अमीर महाजन था। दयावान था। सुबह सैर पर जाते हुए एक छोटा-सा भटका हुआ पिल्ला मिल गया। महाजन को उसे देखकर दया आ गई। घर ले आया। उसकी बच्चों की तरह देखभाल करने लगा। पिल्ला भी घर की निगरानी करता और बच्चों से खेलता-कूदता।
महाजन बीमार पड़ गया। पिल्ला अब कुछ बड़ा था। पास बैठा रहता। आँखों में उसके दर्द झलकता था। रात्रि को महाजन बीमारी के कारण कहराने लगा। पिल्ला बार-बार देखता, प्यार करता। सारी रात देखता रहा। दूसरे दिन महाजन की मृत्यु हो गई। पिल्ला एक कोने में आंखों में आँसू लिए बैठा रहा। पार्थिव शरीर को श्मशानघाट ले गए। अग्रि देनी थी। आखिरी बार कुत्ते ने पैरों को चूमा। सामने बैठ गया। अग्नि शरीर को दी गई। सामने कुत्ता शांत था। परिवार के सदस्यों की नज़र पड़ी। देखा वह कुत्ता हमेशा के लिए शांत था। सब लोग हैरान रह गए कि एक जानवर ऐसा वफादार हो सकता है। कुत्ते को भी वहीं पर दफना दिया गया। वह भी एक परिवार का हिस्सा था।
सब लोग सोच में थे कि कुत्ता इंसान से अधिक वफादार जानवर है। दर्द महसूस करता है। काश! इंसान भी जानवरों से कुछ सीख ले।
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