HINDI BLOG : May 2022

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Monday, 30 May 2022

Question Answers लालच बुरी बला है-कहानी 'अलिफ़ लैला' से

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) बाबा अब्दुल्ला किसे अपनी कहानी सुना रहे थे ? 
उत्तर- बाबा अब्दुल्ला अपनी कहानी खलीफ़ा को सुना रहे थे। 
(ख) बाबा अब्दुल्ला के पास कितने ऊँट थे ? 
उत्तर- बाबा अब्दुल्ला के पास कुल अस्सी ऊँट थे। 
(ग) बसरा से लौटते समय उन्हें रास्ते में कौन मिला ? 
उत्तर- बसरा से लौटते समय उन्हें रास्ते में एक फ़कीर मिला। 
(घ) जिनों के बनाए भव्य भवन में उन्होंने क्या देखा ? 
उत्तर- जिन्नों के बनाए भव्य भवन में उन्होंने देखा कि वह असीम द्रव्यों से भरा पड़ा है, जिसमें अशर्फ़ियाँ, बहुमूल्य रत्न और भाँति-भाँति की स्वर्ण निर्मित मुद्राएँ थीं। 
(ङ) मरहम को दाहिनी आँख की पलक पर लगाने का क्या परिणाम हुआ ? 
उत्तर- दाहिनी आँख की पलकों पर मरहम लगाने का यह परिणाम हुआ कि बाबा अब्दुल्ला बिल्कुल अंधे हो गए। 

2. लघु उत्तरीय प्रश्न :
(क) बाबा अब्दुल्ला ने उत्तराधिकार में मिले धन का क्या किया ? 
उत्तर- बाबा अब्दुल्ला ने उत्तराधिकार में मिले सारे धन को भाग-विलास में शीघ्र ही खर्च कर दिया। 
(ख) फ़कीर ने अब्दुल्ला को रातों-रात अमीर बनने का क्या रास्ता सुझाया ?
उत्तर- फकीर ने अब्दुल्ला को रातों-रात अमीर बनने का रास्ता सुझाते हुए कहा कि जहाँ वे बैठे हैं, वहाँ से कुछ दूरी पर एक ऐसी जगह है, जहाँ अपार कीमती द्रव्य भरा पड़ा है। वहाँ से वह अपने अस्सी ऊँटो को बहुमूल्य रत्नों और अशर्फियों से लाद सकता है।  
(ग) खजाने से भरे भवन को देखकर अब्दुल्ला की क्या दशा हुई ?
उत्तर- खजाने से भरे भवन को देखकर अब्दुल्ला की खुशी का ठिकाना न रहा। वह अशफ़ियों के ढेर पर ऐसे झपटा, जैसे किसी शिकार पर शेर झपटता है।  
(घ) अब्दुल्ला के अंधे हो जाने पर फ़कीर ने क्या किया ? 
उत्तर- अब्दुल्ला के अर्थ हो जाने पर फ़कीर ने उसकी किसी बात का कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि उसके सारे ऊँट और उन पर लदी हुई संपत्ति लेकर बसरा की ओर चल दिया। 
(ङ) मनुष्य अपने लालच पर नियंत्रण क्यों नहीं रख पाता ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर- मनुष्य अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख पाता, क्योंकि मनुष्य को लालची स्वभाव के कारण जितना मिलता है, उससे उसका मन नहीं भरता और उसमें अधिक पाने की लालसा बनी रहती है। जैसा कि बाबा अब्दुला के साथ हुआ। अधिक धन पाने के प्रयास में उसने अपनी आँख भी खोई और खजाना भी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
(क) अब्दुल्ला की क्या विवशता थी, जिससे उसने फ़कीर की शर्त स्वीकार कर ली ? 
उत्तर- अब्दुल्ला की विवशता यह थी कि वह अत्यंत लालची था। हर हाल में वह अधिक-से-अधिक धन पाना चाहता था। फकीर उसे अपार द्रव्य वाले खजाने तक ले जाने वाला था, जिसके बारे में केवल वही जानता था, इसलिए उसने फकीर की बात मान ली। 
(ख) खजाने से भरा महल कैसे प्रकट हुआ ? 
उत्तर-  फ़कीर ने सूखी लकड़ियाँ जमा को और चकमक पत्थर से आग जलाई। आग जलाकर उसमें एक सुगंधित द्रव्य डाला, जिससे धुएँ का एक बादल उठा। बादल के फटते हो एक टोला दिखा। उस टीले के द्वार से आगे बढ़ने पर एक गुफ़ा मिली, जिसमें जिन्नों का बनाया एक महल प्रकट हुआ, जो असीम बहुमूल्य द्रव्यों से भरा हुआ था। 
(ग) खजाने के भवन से बाहर निकलने के पहले फ़कीर दूसरे कमरे में क्यों गया ? 
उत्तर- खजाने के भवन से बाहर निकलने के पहले फ़कीर दूसरे कमरे में रखी सोने की एक संदूकची में मौजूद लकड़ी से बनी एक डिबिया लेने गया , जिसमें एक प्रकार का मरहम भरा हुआ था । 
(घ) तंग दरें से बाहर निकलकर अब्दुल्ला क्या सोचने लगा ? 
उत्तर- तंग दरें से बाहर निकलकर अब्दुल्ला के लालच को उसके अपने मन के शैतान ने बढ़ा दिया था । उसने सोचा कि फ़कीर से रत्नों से लदे सारे ऊँट वापस ले लूँ , क्योंकि उस जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का महत्त्व फकीर से अधिक है । 
(ङ) फ़कीर ने मरहम की डिविया देते हुए अब्दुल्ला को क्या हिदायत दी ? 
उत्तर- फ़कीर ने मरहम की डिबिया देते हुए अब्दुल्ला को हिदायत दी थी कि अगर वह इसमें से थोड़ा मरहम बाई आँख में लगाएगा , तो उसे संसार के सारे गुप्त कोश या खजाने दिखाई देने लगेंगे , लेकिन यदि उसने इसे दाहिनी आँख में लगाया , तो वह सदैव के लिए दोनों आँखों से अंधा हो जाएगा । 
(च) खलीफा ने अब्दुल्ला को क्या आदेश दिया ?
उत्तर- खलीफा ने अब्दुल्ला को आदेश दिया कि अब वह जाकर सारी भिक्षुक-मंडली को अपना वृतांत सुनाए ताकि सभी को मालूम हो कि अत्यधिक लालन का क्या फल होता है ? खलीफ़ा ने अब्दुल्ला से कहा कि अब वह भीख माँगना छोड़ दे । वह उसे हर रोज़ अपने खजाने से पाँच रुपए दिया करेगा। यह व्यवस्था उसके जीवनभर के लिए होगी। 
 (छ) इस कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? 
उत्तर- इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि लालच बला है। अधिक लालच करने से हमारे पास जो कुछ होता है, हम उसे भी खो बैठते हैं, इसलिए भगवान ने जो कुछ हमको दिया है, उसी में संतोष करते हुए आनंदपूर्वक जीवन यापन करना चाहिए। 

