HINDI BLOG : लघु कथा - अहंकारी वृक्ष, मोर की शिकायत

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Monday, 3 January 2022

लघु कथा - अहंकारी वृक्ष, मोर की शिकायत

 1. अहंकारी वृक्ष 

 सुंदर घने वन में खड़े एक वृक्ष के साथ लिपटी एक लता धीरे-धीरे वृक्ष के बराबर ऊँची हो गई । वृक्ष का पाकर उसने भी फलना-फूलना आरंभ कर दिया। यह सब देखकर वृक्ष अहंकार से भर उठा । उसे लगने लगा कि यदि वह नहीं होता तो लता का अस्तित्व ही न होता ।

एक दिन वृक्ष उस लता को धमकाते हुए बोला - सुन ! चुपचाप जो मैं कहता हूँ उसे किया कर, वरना धक्क तुझको भगा दूँगा ।" तभी उस रास्ते पर आ रहे दो पथिक वृक्ष की खूबसूरती देखकर रुक गए । एक पथिक अपने दूसरे साथी पथिक से कहा - भाई ! ये वृक्ष तो अत्यंत सुंदर लग रहा है । इस पर जो सुंदर बेल पुष्पित हो है, उसकी वजह से तो ये और भी सुंदर लग रहा है । इसे देखकर तो मेरी बड़ी इच्छा हो रही है कि इसके नीचे बैठकर कुछ देर विश्राम करूँ।" 

दूसरा पथिक बोला- हाँ भाई तुम बिलकुल सत्य कहते हो । यदि इस वृक्ष पर यह बेल पुष्पित न होती तो शायद इस वृक्ष की सुंदरता इतनी नहीं होती । यह वृक्ष भी और वृक्षों की तरह ही केवल छाँव देता लेकिन खूबसूरत नहीं दिखता। इस बेल ने इस वृक्ष की सुंदरता को और भी निखार दिया है। चलो यहीं थोड़ी देर विश्राम करते हैं और इस सुंदर नजारे का आनंद उठाते हैं ।" 

उन दोनों पथिकों की बातें सुनकर वृक्ष का अहंकार चूर-चूर हो गया और वह बड़ा लज्जित हुआ । उसे इस बात का एहसास हो गया कि उस का महत्व लता के साथ है, उसके बिना नहीं । 

2. मोर की शिकायत 

एक मोर था जो बहुत सुंदर था । उसके पंख बेहद खूबसूरत थे । एक दिन खूब झम झम बारिश हुई और वह नाचने लगा । नाचते हुए वह अपनी खूबसूरती को निहार रहा था , पर अचानक उसका ध्यान अपनी आवाज़ पर गया, जो कि बेहद बेसुरा और कठोर था । इस बात का एहसास होते ही वह बेहद उदास हो गया और उसकी आँखों में आँसू आ गए । तभी अचानक, उसे एक कोयल गाती हुए सुनाई दी । कोयल की मधुर आवाज़ को सुनकर, मोर को अपनी कमी का एक बार फिर एहसास हुआ । वह सोचने लगा कि भगवान ने उसे सुंदरता तो दी पर बेसुरा क्यों बनाया । तभी एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मोर से पूछा,  तुम क्यों उदास हो ? " मोर ने देवी से अपनी कठोर आवाज़ के बारे में शिकायत की और उनसे पूछा, कोयल की आवाज़ इतनी मीठी है, पर मेरी क्यों नहीं ? इसलिए मैं दुखी हूँ ।" मोर की बात सुनकर देवी ने उसे समझाया, भगवान के द्वारा सभी का हिस्सा निर्धारित है, हर जीव अपने तरीके से खास होता है । भगवान ने उन्हें अलग-अलग बनाया है और वे एक निश्चित काम के लिए हैं । उन्होंने मोर को सुंदरता दी, शेर को ताकत और कोयल को मीठी आवाज़ ! हमें भगवान के दिए इन उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जितना है उतने में ही खुश रहना चाहिए ।" देवी की बातों को सुनकर मोर समझ गया कि दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि खुद के हुनर की सराहना करनी चाहिए और उसे और निखारना चाहिए । मोर उस दिन समझा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से अद्वितीय होता है । खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है । जो कुछ आपके पास नहीं है , उसके लिए दुखी होने के बजाय, आपके पास जो है, उसे स्वीकार करें। 

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