HINDI BLOG : कविता का भावार्थ 'प्रियतम' कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Monday, 30 May 2022

कविता का भावार्थ 'प्रियतम' कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

भावार्थ (सार) :
प्रस्तुत 'प्रियतम' नामक प्रेरणादायी कविता में एक कर्मठ किसान और प्रतिक्षण नारायण नाम का स्मरण करने वाले नारद मुनि के बारे में बताया गया है । एक बार नारद मुनि ने भगवान विष्णु से पूछा कि उनका सर्वाधिक प्रिय भक्त कौन है ? भगवान विष्णु ने एक किसान को अपना प्रिय भक्त बताया , जो दिन में केवल तीन बार ही राम जी का नाम लेता था। नारद मुनि उसकी परीक्षा लेने पृथ्वीलोक पहुँचे। नारद जी ने देख की वह सज्जन किसान दिन में तीन बार ही अपने इष्ट का नाम लेता है। यह देख  वह वापस बैकुंठ धाम पहुँचे पर विष्णु जी से कुछ कह पाते उससे पहले ही भगवान विष्णु ने उन्हें एक तैलपूर्ण पात्र देकर भूमंडल की परिक्रमा करने का आदेश दिया और कहा कि इस पात्र से एक बूँद भी तेल की नीचे न गिरने पाए । परिक्रमा करके जब नारद वापस विष्णु लोक पहुँचे तो विष्णु भगवान ने नारद जी से पूछा- “ तेल-पात्र लेकर भूमंडल की परिक्रमा करते समय उन्होंने कितनी बार अपने इष्ट का नाम लिया ?" नारद ने कहा कि एक बार भी नहीं, क्योंकि उन्हें जो कार्य दिया गया था, उसी में उनका ध्यान लगा रहा। भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि किसान भी सांसारिक दायित्वों निर्वाह कर रहा है, फिर भी दिन में तीन बार अपने इष्ट का नाम लेता है, इसलिए वह मेरा सर्वाधिक प्रिय भक्त है। इस प्रकार नारद ने कर्म का महत्त्व समझा।
कविता का भाव:
ईश्वर का सच्चा भक्त वही होता है, जो अपने सभी कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करता है। भक्ति का सच्चा स्वरूप, कर्म करते हुए ईश्वर का नाम स्मरण करने में निहित है। भगवान विष्णु ने उस किसान को अपना प्रिय भक्त माना, जो सुबह से शाम तक खेती करते हुए, अपने सांसारिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करते हुए, दिन में केवल तीन बार अपने इष्ट देव के मधुर नाम का स्मरण करता है।

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