लालच बुरी बला है-कहानी 'अलिफ़ लैला' से


बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ-बाप मर गए, तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवनभर आराम से रह सकता था, किंतु मैंने भोग-विलास में सारा धन शीघ्र ही उड़ा दिया। फिर मैंने जी-तोड़ परिश्रम कर धनार्जन किया और उससे अस्सी ऊँट खरीदे। मैं उन ऊँटों को किराए पर व्यापारियों को दिया करता था। उनके किराए से मुझे काफ़ी लाभ हुआ। एक बार हिंदुस्तान जाने वाले व्यापारियों का माल ऊँटों पर लादकर मैं बसरा ले गया वहाँ माल को जहाज़ों पर चढ़ाकर और अपना किराया तथा अपने ऊँट लेकर बगदाद वापस जाने लगा। रास्ते में एक बड़ा-सा हरा-भरा मैदान देखकर मैंने ऊँटों के पाँव बाँधकर उन्हें चरने छोड़ दिया और खुद आराम करने लगा। इतने में बसरा से बगदाद को जाने वाला एक फ़कीर भी मेरे पास आ बैठा। मैंने भोजन निकाला और उसे भी साथ में खाने को कहा। खाते-खाते हम लोग बातें भी करते जाते थे। उसने कहा, “तुम रात-दिन बेकार मेहनत करते हो। यहाँ से कुछ दूरी पर एक ऐसी जगह है, जहाँ अपार द्रव्य भरा पड़ा है। तुम इन अस्सी ऊँटों को बहुमूल्य रत्नों और अशर्फ़ियों से लाद सकते हो और वह धन तुम्हारे जीवनभर के लिए काफ़ी होगा।"
मैंने यह सुनकर उसे गले लगाया और यह जानना चाहा कि वह इससे कोई स्वार्थ सिद्ध तो नहीं करना चाहता है। मैंने उससे कहा, "तुम तो महात्मा हो, तुम्हें सांसारिक धन से क्या लेना-देना ? तुम मुझे वह जगह दिखाओ, तो मैं ऊँटों को रत्नादि से लाद लूँ। मैं वादा करता हूँ कि उनमें से एक ऊँट तुम्हें दे दूँगा।" मैंने कहने को तो कह दिया, किंतु मेरे मन में दूद्वंदूव होने लगा। कभी सोचता कि बेकार ही एक ऊँट उसे देने को कहा, कभी कि क्या हुआ, मेरे लिए उन्यासी ऊँट ही बहुत हैं। वह फ़कीर मेरे मन के द्वंद्व को समझ गया। उसने मुझे पाठ पढ़ाना चाहा और बोला, “एक ऊँट को लेकर मैं क्या करूँगा ? मैं तुम्हें इस शर्त पर वह जगह दिखाऊँगा कि तुम खजाने से लदे अपने ऊँटों में से आधे ऊँट मुझे दे दोगे। अब तुम्हारी मरजी है। तुम खुद ही सोच लो कि चालीस ऊँट क्या तुम्हारे लिए कम हैं ?" मैंने विवशता में उसकी बात स्वीकार कर ली। मैंने यह भी सोचा कि चालीस ऊँटों पर लादा गया धन ही मेरी कई पीढ़ियों के लिए काफ़ी होगा। हम दोनों एक अन्य दिशा में चले। एक पहाड़ के तंग दर्रे से निकलकर हम लोग पहाड़ों के बीच एक खुले पहुँचे। वह जगह बिल्कुल सुनसान थी। फ़कीर ने कहा, "ऊँटों को बिठा दो और मेरे साथ आओ।" मैं ऊँटों को बिठाकर उसके साथ गया। कुछ दूर जाकर फ़कीर ने सूखी लकड़ियाँ जमा करके चकमक पत्थर से आग निकाली और लकड़ियों को सुलगा दिया। आग जलने पर उसने अपनी झोली में से एक सुगंधित द्रव्य निकालकर आग में डाला। उसमें से धुएँ का एक जबरदस्त बादल उठा और वह एक ओर चलने लगा। कुछ दूर जाकर वह बादल फट गया और उसमें एक बड़ा टीला दिखाई दिया। जहाँ हम थे, वहाँ से टीले तक एक रास्ता भी बन गया। हम दोनों उसके पास पहुँचे तो टीले में एक द्वार दिखाई दिया। द्वार से आगे बढ़ने पर एक बड़ी गुफ़ा मिली, जिसमें जिन्नों का बनाया हुआ एक भव्य भवन दिखाई दिया। स्थान वह भवन इतना भव्य था कि मनुष्य उसे बना ही नहीं सकते थे। हम लोग उसके अंदर गए, तो देखा कि उसमें असीम द्रव्य भरा हुआ था। अशर्फ़ियों के एक ढेर को देखकर मैं उस पर ऐसे झपटा, जैसे किसी शिकार पर शेर झपटता है।


