'संवाद' शब्द का अर्थ है 'वार्तालाप' या 'बातचीत'। जब दो व्यक्ति आपस में शिष्टता का व्यवहार करते हुए बातचीत करते हैं, उस बातचीत को 'संवाद' कहा जाता है।
संवाद दो व्यक्तियों के मनोभावों को प्रकट करता है। प्रभावशाली संवाद वार्तालाप को आकर्षक और जीवंत बना देता है। जिस प्रकार सभी विधाओं में नाटक को श्रेष्ठ माना गया है, उसी प्रकार सृजनात्मक लेखन में संवाद-लेखन का विशिष्ट स्थान है। संवाद लेखन छात्रों के कल्पना शक्ति को विस्तृत करता है।
हम प्रायः नाटकों में पात्रों को संवाद बोलते सुनते हैं। संवाद लिखना एक कला है। अच्छे संवाद नाटक में जान डाल देते हैं। दी हुई स्थिति पर दो या अधिक पात्रों के बीच बातचीत को संवाद में लिखना संवाद-लेखन कहलाता है। संवाद मौखिक अभिव्यक्ति भी हो सकती है और लिखित भी । जहाँ मौखिक संवाद दोतरफा होता है वहीं लिखित संवाद केवल एक ही व्यक्ति द्वारा लिखा जाता है । मौखिक संवाद में वक्ता और श्रोता दोनों आमने-सामने होते हैं, इसलिए उसमें दूसरे के कथन को सुनकर संवाद बोले जाते है । लिखित संवाद में लेखक अपनी कल्पना से ही दो या अधिक पात्रों के संवाद लिखता है।
किसी भी नाटक, कहानी की सफलता संवाद पर निर्भर करती है। संवाद कहानी, नाटक, एकांकी तथा उपन्यास को मनोरंजक, रोचक व प्रभावशाली बनाते हैं। संवाद ही कहानी के विकास और पात्रों के चरित्र को उभार कर जीवंत करते हैं।
संवाद-लेखन करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
1. संवाद की भाषा सरल होनी चाहिए।
2. संवाद छोटे भावों को प्रकट करने वाले तथा हृदयस्पर्शी होने चाहिए।
3. संवाद पात्र और परिस्थिति के अनुकूल होने चाहिए।
4. संवाद स्वाभाविक होने चाहिए तथा उनमें पात्रानुकूल शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
5. संवाद परस्पर संबंधित होने चाहिए।
6. संवाद के अंत में समस्या का हल होना चाहिए।
7. संवाद-लेखन में देशकाल व वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
8. संवाद में पर्याप्त रोचकता होनी चाहिए।
9. बनावटी संवाद अरुचिकर होते हैं।
10. संवाद छोटे व प्रभावशाली होने चाहिए।
संवाद के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
* घर के कामकाज के विषय में भाई-बहन के मध्य हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
बहन - भैया! माँ बाज़ार गई है।
भाई - माँ बाज़ार क्यों गई हैं ?
बहन - तुम्हें याद नहीं ? आज शिमला वाली बुआ आ रही हैं।
भाई - हाँ-हाँ, याद आया। माँ उन्हीं के स्वागत के लिए सामान लेने गई होंगी।
बहन - भैया! हम दोनों मिलकर माँ के आने से पहले घर की साफ़-सफ़ाई कर देते हैं।
भाई - ठीक है। माँ यह देखकर खुश हो जाएँगी।
बहन - हाँ! ऐसी सफ़ाई करेंगे कि माँ खुश होकर इनाम दे दें।
भाई - ठीक है। तुम झाड़ू-पोंछा कर दो, मैं ये कपड़े समेट देता हूँ।
बहन - आप चिंता मत करो। मेरा इरादा तो आज सब कुछ साफ़ करने का है।
भाई - ठीक है। मगर ध्यान से काम करना।
बहन - भैया जल्दी आओ, गलती से माँ की पसंद का फूलदान मेरे हाथ से छूटकर गिर गया।
भाई - आज तुम्हें माँ से कोई नहीं बचा सकता।
बहन - भैया! आप मुझे बचा लो, मुझे बहुत डर लग रहा है।
भाई - चलो, अब जल्दी से सफ़ाई का काम निपटा लेते हैं। माँ से बात कर लेंगे।
* पानी बर्बाद करने के विषय में पिता और पुत्र के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
पिता - बेटा, कुश! तुम ये पाइप से गाड़ी धोकर क्यों इतना पानी बर्बाद कर रहे हो ?
