HINDI BLOG : CLASS 9 SANSKRIT Lesson-1 Bhartvasantgiti/भारतीवसन्तगीति

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Wednesday, 17 November 2021

CLASS 9 SANSKRIT Lesson-1 Bhartvasantgiti/भारतीवसन्तगीति

भारतीवसन्तगीति 
 पाठसार : 
हिंदी के प्रसिद्ध छायावादी कवि पं ० जानकी वल्लभ शास्त्री, संस्कृत के भी श्रेष्ठ कवि हैं। इनका एक गति संग्रह 'काकली' नाम से प्रसिद्ध है। प्रस्तुत पाठ इसी संग्रह से लिया गया है। सरस्वती देवी की वंदना करते हुए कवि कहता है कि हे सरस्वती! अपनी वीणा का वादन करो ताकि मधुर मंजरियों से पीत पंक्तिवाले आम के कोयल का कूजन तथा वायु का मंद-मंद चलना वसन्त ऋतु में मोहक हो जाएँ। साथ-साथ काले भँवरा का गुंजार और नदियों का जल मोहक हो उठे। यह गीत स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि में लिखा गया है । यह गीत जन-जन के हृदय में नवीन चेतना का संचार करता है । इससे सामान्य लोगों में स्वाधीनता की भावना जागती है । 

1.निनादय नवीनामये वाणि ! वीणाम् 
   मृदु गाय गीतिं ललित-नीति लीनाम् । 
   मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-माला : 
   वसन्ते लसन्तीह सरसा रसाला: 
   कलापाः ललित-कोकिला-काकलीनाम् ॥
   निनादय ... ॥ 
शब्दार्थाः 
नवीनामये- सुंदर मुखवाली, 
वाणि- हे सरस्वती, 
गाय- गाओ, 
गीतिम् - गीत को, 
वीणाम् - वाणी को , 
मधुर - मीठी (मीठे), 
काकलीनाम् - कोयल के स्वरों की । 
अनुवाद- हे सरस्वती ( वाणी ) आप अपनी नवीन वीणा को बजाओ । आप सुंदर नीति से युक्त ( लीन ) मीठे गीत गाओ । वसंत ऋतु में मीठे आम के फूलों की पीले रंग की पंक्तियों से और कोयलों की सुंदर ध्वनिवाले यहाँ मधुर आम के पेड़ों के समूह शोभा पाते हैं।

* विशेषण - विशेष्य चयनम् 
विशेषणम्                             विशेष्यः
1.नवीनाम्                              वीणाम् 
2.सरसा रसाला:                     कलापाः
3.ललित-नीति लीनाम्              नीतिम् 
2. वहति मन्दमन्द सनीरे समीरे 
   कलिन्दात्मजायारसवानीरतीरे, 
   नतां पङ्क्तिमालोक्य मधुमाधवीनाम्॥ 
                    निनादय ... ॥
शब्दार्था: 
मन्दमन्वम् - धीरे-धीरे , 
वहति - बहती हुई , 
कलिन्द आत्मजाया: - कलिन्द की पुत्री के ( यमुना के) 
पङ्क्तिम्–पंक्ति को, 
अवलोक्य-देखकर। 
अनुवाद– यमुना नदी के बेंत की लता से युक्त तट पर जल से पूर्ण हवा धीरे-धीरे बहती हुई (फूलों से) झुकी हुई मधुमाधव को लताओं की पंक्ति को देखकर हे वाणी (सरस्वती) । तुम नई वीणा बजाओ। 

* विशेषण - विशेष्य चयनम् 
विशेषणम्                             विशेष्यः
1.सनीरे                                   समीरे
2.नतां                                    पङ्क्तिम्

 3.ललित पल्लवे पादपे पुष्पपुज्जे 
    मलयमारुतोच्चुम्बिते मञ्जुकुज्जे,
    स्वनन्तीन्ततिम्प्रेक्ष्य मलिनामलीनाम्॥ 
    निनादय ... ।। 
शब्दार्थाः 
पादपे- पौधे पर, 
मलिनाम्- काले रंग वाले, 
अलीनाम् - भौरों की , 
ततिम्- पंक्ति को, 
प्रेक्ष्य-देखकर । 
अनुवाद- सुन्दर पत्तोंवाले वृक्ष (पौधे) , फूलों के गुच्छों तथा सुन्दर कुंजों (बगीचों) पर चंदन के वृक्ष की सुगंधित हवा से स्पर्श किए गए गुंजायमान करते हुए भौरों की काले रंग की पंक्ति को देखकर  हे वाणी तुम नई वीणा बजाओ।

* विशेषण - विशेष्य चयनम् 
विशेषणम्                             विशेष्यः
1.ललित पल्लवे पादपे              पादपे  
2.मलयमारुतोच्चुम्बिते              मज्जुकुज्जे
3.स्वतीम्                                 ततिम्
* पर्यायपदानि -
पदानि                                    पर्यायाः 
1.ललित पल्लवे                       मनोहरपल्लवे 
2. मञ्जुकुज्जे                          शोभनलताविताने 