 मैंने ऊँटों की खुर्जियों में अशर्फ़ियाँ भरनी शुरू की। फ़कीर भी द्रव्य-संग्रह करने लगा, किंतु वह केवल रत्नों को भर रहा था। उसने मुझे भी अशर्फ़ियों को छोड़कर केवल रत्न उठाने को कहा। मैं भी ऐसा करने लगा। हम लोगों ने सारी खुर्जियाँ बहुमूल्य रत्नों से भर लीं। मैं बाहर जाने ही वाला था कि वह फ़कीर एक अन्य कमरे में गया और मैं भी उसके साथ चला गया। उसमें भाँति-भाँति की स्वर्ण निर्मित वस्तुएँ रखी थी। फ़कीर ने सोने को एक संदूकची खोली। उसमें से लकड़ी की एक डिबिया निकाली और उसे खोलकर देखा। उसमें एक प्रकार का मरहम रखा हुआ था। उसने डिबिया बंद करके अपनी जेब में रख ली। फिर उसने आग जलाकर उसमें सुगंधित द्रव्य डाला और मंत्र पढ़ा, जिससे वह महल, गुफा एवं टीला सभी गायब हो गए, जो उसने मंत्र बल से पैदा किए थे। अब हम लोग उसी मैदान में आ गए, जिसमें मेरे ऊँट बँधे बैठे थे। हमने सारे ऊँटों को खुर्जियों से लादा और वादे के अनुसार आधे-आधे ऊँट बाँटकर फिर उस तंग दरें से निकले जहाँ से होकर आए थे। बसरा और बगदाद के मार्ग पर पड़ने वाले मैदान में  पहुँचकर मैं अपने चालीस ऊँट लेकर बगदाद की ओर चला और फ़कीर चालीस ऊँट लेकर बसरे की ओर रवाना हुआ। मैं कुछ ही कदम चला था कि शैतान ने मेरे मन में लोभ भर दिया और मैंने पीछे की ओर दौड़कर फ़कीर को आवाज़ दी। वह रुका तो मैंने कहा, "साई जी ! आप तो भगवान के भक्त हैं। आप इतना धन लेकर क्या करेंगे ? आपको तो इससे भगवान की आराधना में कठिनाई ही होगी। आप अगर बुरा न मानें, तो मैं आपके हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का महत्त्व होता है।" फ़कीर इस पर मुसकराया और बोला, "अच्छा, दस ऊँट और ले जाओ।" जब फ़कीर ने अपनी इच्छा से बगैर हीला-हुज्जत किए दस ऊँट मुझे दे दिए, तो मुझे और लालच ने धर दबाया और मैंने सोचा कि इससे दस ऊँट और ले लूँ , इसे तो कोई फर्क पड़ना नहीं है। अतएव मैं उसके पास फिर गया और बोला, "साई जी आप कहेंगे कि यह आदमी बार-बार परेशान कर रहा है, लेकिन मैं सोचता हूँ कि आप जैसे संत महात्मा तीस ऊँटों को भी कैसे सँभालेंगे ? इससे आपकी साधना-आराधना में बहुत विघ्न पड़ेगा। इनमें से दस ऊँट मुझे और दे दीजिए।" फ़कीर ने फिर मुसकरा कर कहा, "तुम ठीक कहते हो, मेरे लिए बीस ऊँट ही काफ़ी हैं। तुम दस ऊँट और ले लो।" दस ऊँट और लेकर मैं चला, किंतु मुझ पर लालच का भूत बुरी तरह सवार हो गया था या यह समझो कि वह फ़कीर ही अपनी निगाहों और अपने व्यवहार से मेरे मन में लालच पैदा किए जा रहा था। मैंने अपने रास्ते से पलटकर पहले जैसी बातें कहकर और दस ऊँट उससे माँगे। उसने हँसकर यह बात भी स्वीकार कर ली और दस ऊँट अपने पास रखकर दस ऊँट मुझे दे दिए, किंतु मैं अभागा इतने से भी संतुष्ट न हुआ। मैंने बाकी दस ऊँटों का विचार अपने मन से निकालना चाहा, किंतु मुझे उनका ध्यान बना रहा। मैं रास्ते से लौटकर एक बार फिर उस फ़कीर के पास गया और बड़ी मिन्नतें करके बाकी के ऊँट भी उससे माँगे वह हँसकर बोल, "भाई, तेरी तो नीयत ही नहीं भरती। अच्छा यह बाकी दस ऊँट भी ले जा, भगवान तेरा भला करें।" सारे ऊँट पाकर भी मेरे मन का खोट न गया। मैंने उससे कहा, "साई जी आपने इतनी कृपा की है, तो वह मरहम की डिबिया भी दे दीजिए, जो आपने जिन्नों के महल से उठाई थी।" उसने कहा, " मैं यह डिबिया नहीं दूँगा ।" अब मुझे उसका लालच हुआ। मैं फ़कीर से उसे देने के लिए हुज्जत करने लगा। मैंने मन में निश्चय कर लिया था कि यदि फ़कीर ने अपनी इच्छा से वह डिबिया नहीं दी, तो मैं ज़बरदस्ती करके उससे डिबिया ले लूँगा। मेरे मन की बात को जानकर फ़कीर ने वह डिबिया भी मुझे दे दी और कहा, "तुम डिबिया जरूर ले लो, लेकिन यह जरूरी है कि तुम इस मरहम की विशेषता समझ लो। अगर तुम इसमें से थोड़ा-सा मरहम अपनी बाई आँख में लगाओगे, तो तुम्हें सारे संसार के गुप्त कोश दिखाई देने लगेंगे ।
अगर तुमने इसे दाहिनी आँख में लगाया, तो तुम सदैव के लिए अपनी दोनों आँखों से अंधे हो जाओगे। मैंने कहा, “साईं जी ! आप तो इस मरहम के पूरे जानकार हैं। आप ही इसे मेरी आँख में लगा दें। "फ़कीर ने मेरी बाई आँख बंद की और थोड़ा-सा मरहम लेकर पलक के ऊपर लगा दिया। मरहम लगते ही वैसा ही हुआ, जैसा उस फ़कीर ने कहा था यानी दुनिया भर के गुप्त और भूमिगत धन-कोष मुझे दिखाई देने लगे। मैं लालच में अंधा तो हो ही रहा था। मैंने सोचा कि अभी और कई खजाने होंगे, जो नहीं दिखाई दे रहे हैं। मैंने दाहिनी आँख बंद की और फ़कीर से कहा, "इस पर भी मरहम लगा दो ताकि बाकी खजाने भी मुझे दिखने लगें।" फ़कीर ने कहा, "ऐसी बात न करो, अगर दाहिनी आँख में मरहम लगा, तो तुम हमेशा के लिए अंधे हो जाओगे।" 
मेरी अक्ल पर परदा पड़ा हुआ था । मैंने सोचा कि यह फ़कीर मुझे धोखा दे रहा है। यह भी संभव है कि दाहिनी आँख में मरहम लग जाने से मुझे उस फ़कीर की शक्तियों के रहस्य मालूम हो जाएँ। वह फ़कीर बार-बार कहता रहा कि यह मूर्खता भरी ज़िद छोड़ो और मरहम को दाईं आँख में लगवाने की बात न करो, किंतु मैं यही समझता रहा कि वह स्वार्थवश ही मेरी दाई आँख में मरहम नहीं लगा रहा है।" उसने मुझसे कहा, " भाई, तू क्यों ज़िद कर रहा है ? मैंने तेरा जितना लाभ कराया है, क्या उतनी ही हानि मेरे हाथ से उठाना चाहता है ? मैं एक बार भलाई करके अब तेरे साथ बुराई क्यों करूँ ?" किंतु मैंने कहा, "जैसे आपने अभी तक मेरी हर ज़िद पूरी की, वैसे ही आखिरी ज़िद भी पूरी कर दीजिए। अगर इससे मेरी कोई हानि होगी, तो उसकी जिम्मेदारी मुझ पर ही होगी, आप पर नहीं। "फ़कीर ने कहा, " अच्छा, तू अपनी बरबादी चाहता है, तो वही सही । यह कहकर उसने मेरी दाहिनी आँख की पलक पर भी उस मरहम को लगा दिया। मरहम लगते ही मैं बिल्कुल अंधा हो गया। मुझे अपार दुख हुआ। मुझे अपनी मूर्खता भी याद न रही। मैंने फ़कीर को भला-बुरा कहना शुरू किया और कहा, "अब यह सारा धन मेरे किस काम का ? तुम मुझे अच्छा कर दो और अपने हिस्से के चालीस ऊँट लेकर चले जाओ।" उसने कहा, " अब कुछ भी नहीं हो सकता, मैंने तुम्हें पहले ही चेतावनी दी थी।" मैंने उससे बहुत अनुनय-विनय की, तो वह बोला, “मैंने तो तुम्हारी भलाई का भरसक प्रयत्न किया था और तुम्हें हमेशा सत्परामर्श ही दिया था, किंतु तुमने मेरी बातों को कपटपूर्ण समझा और गलत बातों के लिए जिद की। अब जो कुछ हो गया है, वह मुझसे ठीक नहीं हो सकता। तुम्हारी दृष्टि कभी वापिस नहीं लौटेगी। "मैंने उससे गिड़गिड़ाकर कहा, " साई जी, मुझे अब कोई लालच नहीं रहा । आप शौक से धन-संपदा और मेरे सभी अस्सी ऊँट ले जाइए, सिर्फ मेरी आँखों की ज्योति वापस दिला दीजिए।" उसने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि सारे ऊँट और उन पर लदी हुई संपत्ति लेकर वह बसरा की ओर चल दिया। ऊँटों के चलने की आवाज सुनकर मैं चिल्लाया, "साई जी इतनी कृपा तो कीजिए कि इस जंगल में इसी दशा में न छोड़िए। अपने साथ मुझे भी ले चलिए। रास्ते में कोई व्यापारी बगदाद जाता हुआ मिलेगा, तो मैं उसके साथ हो लूँगा।" किंतु उसने मेरी बात न सुनी और चला गया। अब मैं अँधेरे में और भूख-प्यास से तड़पने लगा। इधर-उधर भटकने लगा। मुझे मार्ग का भी ज्ञान न था कि पैदल ही चल देता। अंत में थककर गिर गया। सौभाग्य से दूसरे ही दिन व्यापारियों का एक दल बसरा से बगदाद को जाते हुए उस मार्ग से निकला। वे लोग मेरी हालत पर तरस खाकर मुझे बगदाद ले आए। अब मेरे सामने इसके अलावा कोई रास्ता नहीं रहा कि मैं भीख माँगकर पेट पालूँ। मुझे अपनी लालच और मूर्खता का इतना खेद हुआ कि मैंने कसम खा ली कि किसी से भीख नहीं लूँगा। उसकी दर्द भरी कहानी सुनकर खलीफ़ा ने कहा, “ तुम अपनी हालत के लिए खुद ज़िम्मेदार हो, अल्लाह तुम्हें माफ़ करे । अब तुम जाकर सारी भिक्षुक-मंडली को अपना वृत्तांत बताओ ताकि सभी को मालूम हो कि लालच का क्या फल होता है । अब तुम भीख माँगना छोड़ दो । मेरे खज़ाने से तुम्हें हर रोज़ पाँच रुपए मिला करेंगे और यह व्यवस्था तुम्हारे जीवनभर के लिए होगी। "बाबा अब्दुल्ला ने ज़मीन से सिर लगाकर कहा, "सरकार के आदेश का मैं खुशी से पालन करूँगा ।"



