदन सिंह का पुत्र हूँ। मैं यहाँ तुमसे शादी करने के लिए आया हूँ। इतनी बात सुनकर जलपरी बोली, "तुम बड़े हिम्मत वाले राजकुमार हो। मैं तुम्हें देख कर बहुत खुश हूँ। मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ। मगर तुम्हें हमारे एक सवाल का जवाब देना होगा। अगर तुमने मेरे सवाल का सही जवाब दे दिया तो मैं तुमसे शादी कर लूँगी। अगर तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हें तोता बना कर इस पिंजड़े में हमेशा के लिए कैद कर लूँगी।"
जलपरी ने पूछा, "बताओ सुबह जो निकलता है, शाम को डूब जाता है, वह क्या है? समुंद्र देव की दी हुई अँगूठी ने राजकुमार तेजप्रताप के कान में धीरे से कहा, "कह दो सूरज है"। कुछ देर रुक कर राजकुमार तेजप्रताप ने कहा, "सूरज है।" इतना सुनते ही जलपरी हँस पड़ी और पलंग से नीचे उतर कर राजकुमार तेजप्रताप से लिपट कर बोली, "तुम्हारा उत्तर सही है, आज से मैं तुम्हारी पत्नी बन गई। मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे महल चलने को तैयार हूँ।"
राजकुमार तेजप्रताप ने अपनी जेब में रखा सिंदूर निकाला और जलपरी की माँग में भर कर जलपरी को अपनी रानी बना लिया। जलपरी ने तुरंत एक उड़न खटोला मँगवाया और उसमें राजकुमार तेजप्रताप के संग बैठ कर धर्मपुर राज्य की ओर उड़ चली।