4. लताना नितान्तं सुमं शान्तिशीलम् 
    चलेदुच्छलत्कान्तसलिलं सलीलम्, 
    तवाकर्ण्य वीणामदीनां नदीनाम् ॥ 
     निनादय ... ॥ 
शब्दार्था : 
लतानाम् - बेलों की (के), 
नितान्तम्- पूरी तरह से, 
सुमम् - फूल, 
चलेत्- हिलने लगे, 
तव - तुम्हारी, 
आकर्ण्य- सुनकर, 
वीणाम् -वीणा को, 
अदीनाम् - तेजस्विनी ।
अनुवाद- हे वाणी (सरस्वती) । ऐसी वीणा बजाओ कि तुम्हारी तेजस्विनी वाणी को सुनकर लताओं (बेलों) के पूर्ण शांत रहने वाले फूल हिलने लगें, नदियों का सुंदर जल क्रीडा (खेल) करता हुआ उछलने लगे।

* पर्यायपदानि -
 पदानि                                    पर्यायाः
1.सलीलम्                              क्रीड़ासहितम् 
2.आकर्ण्य                              श्रुत्वा 
* विशेषण - विशेष्य चयनम् 
विशेषणम्                             विशेष्यः
1.शान्तिशीलम्                       सुमम्
2.अदीनाम्                             वीणाम् 

अभ्यासः 
प्रश्नाः1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) कवि का सम्बोधयति ? 
उत्तर-वाणीम्
(ख) कविः वाणों का वादयितु प्रार्थयति ?
उत्तर-वीणाम्  
(ग) कीदृशी वीणा निनादायितुं प्राधयति ? 
उत्तर-नवीनाम्
(घ) गीति कथं गातुं कथयति ? 
उत्तर-मृदुम् 
(ङ) सरसा रसाला कदा लसन्ति ? 
उत्तर-वसन्ते 

2. अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(क) कविः वाणी किं कथयति ? 
उत्तर-कविः वाण वीणां निनादयितुं कथयति ।
(ख) वसन्ते किं भवति ? 
उत्तर- वसन्ते मधुरमञ्जरीपिञ्जरी भूतमालाः सरसाः रसालाः लसन्ति एवं ललित कोकिला काकलीनां कलापाः शोभन्ते। 
(ग) सलिलं तव वोणाम् आकर्ण्य कथम् उच्चलेत ?
उत्तर-सलिलं तव वीणाम् आकर्ण्य सलीलम् उच्चलेत् । 
(घ) कविः भगवती भारती कस्याः तीरे मधुमाधवीनां नतां पङ्किम् अवलोक्य वीणा वादयितुं कथयति ? 
उत्तर-कविः भगवती भारती कलिन्दात्मजायाः (यमुनायाः) सवानीरतीरे मधुमाधवीनां नतां पङ्क्तिम् अवलोक्य वीणां वादयितुं कथयति।

3. 'क' स्तम्भे पदानि, 'ख' स्तम्भे तेषां पर्यायपदानि दत्तानि । तानि चित्वा पदानां समक्षे  लिखत-
      'क' स्तम्भः                         'ख' स्तम्भः
(क) सरस्वती                           (1) तीरे 
(ख) आम्रम्                              (2) अलीनाम्
(ग) पवन :                               (3) समीर :
(घ) तटे                                   (4) वाणी 
(ङ) भ्रमराणाम्                        (5) रसाल :

उत्तराणि- 
 'क' स्तम्भः                             'ख' स्तम्भः
(क) सरस्वती                             वाणी 
(ख) आम्रम्                                रसाल :
(ग) पवन :                                 समीर :
(घ) तटे                                      तीरे
(ङ) भ्रमराणाम्                         अलीनाम्

4. अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य संस्कृतभाषया वाक्यरचनां कुरुत-
 (क) निनादय, (ख) मन्दमन्दम्, (ग) मारुतः, (घ) सलिलम्, (ङ) सुमनः । 
उत्तराणि-        पद                     वाक्यरचनां  
   (क)    निनादय-                      हे वाणि ! त्वं स्ववीणां निनादय । 
   (ख)    मन्दमन्दम्-                  तत्र मन्दमन्दम् पवनः वहति ।  
   (ग)     मारुतः-                        पर्वतेषु अहर्निशम् मारुतः प्रवहति । 
   (घ)     सलिलम्-                     जलस्य पर्यायः सलिलम् अपि भवति । 
   (ङ)    सुमनः -                        सुमनः धराया शृङ्गार भवति ।

5. प्रथमश्लाकस्य आशय हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत उत्तराणि- 
प्रथम श्लोकस्य आशयः 
हिन्दी भाषायाम् - इस समय वसंत ऋतु में मीठी बौरों से सरस अथवा सुशोभित हुई आम के वृक्षों की पंक्तियाँ दिखाई दे रही हैं और उनपर मीठी आवाज से युक्त कोयलों के समूह शोभा पा रहे हैं । 
In English - In the spring season the lines of mango trees decorated with a cluster among them .. of sweet buds are visible and enhancing the flight of sweet singing cuckoos sitting 6 

6.अधोलिखितपदानां विलोमपदानि लिखत-
(क) कठोराम्, (ख) कटु, (ग) शीघ्रम्, (घ) प्राचीनम्, (ङ) नीरस :
उत्तराणि-  पदानि                         विलोमपदानि 
               (क) कठोराम्      -             मृदुम्
               (ख) कटु             -             मधुर   
               (ग) शीघ्रम्          -             मन्दमन्दम् 
               (घ) प्राचीनम्       -             नवीनम् (नवीनाम्)
               (ङ) नीरस          -              सरसः

No comments:

Post a Comment

If you have any doubt let me know.