कविता का भावार्थ 'प्रियतम' कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

भावार्थ (सार) :
प्रस्तुत 'प्रियतम' नामक प्रेरणादायी कविता में एक कर्मठ किसान और प्रतिक्षण नारायण नाम का स्मरण करने वाले नारद मुनि के बारे में बताया गया है । एक बार नारद मुनि ने भगवान विष्णु से पूछा कि उनका सर्वाधिक प्रिय भक्त कौन है ? भगवान विष्णु ने एक किसान को अपना प्रिय भक्त बताया , जो दिन में केवल तीन बार ही राम जी का नाम लेता था। नारद मुनि उसकी परीक्षा लेने पृथ्वीलोक पहुँचे। नारद जी ने देख की वह सज्जन किसान दिन में तीन बार ही अपने इष्ट का नाम लेता है। यह देख  वह वापस बैकुंठ धाम पहुँचे पर विष्णु जी से कुछ कह पाते उससे पहले ही भगवान विष्णु ने उन्हें एक तैलपूर्ण पात्र देकर भूमंडल की परिक्रमा करने का आदेश दिया और कहा कि इस पात्र से एक बूँद भी तेल की नीचे न गिरने पाए । परिक्रमा करके जब नारद वापस विष्णु लोक पहुँचे तो विष्णु भगवान ने नारद जी से पूछा- “ तेल-पात्र लेकर भूमंडल की परिक्रमा करते समय उन्होंने कितनी बार अपने इष्ट का नाम लिया ?" नारद ने कहा कि एक बार भी नहीं, क्योंकि उन्हें जो कार्य दिया गया था, उसी में उनका ध्यान लगा रहा। भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि किसान भी सांसारिक दायित्वों निर्वाह कर रहा है, फिर भी दिन में तीन बार अपने इष्ट का नाम लेता है, इसलिए वह मेरा सर्वाधिक प्रिय भक्त है। इस प्रकार नारद ने कर्म का महत्त्व समझा।
कविता का भाव:
ईश्वर का सच्चा भक्त वही होता है, जो अपने सभी कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करता है। भक्ति का सच्चा स्वरूप, कर्म करते हुए ईश्वर का नाम स्मरण करने में निहित है। भगवान विष्णु ने उस किसान को अपना प्रिय भक्त माना, जो सुबह से शाम तक खेती करते हुए, अपने सांसारिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करते हुए, दिन में केवल तीन बार अपने इष्ट देव के मधुर नाम का स्मरण करता है।

Question Answers कविता 'प्रियतम' कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) भगवान विष्णु ने अपना प्रियतम किसे बताया ? 
उत्तर- भगवान विष्णु ने अपना प्रियतम भक्त एक सज्जन किसान को बताया। 
(ख) भगवान विष्णु क्या सुन कर हँसे ? 
उत्तर- भगवान विष्णु नारद की यह बात सुनकर हँसे कि वे उस किसान की परीक्षा लेना चाहते हैं। 
(ग) नारद किसान की परीक्षा लेने कहाँ पहुँचे ? 
उत्तर- नारद किसान की परीक्षा लेने उसके घर पर पहुँचे। 
(घ) नारद ने तैल-पूर्ण पात्र लेकर किसकी परिक्रमा की ? 
उत्तर- नारद ने तेल-पूर्ण पात्र लेकर समस्त भूमंडल की परिक्रमा की।
(ङ) अंत में नारद ने किस सत्य को स्वीकार किया ? 
उत्तर- -अंत में नारद ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि वह किसान कई उत्तरदायित्व  निभाते हुए भी प्रभु का नाम लेता है, इसलिए वह भगवान का प्रियतम भक्त है। 

2. लघु उत्तरीय प्रश्न:
(क) नारद विष्णु जी के पास किसलिए गए थे ?
उत्तर- नारद विष्णु के पास यह जानने के लिए गए थे कि मृत्यु लोक में उनका प्रधान भक्त कौन है ?
(ख) नारद किसान की परीक्षा क्यों लेना चाहते थे ?
उत्तर- नारद किसान के परीक्षा इसलिए लेना चाहते थे ताकि वे जान सकें कि विष्णु जी ने उसे ही अपना प्रधान भक्त क्यों कहा है ?
(ग) नारद क्या देखकर चकरा गए ? 
उत्तर- नारद यह देखकर चकरा गए कि जिस किसान को विष्णु जी ने अपना परम भक्त माना है, उस किसान ने दिन भर में केवल तीन बार ही अपने इष्ट को याद किया। 
(घ) इस कविता को पढ़कर आपके मन में क्या विचार उमड़े ?
उत्तर- इस कविता को पढ़कर हमारे मन में यह विचार उमड़ते हैं कि हम चाहे जो भी काम करें मगर किसी भी समय हमें ईश्वर को नहीं भूलना चाहिए तथा उनका स्मरण करते रहना चाहिए। साथ ही अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करना चाहिए। 

3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
(क) किसान भगवान का नाम किस-किस समय लिया करता था ? 
उत्तर- किसान प्रातः काल खेतों पर जाने से पहले दोपहर में घर के दरवाजे पर पहुँचकर और फिर शाम को खेतों से आकर घर के दरवाजे पर आकर अर्थात दिन में कुल तीन बार ही भगवान का नाम लिया करता था। 
(ख) "फिर भी भगवान को किसान ही याद आया ! 
(i) कविता की यह पंक्ति किसके द्वारा किस संदर्भ में कही गई है ? 
उत्तर- कविता की यह पंक्ति नारद जी ने नारद जी द्वारा तब कही गई है, जब उन्होंने किसान की परीक्षा लेने के दौरान देखा कि वह किसान दिन में केवल तीन बार ही भगवान का नाम लेता है। 
(ii) इस पंक्ति से नारद जी के मन की कौन-सी भावना उभरकर सामने आती है ? 
उत्तर- इस पंक्ति से नारद के मन में मौजूद आश्चर्य एवं स्वयं को बड़ा भक्त मानने संबंधी अभिमान की भावना उभर कर सामने आती है। 
(ग) विष्णु जी ने नारद जी को कौन-सा काम सौंपा और क्यों ? 
उत्तर- विष्णु जी ने नारद जी को कहा कि वे तेल पूर्ण पात्र लेकर पूरे भूमंडल की परिक्रमा करके आएँ, क्योंकि यह काम उनके अलावा कोई और नहीं कर सकता है। 
(घ) नारद जी को तेलपूर्ण पात्र देते हुए विष्णु जी ने क्या निर्देश दिया ? 
उत्तर- नारद जी को तेल पूर्ण पात्र देते हुए विष्णु जी ने यह निर्देश दिया कि इस पात्र से तेल की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने पाए। 
(ङ) विष्णु जी ने किसान की क्या विशेषता बताई ? 
उत्तर- विष्णु जी ने किसान की विशेषता बताते हुए कहा कि वह अपने अनेक उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए भी अपने इष्ट का नाम लेना कभी नहीं भूलता है। 
(च) कविता में किसान की भक्ति को नारद की भक्ति की अपेक्षा श्रेष्ठ बताकर कवि क्या प्रमाणित करना चाहते हैं ? 
उत्तर- कविता में किसान की भक्ति को नारद की भक्ति की अपेक्षा श्रेष्ठ बताकर कवि  यह प्रमाणित करना चाहते हैं कि श्रेष्ठ वे हैं, जो अपने कर्तव्यों को पूरा करते हुए भगवान का स्मरण करते हैं, न कि अपने कर्तव्यों को छोड़कर। कवि के अनुसार हमारे कर ईश्वर द्वारा ही प्रदत हैं अतः उन्हें करना ही हमारी सच्ची पूजा है। 