बेटा - पिता जी! कर बहुत गंदी हो रही थी, इसलिए नल से पाइप जोड़कर पानी से कर धो रहा हूँ।
पिता - बेटा! शायद तुम नहीं जानते कि कार धोने में तुमने जितना पानी बर्बाद कर दिया, उससे 20 लोगों की प्यास बोझ सकती थी।
बेटा - वह कैसे पिता जी ?
पिता - बेटा! पानी का प्रयोग बहुत ही बुद्धिमानी से करना चाहिए। आजकल स्वच्छ पानी की कमी होती जा रही है।
बेटा - हाँ! मैंने अख़बार में पढ़ा था।
पिता - बेटा ! कई इलाकों में तो लोगों को यह भी नसीब नहीं होता।
बेटा - पिता जी! मैं टी.वी. पर देखता हूँ कि कई इलाकों में लोग पानी की कमी से परेशान हैं।
पिता - मैं तुम्हें यही समझाना चाहता हूँ कि तुम कार धोने में इतना सारा पानी बर्बाद न करो। पानी बहुमूल्य है।
बेटा - पिता जी, मैं आपकी बात समझ गया। मैं अब कभी भी पानी बर्बाद नहीं करूँगा।
*पिंजरे में बंद चिड़िया एवं पिंजरे के बाहर बैठी आज़ाद चिड़िया के बीच वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए ।
पिंजरे में बंद चिड़िया - (रोते हुए) अरे ! मैं बाहर आने को तरस रही हूँ। कोई तो मुझे इस बंधन से मुक्त करो ।
आजाद चिड़िया - अरे! तुम क्यों रो रही हो ? तुम्हें तो बैठे-बैठे ही दाने मिल जाते हैं, पानी के लिए भी भटकना नहीं पड़ता ।
पिंजरे में बंद चिड़िया - अरे! उससे क्या हुआ! इस बंधन में रहकर तो दम घुटता है।
आजाद चिड़िया - लेकिन बाहर बहेलिए का डर भी होता है ।
पिंजरे में बंद चिड़िया - तो क्या! डरते तो कायर हैं। इस परतंत्रता से भरी सुख-चैन वाली जिंदगी से तो बाहर की जिंदगी अच्छी है ।
आजाद चिड़िया - तुम ठीक कहती हो बहन। मैं कितनी आसानी से उड़ कर पेड़ों तक पहुँच जाती हूँ। अपनी मर्जी के फल खाती हूँ, अपनी मर्जी से झरनो का पानी पीती हूँ। सच! इस जिंदगी का अलग ही मज़ा है ।
पिंजरे में बंद चिड़िया - बहन, पराधीनता में तो सपने में सुख नहीं है। ईश्वर करे, तुम सब आज़ाद ही रहो !
* चॉक और श्यामपट्ट के बीच हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
चॉक - नमस्कार भाई।
श्यामपट्ट - नमस्कार बहन! किसी हो!
चॉक - मैं तो तुम्हें हर वक्त गंदा कर देती हूँ। तुम्हें बहुत परेशान करती हूँ न!
श्यामपट्ट - अरे नहीं बहन! अब तो आदत-सी हो गई है।
चॉक - भाई, यही तो जीवन है, कि हम छोटे-छोटे बच्चों के जीवन को सँवार सकें।
श्यामपट्ट - ठीक कहा! हमारा जीवन कितना सफल है। हम तो दूसरों तक ज्ञान का प्रकाश फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
चॉक - बिलकुल सही कहा भाई।
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