पाठ परिचय
सरदार वल्लभ भाई पटेल
* दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में सात मार्च को रास पहुँचे।
* उपस्थित जनसमुदाय के आग्रह पर दो शब्द कहना स्वीकार किया।
* स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर गिरफ़्तारी।
* पुलिस पहरे में बोरसद की दालत में ले जाया गया।
* जज को आठ लाइन का फैसला लिखने में डेढ़ घंटा लगा।
* 500 रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल। साबरमती जेल ले जाया गया।
* आश्रम के बाहर गांधी जी से एक संक्षिप्त मुलाकात।
* गांधी जी से कहा कि मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।
* पटेल की गिरफ्तारी की देशभर में कड़ी प्रतिक्रिया।
* दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में सात मार्च को रास पहुँचे।
* उपस्थित जनसमुदाय के आग्रह पर दो शब्द कहना स्वीकार किया।
* स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर गिरफ़्तारी।
* पुलिस पहरे में बोरसद की दालत में ले जाया गया।
* जज को आठ लाइन का फैसला लिखने में डेढ़ घंटा लगा।
* 500 रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल। साबरमती जेल ले जाया गया।
* आश्रम के बाहर गांधी जी से एक संक्षिप्त मुलाकात।
* गांधी जी से कहा कि मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।
* पटेल की गिरफ्तारी की देशभर में कड़ी प्रतिक्रिया।
महात्मा गांधी
* ब्रिटिश आधिपत्य वाले भूभाग से ही यात्रा करने का निश्चय किया।
* गाजे-बाजे के साथ सत्याग्रही तथा गांधी जी रास पहुँचे।
* सरदार पटेल की गिरफ्तारी उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें यह पुरस्कार आपकी सेवा करने के कारण मिला है।
* एक 105 साल की बूढ़ी महिला ने गांधी जी से कहा कि स्वराज्य लेकर ही वापस आना ।
* सरदार पटेल से मिलने के लिए आश्रम से बाहर आए।
* गांधी जी के रास पहुँचने पर भी वह कानून लागू था, जिसके अंतर्गत पटेल की गिरफ्तारी की गई थी।
* रास में गांधी जी का भव्य स्वागत।
* लोगों की आत्मा को जगाते हुए कहा कि आप लोग दरवार लोगों से त्याग और हिम्मत सीखें।
* 'धर्मयात्रा' का नाम देते हुए अपनी पूरी यात्रा पैदल ही तय की ।
* नदी तट पर दोनों ओर कई हज़ार लोग हाथों में दिए लेकर खड़े थे।
* उसी समय गांधी जी ने नाव से नदी पार की।
* घनघोर अँधेरे में उपस्थित जनसमूह का उत्साह और गांधी जी का दृढ़ निश्चय का अदुभुत दृश्य दर्शनीय था।
रघुनाथ काका
* गांधी जी को नदी पार कराने की जिम्मेदारी मिली।
* इसके लिए काका ने नई नाव खरीदी।
* नाव को लेकर कनकापुरा पहुँचे।
* बदलपुर निवासी रघुनाथ काका को सत्याग्रहियों ने 'निषादराज' नाम दिया।
* रात बारह बजे के बाद गांधी जी को नाव में बैठाकर रवाना हुए।
* नदी तट के दोनों तरफ़ हाथ में दिए लिए हुए कई हजार लोगों के बीच गांधी जी को सकुशल नदी
पार कराई और अपने उत्तरदायित्व का भली प्रकार निर्वहन किया।
पाठ का सार
'दिये जल उठे' पाठ मधुकर उपाध्याय द्वारा लिखित है। इसमें उन्होंने देश की स्वतंत्र कराने में नेताओं के योगदान को दर्शाया है। सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए समय-समय पर अनेक आंदोलन किए। इन आंदोलनों में एक दाड़ी कूच भी था। सरदार पटेल इसी दांडो कूच को तैयारी के सिलसिले में गुजरात के रास नामक स्थान पर गए थे। वहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 500 रुपये के जुरमाने के साथ तीन महीने की सखा सुनाई गई पटेल को इस गिरफ्तारी से लोगों में बड़ा रोष था। देशभर में उनकी गिरफ्तारी पर अनेक प्रतिक्रियाएँ हुई। मदनमोहन मालवीय ने केंद्रीय सभा में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की निंदा की गई। उधर मो. अली जिन्ना ने सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। सरदार पटेल को रास से बोरसद की अदालत लाया गया और वहाँ से साबरमती जेल भेज दिया गया। जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से होकर जाता था। आश्रमवासी अपने प्रिय नेता पटेल की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे। वे सड़क के दोनों किनारे खड़े हो गए। वहाँ पटेल और गांधी जी की एक संक्षिप्त मुलाकात हुई। पटेल ने गांधी जी और आश्रमवासियों से कहा, "मैं चलता हूँ अब आपकी बारी है।" पटेल के गिरफ्तार होने के बाद गांधी जी ने सारी जिम्मेवारी सँभाल ली। रास पहुँचे और उन्होंने दरबार समुदाय के लोगों को देश को आजाद कराने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। इस बीच जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी से मिलने की इच्छा व्यक्त की किंतु गांधी जी ने मना कर दिया। गांधी जी ने दांडी कूच शुरू करने से पहले ही निर्णय किया था कि वे अपनी यात्रा ब्रिटिश अधिकार वाले भू-भाग से ही करेंगे। गांधी जी और अन्य सत्याग्रही गाजे-बाजे के साथ रास पहुँचे। गांधी जी ने वहाँ उपस्थित लोगों को सरकारी नौकरियाँ छोड़ने के लिए प्रेरित किया। गांधी जी और सत्याग्रही जब रास से चलकर कनकपुरा पहुंचे तो एक वृद्धा ने गांधी जी से देश को आजाद कराने की बात कही। उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि अब वे देश आजाद कराकर ही लौटेंगे। गांधी जी ने अपने दाडी यात्रा को धर्मयात्रा कहा और उसमें किसी प्रकार का आराम न करने की बात कही । गांधी जी और अन्य सत्याग्रही मही नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ उनके स्वागत के लिए बहुत लोग खड़े थे। आधी रात के समय मही नदी के तट पर अद्भुत नजारा था। सभी लोग हाथों में दिये लेकर खड़े थे। जैसे ही महात्मा गाँधी नदी पार करने के लिए नाव तक पहुँचे तो महात्मा गांधी जी, नेहरू और पटेल के जयकारों से नदी के दोनों तट गूँज उठे । गाँधी जी नदी पार करके विश्राम करने के लिए झोंपड़ी में चले गए। गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग हाथों में दिये लिए खड़े रहे। वे अन्य सत्याग्रहियों के पार उतरने की प्रतीक्षा कर रहे थे। उस समय मही नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिये लिए खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके हृदय में अपने देश को आजाद करानेवाले नेताओं के प्रति कितनी श्रद्धा थी। वे देश को शीघ्र आज़ाद हुआ देखना चाहते थे।
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