Friday, 27 May 2022

MCQ Based On Anusvar अनुस्वार पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न

अनुस्वार पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. अनुस्वार के उचित प्रयोग वाला शब्द है -
(क) i. जगंल   
       ii. जँगल  
       iii. जंगल 
       iv. जगँल 
उत्तर- iii. जंगल 
(ख) i. संभावना  
      ii. सुंगधित 
     iii. असभंव 
     iv. हंसना 
उत्तर- i. संभावना  
(ग) i. सयंम 
     ii. मदांकिनी 
    iii. संगति 
    iv. कुडंली 
उत्तर- iii. संगति 
(घ) i. दण्ड 
     ii. दंड 
    iii. दन्ड 
    iv दडं 
उत्तर- ii. दंड 
(ङ) i. महामन्त्री 
      ii. महानमंत्री 
     iii. मांहमंत्री 
     iv. महामंत्री 
उत्तर- iv. महामंत्री 
(च) i. संगमरमर 
      ii. सगंमरमर 
     iii. सगमंरमर 
     iv. सगमरमंर
उत्तर-  i. संगमरमर 
(छ) i. अंत्यत 
      ii. चंदन 
     iii. भाँति 
     iv. मँडली 
उत्तर- ii. चंदन 
2. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग हुआ है -
(i) गणतत्र
(ii) ध्वनिया
(iii) गणतंत्र
(iv) ध्वनियां
उत्तर- (iii) गणतंत्र
3. 'सन्धि' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) सँधि
(ii) सधि
(iii) सधी
(iv) संधि
उत्तर- (iv) संधि
4. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) कंपन
(ii) कम्पन
(iii) कगंन
(iv) पुयं
उत्तर- (i) कंपन
5. 'सम्बन्ध' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
 (i) सबध
(ii) संबध
(iii) संबंध
(iv) सबंध
उत्तर- (iii) संबंध
6. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) सुंदर
(ii) सुँदर
(iii) सुदंर
(iv) सुदर
उत्तर- (i) सुंदर
7. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग हुआ है -
(i) गगां
(ii) गंगा
(iii) अकं
(iv) सुंदरं
उत्तर- (ii) गंगा
8. 'अङ्क' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) अकं
(ii) अक
(iii) अंक
(iv) अन्क
उत्तर- (iii) अंक
9. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द को छाँटिए -
(i) नाँद
(ii) अकं
(iii) पसंद
(iv) कचनं
उत्तर- (iii) पसंद
10.  निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) कितु
(ii) परंतु
(iii) नीदं 
(iv) नीद
उत्तर- (ii) परंतु
11.  निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) कंगन
(ii) गगा
(iii) पथ
(iv) बिदु
उत्तर- (i) कंगन
12. 'पन्थ' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) पंथ
(ii) पथं
(iii) पथ
(iv) पँत
उत्तर- (i) पंथ
13. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) शब्द
(ii) मुंबई
(iii) अकं
(iv) प्रारभ
उत्तर- (ii) मुंबई
14. 'कण्ठ' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) कणठ
(ii) कंठ
(iii) कठं
(iv) कन्ठ
उत्तर- (ii) कंठ
15. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) मत्रं
(ii) दिनाक
(iii) श्रृंगार
(iv) प्रसन
उत्तर- (iii) श्रृंगार
16. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) वाद्य यत्रं
(ii) श्रृगार
(iii) वाद्य यंत्र
(iv) सपन्न
उत्तर- (iii) वाद्य यंत्र
17. 'घण्टी' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) घटी
(ii) घंटी
(iii) घन्टी
(iv) घँटी
उत्तर- (ii) घंटी
18. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) प्रसन
(ii) गेंद
(iii) चोच
(iv) लबां 
उत्तर- (ii) गेंद
19. 'मण्डल' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) मंडल
(ii) मॉडल
(iii) मडल
(iv) मँडल
उत्तर- (i) मंडल
20. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) गंध
(ii) सुगधिंत
(iii) सुगध
(iv) गँध
उत्तर- (i) गंध
21. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) कंपन
(ii) कचनं
(iii) पतग
(iv) दिनाकं
उत्तर- (i) कंपन
22. 'गङ्गा' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) गगां
(ii) गन्गा
(iii) गंगा
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (iii) गंगा
23. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) चँचल
(ii) प्रसन
(iii) मंजुला
(iv) सुँदर
उत्तर- (iii) मंजुला
24. 'प्रारम्भ' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) प्रारंभ
(ii) प्रारभं
(iii) प्रांरम्भ
(iv) प्रांरंभ
उत्तर- (i) प्रारंभ
 25.  निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) पख
(ii) शंख
(iii) सँकर
(iv) शँख
उत्तर- (ii) शंख
26. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) वाड्.मय
(ii) अन्य
(iii) चिन्मय
(iv) रंग
उत्तर- (iv) रंग
27. 'अन्गूर' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) अगूंर
(ii) अंगूर
(iii) अगूरं
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ii) अंगूर
28. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) गगां
(ii) बंदर
(iii) अगूँर
(iv) लगूंर
उत्तर- (ii) बंदर
29. 'रङ्क' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) रंक
(ii) रकं
(iii) रनक
(iv) रँक
उत्तर- (i) रंक
30.निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) सतं
(ii) पतगं
(iii) अंत
(iv) चचल
उत्तर- (iii) अंत
31. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) चम्मच
(ii) प्रयत्न
(iii) मंगल
(iv) घटो
उत्तर- (iii) मंगल
32. 'शङ्कर' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) शंकर
(ii) शकंर
(iii) शकँर
(iv) शँकर
उत्तर- (i) शंकर
33. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) पंतंग
(ii) झन्डा
(iii) डंडा
(iv) पँकज
उत्तर- (iii) डंडा
34. 'सञ्जय' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) संजय
(ii) सँजय
(iii) सजंय
(iv) सजन्य
उत्तर- (i) संजय
35. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) संपत्ति
(ii) दपत्तिं
(iii) अतं
(iv) संपत्तिं
उत्तर- (i) संपत्ति
36. निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) हिदी
(ii) पजाब
(iii) बगंला
(iv) बंगला
उत्तर- (iv) बंगला
37. 'मन्दिर' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) मंदिर
(ii) मदिंर
(iii) मँदिर
(iv) मन्दिरं
उत्तर- (i) मंदिर
38. निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) नँदन
(ii) लदंन
(iii) चंदन
(iv) चँदन
उत्तर- (iii) चंदन
39. 'लम्बा' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) लंबा
(ii) लँबा
(iii) लबां
(iv) लन्बा
उत्तर- (i) लंबा
40. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) मतंर
(ii) मत्र
(iii) अंतर
(iv) अतरं
उत्तर- (iii) अंतर
41. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) गोद
(ii) चोंच
(iii) मोच
(iv) दोनो
उत्तर- (ii) चोंच
43.  'आन्नद' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) आनंद
(ii) आंनद
(iii) आनँद
(iv) आँनद
उत्तर- (i) आनंद
44.  निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) सुगंध
(ii) सुगँध
(iii) सुगधं
(iv) सुगन्धं
उत्तर- (i) सुगंध
45. 'प्रबन्ध' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) प्रबधं
(ii) परबंध
(iii) प्रंबंध
(iv) प्रबंध
उत्तर- (iv) प्रबंध
46. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) विडंबना
(ii) कचना
(iii) तड़पना
(iv) दिनाँक
उत्तर- (i) विडंबना
47. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) विद्वान्स
(ii) दिव्याश
(iii) हंस
(iv) परिहाँस
उत्तर- (iii) हंस
48.  'नारङ्गी' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) नारँगी
(ii) नारंगी
(iii) नारँगि
(iv) नांरगी
उत्तर- (ii) नारंगी
49.  निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) पथ
(ii) दत
(iii) संत
उत्तर- (iii) संत
50.  'सन्तरा' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) संतरा
(ii) सनंतर
(iii) सतंरा
(iv) सतराँ
उत्तर- (i) संतरा
51. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) मगल
(ii) बंधन
(iii) काचं
(iv) बँधन
उत्तर- (ii) बंधन
52. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) सगंति
(ii) अत्यंत
(iii) पडित
(iv) पजांब
उत्तर- (ii) अत्यंत
53. 'निमन्त्रण' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) निमन्त्रं
(ii) निमँत्रण
(iii) निमंत्रण
(iv) निंमन्त्रं
उत्तर- (iii) निमंत्रण
54. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) आतंक
(ii) आंतंक
(iii) आतक
(iv) आँतक
उत्तर- (i) आतंक
55. 'असम्भव' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) अंसभव
(ii) असँभव
(iii) असम्भंव
(iv) असंभव
उत्तर- (iv) असंभव
56. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) पडित
(ii) मत्र
(iii) पतंग
(iv) शख
उत्तर- (iii) पतंग
57. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) सुगँधित
(ii) गध
(iii) सुंगध
(iv) सुगंधित
उत्तर- (iii) सुंगध
58. 'पण्डित' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) पंडित
(ii) पडित
(iii) पंडिंत
(iv) पंडिण्त
उत्तर- (i) पंडित
59. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) पतग
(ii) हलंत
(iii) हरिनद
(iv) नाँद
उत्तर- (ii) हलंत
60. 'कुण्डली' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) कुँडली
(ii) कुंडली
(iii) कुडंली
(iv) कुंडंली
उत्तर- (ii) कुंडली
61. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) स्वंयं
(ii) स्वयम
(iii) स्वँय
(iv) स्वयं
उत्तर- (iv) स्वयं
62. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) क्यो
(ii) नींद
(iii) नही
(iv) नीद
उत्तर- (ii) नींद
63.'सङ्गति' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) संगति
(ii) सँगति
(iii) सगंति
(iv) संग्ङति
उत्तर- (i) संगति
64. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) दात
(ii) कंठ
(iii) कांन
(iv) आख
उत्तर- (ii) कंठ
65. 'दण्डित' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) दण्डिन्त
(ii) दडिंत
(iii) दंडिंत
(iv) दंडित
उत्तर- (iv) दंडित
66. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) खंड
(ii) दड
(iii) खाड
(iv) दाढ़
उत्तर- (i) खंड
67. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) सगंम
(ii) व्यजन
(iii) तुग
(iv) संगमरमर
उत्तर- (iv) संगमरमर
68. 'अलङ्कार' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) अलकार
(ii) अंलकार
(iii) अलंकार
(iv) अंलंकार
उत्तर- (iii) अलंकार
69. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) कगना
(ii) बिदु
(iii) वीरांगना
(iv) रग
उत्तर- (iii) वीरांगना
70. 'मण्डली' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) मंडली
(ii) मडंली
(iii) मँडली
(iv) मण्डंलि
उत्तर- (i) मंडली
71. निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) सदेश
(ii) सजंय
(iii) संपूर्ण
(iv) चपक
उत्तर- (iii) संपूर्ण
72. निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) भ्रांति
(ii) क्राति
(iii) भ्राँति
(iv) क्राँति 
उत्तर- (i) भ्रांति
73.  'सन्तुलन' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) सतुंलन
(ii) संतुलन
(iii) संतुंलन
(iv) सतुलाँन
उत्तर- (iii) संकलित
74. निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) परतु
(ii) सतुंलन
(iii) संकलित
(iv) कितु
उत्तर- (iii) संकलित
75. 'दन्त' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) दंत
(ii) दन्तं
(iii) दँत
(iv) दतं
उत्तर- (i) दंत
76. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) कंधा
(ii) कघा
(iii) सग
(iv) दात  
उत्तर- (i) कंधा
77. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) अलकार
(ii) अंधकार
(iii) अधंकार
(iv) अँधकार
उत्तर- (ii) अंधकार
78. 'मन्दाकिनि' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) मन्दाकिन्नी
(ii) मंदनकिनी
(iii) मंदाकिनी
(iv) मदाकिनी
उत्तर- (iii) मंदाकिनी
79. निम्न शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए -
(i) कुआ
(ii) यहा
(iii) अलकनंदा
(iv) भाषाए
उत्तर- (iii) अलकनंदा
80. 'सन्स्कार' में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए -
(i) संस्कार
(ii) सँस्कार
(iii) संसकार
(iv) सस्कार
उत्तर- (i) संस्कार
81. निम्न शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए -
(i) कितु
(ii) परतु
(iii) तंबू
(iv) सक्षिंप्त 
उत्तर- (iii) तंबू
82. निम्न शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है -
(i) नालँदा
(ii) मनोरंजन
(iii) अतर
(iv) संक्षिप्त 
उत्तर- (iv) संक्षिप्त 



