Top Best Famous Moral Stories In Hindi
शेख चिल्ली और उसका घोड़ा
एक बार जब शेख चिल्ली की बेगम मायके से नहीं लौटी तो शेख चिल्ली उसे लाने के लिए खुद उसके घर गया।
कुछ दिन वहाँ बिताने के बाद शेख और उसकी बेगम वापस अपने घर की ओर रवाना हुए।
शेख अपने कमजोर घोड़े पर सवार था जबकि उसकी बेगम पैदल चल रही थी।
रास्ते में एक आदमी ने यह दृश्य देखा तो ताना कसा, 'कितना बेवकूफ आदमी है इसकी बेगम तो पैदल चल रही है और यह खुद ठाठ से घोड़े पर बैठा हुआ है।'
शेख चिल्ली नहीं है बात सुन ली।
अपनी बेगम से बोला, 'बेगम, तुम घोड़े पर बैठ जाओ। मैं पैदल चलूँगा।'
बेगम भी पैदल चलते-चलते बहुत थक चुकी थी। उसने झट से शेख की बात मान ली और जल्दी से घोड़े पर बैठ गई।
कुछ दूर चलने पर उन्हें कुछ औरतें दिखाई दीं, जो कुएँ के पास बैठकर कपड़े धो रही थीं।
शेख और उसकी बीवी को देख कर उनमें से एक औरत बोली,' यह आदमी कितना मूर्ख है!
घोड़ा साथ होते हुए भी खुद पैदल चल रहा है और इसकी बीवी शान से घोड़े पर बैठकर जा रही है।
इसकी बीवी को शर्म आनी चाहिए।'
जब खेत में यह बात सुने तो वह भी अपनी बेगम के साथ घोड़े पर बैठ गया। घोड़ा इतना दुबला-पतला और कमजोर था कि वह उन दोनों का भार नहीं संभाल पाया और वहीं खड़ा रह गया।
तभी वहां से कुछ यात्री गुजरे। जब उन्होंने यह दृश्य देखा तो बोले,' कितने मूर्ख है यह दोनों! एक कमजोर, दुबला-पतला घोड़ा इन दोनों का भार कैसे उठाएगा? क्या इन्हें उस घोड़े पर तरस नहीं आता?'
शेख ने जब यह बात सुनी तो अपनी बेगम से कहा, ' बेगम, कभी कोई कुछ कहता है तो कभी कोई कुछ! मैं तो परेशान हो गया।'
उसकी बेगम ने जवाब दिया, ' लोगों काम ही है कुछ-न-कुछ कहना! तुम इनकी बातें मत सुनो और अपने रास्ते चलते रहो।'
शेख ने झुंझलाकर कहा, 'मुझसे यह सब नहीं सहा जाता! एक काम करते हैं। हम दोनों ही पैदल चलते हैं।'
बेगम यह चाहती तो नहीं थी, लेकिन उसने शेख की बात मान ली और दोनों पैदल चलने लगे।
थोड़ा आगे जाने पर उन्हें कुछ लोग मिले। उन्होंने जब यह दृश्य देखा तो वे ठहाके लगाकर हँसने लगे।
एक आदमी चिल्लाकर बोला,' मूर्ख है यह दोनों! घोड़ा होते हुए भी दोनों पैदल चल रहे हैं। लगता है इनका दिमाग खराब हो गया है!! हा-हा-हा!!'