Thursday, 26 May 2022

राष्ट्रपति भवन में प्रवेश Question Answers

रामस्वामी वेंकटरमन
लेखक परिचय :
रामस्वामी वेंकटरमन का जन्म 4 दिसंबर , 1910 को तमिलनाडु के राजमदम गाँव में हुआ 'भारत छोड़ो आंदोलन, में शामिल होने के कारण इन्हें जेल जाना पड़ा। 1950 में अंतरिम संसद के सांसद बने। 1957 से 1967 तक मद्रास राज्य में मंत्री रहे। 
केंद्रीय वित्तमंत्री और रक्षामंत्री रहे । भारत के उपराष्ट्रपति तथा राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया। लेखन कला का भी शौक था। 'जब मैं राष्ट्रपति था ' इनकी चर्चित कृति है । 
शब्दार्थ:
भव्यतम-सबसे सुंदर 
श्रद्धांजलि -श्रद्धा प्रकट करना 
चुनिंदा - चुने हुए 
समारोही-समारोह से संबंधित 
अधिसूचना- सरकार द्वारा जारी सूचना 
निर्वतमान-पद से हट जाने वाला 
विधिवत- विधि के अनुसार 
तुमुलनाद- शोरगुल की आवाज़ 
सामान्य -साधारण 
संरचना - बनावट

https://youtu.be/5oYiO03G8DM



1. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) वेंकटरमन कब राष्ट्रपति बने ? 
उत्तर- 25 जुलाई, 1987 को वेंकटरमन राष्ट्रपति बने। 
(ख) राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पूर्व उन्होंने पहला कार्य क्या किया ? 
उत्तर- राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पूर्व उन्होंने पहला कार्य राजघाट पर जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने का किया। 
(ग) शपथ ग्रहण समारोह के लिए कौन-सा समय चुना गया था ? 
उत्तर- शपथ-ग्रहण समारोह के लिए दोपहर सवा बारह बजे का समय तय हुआ था। 
(घ) समारोह कहाँ पर हुआ ? 
उत्तर- समारोह संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ। 
(ङ) गोलाकार हॉल में मंच के सामने किनकी तस्वीरें लगी थी ?
उत्तर- गोलाकार हॉल में मंच के सामने महात्मा गांधी और दूसरे राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरें लगीं हुई थीं। 
2. लिखित 
(क) रामस्वामी वेंकटरमन से पूर्व भारत के राष्ट्रपति कौन थे ? उन्होंने कितने समय तक यह पद संभाला ?
उत्तर- रामस्वामी वेंकटरमण से पूर्व भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह थे। उन्होंने 25 जुलाई, 1982 से 25 जुलाई, 1987 तक राष्ट्रपति पद को संभाला। 
(ख) घुड़सवार फौज का वर्णन कीजिए। 
उत्तर- घुड़सवार फौज के जवान लाल और सफ़ेद पताकाओं के साथ थे। उनके भाले और तलवार तेज धूप में चमक रहे थे। उनके बेहतरीन अरबी घोड़ों का रंग एक-सा था और वह अपने सवारों से कम विशिष्ट नहीं थे। वे सब 15 हाथ से ज्यादा ऊँचे थे। 
(ग) राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के विषय में इस संस्करण में क्या लिखा गया है ?
उत्तर- राष्ट्रपति के अंगरक्षक गर्मियों की समारोही पोशाक में थे। उन्होंने नीला और सुनहरा साफ़ा, सफेद लंबा कोट जिसमें सुनहरी पेटी बँधी हुई थी, सफ़ेद दस्ताने और चमकदार एड़ियों वाले काले नेपोलियन बूट पहने हुए थे। वे सभी अफसर छह फीट और उससे ज्यादा लंबे थे। वे राष्ट्रपति के दोनों ओर से कदम-से-कदम मिलाकर चल रहे थे। 
(घ) रामस्वामी वेंकटरमण के शपथ ग्रहण समारोह का वर्णन स्वयं अपने शब्दों में कीजिए। 
उत्तर- शपथ समारोह वाले दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति स्वामी वेंकटरमन तथा ज्ञानी जैल सिंह छह दरवाजे वाली चमकती कार में सवार होकर संसद भवन पहुँचे। संसद हॉल में प्रधानमंत्री, उनका मंत्रिमंडल, राज्यपाल, राजनयिक वर्ग, राजनीतिक दलों के नेता और सांसद बैठे हुए थे। साथ ही रामास्वामी वेंकटरमण के बाईं ओर वेंकटरमन का परिवार तथा ज्ञानी जैलसिंह का परिवार भी वहाँ बैठा हुआ था। मंच पर स्वामी वेंकटरमन व ज्ञानी जैल सिंह के साथ भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आर.एस. पाठक, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के उपाध्यक्ष भी मौजूद थे। राष्ट्रगान बजाया गया। फिर गृह सचिव आगे आए और निर्वतमान राष्ट्रपति से कार्यवाही शुरू करने की आज्ञा माँगी। इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग की अधिसूचना पढ़ी, जिसमें घोषित किया गया था कि रामस्वामी वेंकटरमण भारत के विविध चुने गए राष्ट्रपति हैं। ठीक सवा बारह बजे, मुख्य न्यायाधीश ने शपथ पत्र का मूल पाठ पढ़ा। जब शपथ दिलाई जा रही थी तब ज्ञानी जैलसिंह रामस्वामी वेंकटरमण के कुर्सी पर आकर बैठ गए और शपथ लेने के बाद रामस्वामी वेंकटरमण उनकी कुर्सी पर बैठ गए। वहाँ मौजूद भारी जनसमूह की तालियों का तुमुल-नाद कई मिनटों तक सुनाई देता रहा।  

Wednesday, 25 May 2022

Tuesday, 24 May 2022

सरप्राइज -लघु कथा


मोहन बाबू ने कमरे में घुसते ही कहा....सरप्राइज..सरप्राइज क्या सरप्राइज है पापा ?? सुमित उत्सुकता से बोला। 
सुमित और तान्या ! ये लो बगल वाली सोसायटी में 2BHK फ्लैट तुम्हारे लिये,
क्या ....?
ये आप क्या कह रहे हैं पापा.....?
हमारे लिए अलग से फ्लैट...?
हम यहाँ खुश है पापा। क्यों तान्या .....?
हाँ, पापा... सुमित सही कह रहा है, मुझे यहाँ कोई दिक्कत नहीं है, तान्या बोली। 
इससे पहले मोहनबाबू कुछ बोलें सुमित बीच में बोल पड़ा और पापा ! हर माँ- बाप चाहते हैं, कि उनकी औलाद उनके पास रहे तो आपकी ये अलग फ्लैट वाली बात और इतने पैसे कहाँ से आए आपके पास ?
बेटा बात ऐसी है, तुम्हारी शादी के लिए.. बहुत कुछ जोड़कर रखा था, तुम हमारे इकलौते बेटे जो ठहरे । बड़े अरमान थे।  ये करूँगा, वो करूँगा .... सब धरे के धरे रह गए, क्योंकि तुमने लव मैरिज जो कर ली, तो शादी के तामझाम में होनेवाला मेरा खर्चा बच गया, तो उसी से तुम दोनों के लिए एक फ्लैट ले लिया। तुम दोनों कमाते हो, दोनों सुबह ऑफिस निकल जाते हो, EMI है कुछ सालों की, भर दिया करना, और कल को बच्चे होंगे, तो उनके भविष्य के लिए.. अपना मकान होना बड़ी बात होगी..। लो संभालो पेपर्स कहकर मोहनबाबू ने पेपर्स सुमित और तान्या को दे दिए... आखिर दोनों ने पहले तो न नुकुर की, मगर जब.. मोहनबाबू जिद पर अड़े रहे, तो अलग फ्लैट में रहने के लिए राजी हो गए, अपना समान लिए बगल वाली सोसायटी में शिफ्ट हो गए। 
उसी रात सुधा ने मोहनबाबू से पूछा .....एक बात पूछूं ....?? हाँ,  पूछो न सुधा .....ये अलग फ्लैट दिलाने की....मेरा मतलब..आपको तो.. सुमित की पसंद भी स्वीकार थी, फिर तान्या को अपने से दूर करने की बात.... मुझे कुछ अटपटी सी लग रही है...सुधा ....अटपटी सी बात जरूर है मगर.. बात बड़ी गहरी है ,जानती हो सुधा ....बचपन से तुमने.. सुमित की हर तमन्नाओं को.. गैर जरूरी इच्छाओं को.. हर बार पूरा किया मेरे मना करने के बावजूद ..... इससे वह थोड़ा अडियल जिद्दी सा हो गया था,अपनी मनमर्जी करना, यहां तक की.. उसने हमारे बिना पूछे.. हमारे बिना देखे.. एक अलग ही समाज की लडकी से.. गुपचुप शादी तक कर ली.....बच्चे बड़े होकर अपने जिंदगी के फैसले खुद लेते हैं, ठीक है मगर.. क्या हम दोनों.. उसके दुश्मन थे ? जो हमें बताना भी मुनासिब नहीं समझा...खैर.. मैं उसका यहां भी बचपना समझकर चुप कर गया, बहु को स्वीकार किया, बेटी की तरह मान दिया।मगर उसने...यहां आकर हमें अपनाया... नहीं ! ब्लकि वो तुम्हें और मुझे.. एक सर्वेंट समझने लगी थी.....स्वयं से कभी चाय नही बनाकर पिलाई.....आँफिस जाते समय ....मम्मी आज राजमा चावल....आलू गोभी ....कभी ये कभी वो....और वो नालायक सुमित .... उसे भी शायद हम दोनों नौकर ही लगने लगे थे ....मुझे तो आदत है बाहर से समान वगैरह लेकर आने की मगर तुम्हें ....अब हम बूढ़े हो रहे है सुधा और बुढापे मे हर माँ-बाप अपने बेटे बहुओं से उम्मीद करते हैं वो उनके लिए जिए उनके साथ जिए यहां तो तुम्हारे साथ जरा-सा नमक तेज होने पर बदतमीजी होने लगी थी ....उस दिन टी.वी देखते हुए अचानक तान्या ने टी.वी बंद कर दिया था बिजली बिल बढ़ जाएगा कहकर ...अरे अपने घर में अपने टी.वी पर मनपसंद प्रोग्राम नहीं देख सकते क्या हम ?....मुझे तुम्हारे लिए बहुत बुरा लगा था। .....मैंने उसे समझाया तो बोली.... घरखर्च हम चलाते हैं बजट बनाकर चलना होगा.....तुम और मैं ....हमारे लिए तो हमारी पेंशन ही काफी है और साथ वाला कमरा किराए पर दे देने से हमें एक्सट्रा इनकम भी हो जाएगी जिस पर वह दोनों रहकर अपना हक जमा रहे हैं। .....देखो ....अब ऐसे तो वो यहाँ से जाते नहीं तो मैंने ये फ्लैट वाली स्कीम खेली ....दोनों लालच में चले गए अब भरेंगे हर महीने ई.एम.आई ....वहाँ का बिजली बिल मेंटेनेंस वगैरह ....स्वयं बनाकर खाऐंगे या होटलों से मंगवा कर तब पता चलेगा माँ बाप क्या होते हैं उनके होने ना होने का फर्क..... मगर .....ये सब करना जरुरी था क्या??.....सुधा .....जब मरीज डायबिटीज का हो तो उसे करेले का जूस देकर ठीक किया जाता है, मीठी-मीठी जलेबी नहीं देते .....और वैसे भी कहीं दूर नही भेजा उन्हें पास की सोसायटी में रहेंगे तो हम उनके आसपास ही तो रहेंगे कल यदि वह अपनी गलतियों से सीखकर हमारे साथ रहना चाहेंगे तो कुछ शर्तों के साथ उन्हें साथ मे भी रखेंगे .....और यदि वह अपने स्वभाव में बदलाव नहीं करते तो ...सुधाजी ने प्रश्न दागते हुए कहा तो.....हम दोनों तो है न ....पहले भी थे आज भी है ....साथ खाऐंगे .....रहेंगे ....मगर स्वाभिमान के साथ ...इस बार सुधा जी भी.. मोहन बाबू के साथ साथ मुस्कुरा उठी।