सेठ ने जब यह सब सुना तो वह आपे से बाहर हो गया वह अपना गुस्सा रोक न सका।
वह घोड़े को अपनी पीठ पर लादकर नदी तक ले गया और फिर उसे पानी में धकेल दिया।
फिर उसने अपनी बेगम के साथ आगे का रास्ता पैदल ही तय किया।
ख्याली पुलाव
शेखचिल्ली की अम्मी हमेशा उससे कोई नौकरी ढूँढ़ने को कहती रहती थीं ।
एक दिन वह शेखचिल्ली से बोली, " बेटा, मुझे इस बात की बहुत चिंता रहती है कि मेरे बाद तुम्हारा क्या होगा । तुम्हें कोई अच्छी-सी नौकरी मिल जाए और तुम्हारा घर बस जाए, तभी मुझे चैन मिलेगा ।"
“ मैं तुम्हारी बात मानूँगा, अम्मी । मैं अपने लिए जल्दी से जल्दी कोई नौकरी ढूँढ़ने की कोशिश करूँगा ।"
शेखचिल्ली अपनी अम्मी को भरोसा दिलाते हुए बोला।
शेखचिल्ली ने अपनी अम्मी से नौकरी ढूँढ़ने का वादा तो कर लिया, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि वह नौकरी कैसे ढूँढ़े।
आखिर नौकरी पाना इतना आसान नहीं था।
यही सब सोचते हुए वह सड़क पर घूम रहा था ।
तभी उसे एक आदमी मिला, जो अंडों से भरी टोकरी अपने सिर पर लादे हुए था।
कड़ी मेहनत के कारण उसकी कमर झुक गई थी और उसके शरीर से पसीना बह रहा था।
जैसे ही उस आदमी की नजर शेखचिल्ली पर पड़ी, वह उससे बोला, "भाई, क्या तुम मेरी मदद करोगे ?"
" क्यों नहीं !" शेखचिल्ली तुरंत बोला। “यह अंडों से भरी टोकरी जरा मेरे घर ले चलो । मैं तुम्हें इसके बदले दो अंडे दूँगा ।"
उसकी बात सुनकर शेख बहुत खुश हुआ। जिंदगी में पहली बार उसे कमाने का मौका मिला था।
वह तुरंत अंडों से भरी टोकरी अपने सिर पर लादकर उस आदमी के साथ उसके घर की ओर चल पड़ा ।
अपनी आदत के अनुसार वह चलते-चलते ख्याली पुलाव पकाने लगा।'
यह आदमी मेरे काम के बदले मुझे दो अंडे देगा।
उन अंडों से दो बच्चे पैदा होंगे । मैं उनकी अच्छी तरह देखभाल करूँगा ।
धीरे-धीरे वे बड़े होंगे । उनमें से एक मुर्गा होगा और दूसरी मुर्गी।
वह मुर्गी रोज अंडे देगी। उन अंडों से और भी बच्चे निकलेंगे । धीरे-धीरे वे भी बड़े होंगे ।
कुछ ही दिनों में मेरे पास बहुत-सी मुर्गियाँ और अंडे हो जाएँगे।
फिर तो मैं रोज बाजार में अंडे पैसे कमाऊँगा। जल्दी ही मेरे पास ढेर सारे पैसे हो जाएँगे।
फिर खूब मैं अपने गाँव का सबसे बड़ा घर खरीद लूँगा और मेरी शादी दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की के साथ हो जाएगी ।
फिर अम्मी को भी काम करने की जरूरत नहीं रहेगी ।
मेरे घर में ढेर सारे नौकर रहेंगे , जो घर का सारा काम करेंगे । सारे नौकर मेरी अम्मी की खूब सेवा करेंगे।
मेरी खूबसूरत बीवी अपने हाथों से मुझे लजीज खाना खिलाएँगी।
मैं सारा दिन मजे से पतंगें उड़ाऊँगा। मैं अपने लिए पतंगबाजों से बड़ी और शानदार पतंगें तैयार करवाऊँगा ।
जब मैं शानदार पोशाक पहनकर अपने घर की छत पर चढ़कर पतंग उड़ाऊँगा तो पूरे गाँव के लोग खड़े होकर मुझे देखेंगे ... 'यह सोचते-सोचते शेख ने काल्पनिक पतंगें उड़ाने के लिए अपने हाथ फैलाए।
उसके ऐसा करते ही अंडों से भरी टोकरी फर्श पर जा गिरी और सारे अंडे टूटकर इधर-उधर छितरा गए।" बेवकूफ ! गधा !! नालायक !!! तू जानता है तूने क्या कर दिया है ?"
वह आदमी तो गुस्से से बिफर उठा, “ तेरे कारण मुझे आज पूरे सौ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है। यह नुकसान कौन भरेगा ?"
"अरे सेठ ! "शेखचिल्ली हाथ मलते हुए बोला, " तुम तो सौ रुपए के नुकसान पर रो रहे हो । मेरा तो सारा भविष्य बर्बाद हो गया है !"
नाइस 👍
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