    
       

Friday, 13 May 2022

सूचना लेखन : प्रारूप व उदाहरण


सूचना-लेखन का अर्थ है- किसी संस्था या सरकार द्वारा अपने सदस्यों या जनता से लिखित रूप में सीधे संवाद स्थापित करना। ताकि कम-से-कम समय में लोगों तक नए आदेश या निर्देश पहुँच जाए। आपने भी अपने विद्यालय में विशेष कार्यक्रम या अवकाश की जानकारी सूचना-लेखन द्वारा प्राप्त की होगी। सूचना-लेखन के माध्यम से सूचना किसी एक व्यक्ति को न देकर अपितु बहुत से लोगों को दे दी जाती है। ऐसी सूचनाएँ एक विशेष स्थान पर लिखी जाती है, जहाँ से सभी लोग पढ़ सके। विद्यालयों में भी सूचना हेतु एक विशेष स्थान होता है। रिहायशी इलाकों में सूचनापट्ट प्राय: मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही होता है। सूचनाओं में समाचार-पत्र को भी शामिल किया जाता है। 

सूचना-लेखन से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण बातें -
1. सूचना सदैव औपचारिक शैली में लिखी जाती है। 
2. सूचना संक्षिप्त, सरल, सटीक होनी चाहिए। 
3. सूचना का प्रारूप औपचारिक-पत्र की तरह होता है, परंतु इसका आकार अपेक्षाकृत कम होता है। 
4. पाठ्यक्रम में सूचना-लेखन की शब्द-सीमा 30-40 शब्द तक रखी गई है ; अतः उसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। 
5. अनावश्यक तथ्यों का सूचना में कोई स्थान नहीं होता। 
6. सूचना में विषय से संबंधित संपूर्ण विवरणः यथा- दिनांक, समय, स्थान, उद्देश्य, अवधि, पात्रता आदि का यथोचित उल्लेख होना चाहिए। 
7. सटीक अर्थ प्रेषित करने हेतु कार्यालयीय, प्रशासनिक व पारिभाषिक शब्दावली का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। 
8. सूचना सदैव अन्य पुरुष में लिखी जानी चाहिए। 
9. सूचना बिना किसी संबोधन अथवा अभिवादन के लिखी जाती है। 
10. सूचना केवल एक अनुच्छेद में लिखी जानी चाहिए। 
11. कार्यालयीय अथवा संस्थागत सूचना-लेखन संस्था के मुख्य अधिकारी के आधिकारिक-पत्र पर किया जाता है।
सूचना-लेखन के लिए ध्यान देने योग्य बातें -
1. सूचना जारी करने वाली संस्था/संगठन का नाम सबसे ऊपर मध्य में। 
2. इसके ठीक नीचे 'सूचना' शब्द का प्रयोग। 
3. यदि किसी विशिष्ट वर्ग/व्यक्ति के लिए सूचना है, तो दायीं ओर कोष्ठक में उसका संकेत। 
4. सूचना शब्द के नीचे अथवा सूचना शब्द के साथ सूचना के विषय/शीर्षक का उल्लेख। 
5. सूचना शब्द के ऊपर तथा संस्था/संगठन के नाम के नीचे बायीं ओर सूचना जारी होने वाली तिथि का उल्लेख। 
6. सूचना का कथ्य : संक्षेप में जो भी सूचित करना हो। 
7. कथ्य के अंतर्गत कार्य पूरा किए जाने की अंतिम तिथि का उल्लेख। 
8. अंत में नीचे बायीं ओर सूचना लेखक का नाम, पद एवं हस्ताक्षर। 
9. भाषा औपचारिक होते हुए भी सरल एवं सुबोध हो, जिससे कि आम आदमी समझ सके। 

सूचना-लेखन का प्रारूप :

                                                          संस्था का नाम 

दिनांक : 16 फरवरी,2022 


                                                 आवश्यक सूचना 

                                                         विषय  

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नाम (क. ख. ग)

पद का नाम 



सूचना-लेखन के उदाहरण
1.विद्यालय में छुट्टी के उपरांत फुटबॉल खेलना सीखने की विशेष कक्षाएँ आयोजित की जाएँगी । इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना-पट्ट के लिए लगभग 30-40 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए। 

                                                  अ० ब० स० विद्यालय, दिल्ली 

दिनांक:10अगस्त, 20XX                                                              

                                                         सूचना                                     

                                               विषय - फुटबॉल प्रशिक्षण 


सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि 16 अगस्त , 20XX से विद्यालय में छुट्टी के पश्चात् फुटबॉल खेलना सीखने की विशेष कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है । इच्छुक विद्यार्थी खेल शिक्षक को अपना नामांकन करा दें। 


हस्ताक्षर (क ख ग)

प्रधानाचार्य


2.