HINDI BLOG : जब शेख मुंबई पहुँचा- किस्सा शेखचिल्ली का /Shekhchili In Mumbai

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Wednesday, 23 June 2021

जब शेख मुंबई पहुँचा- किस्सा शेखचिल्ली का /Shekhchili In Mumbai

Top Best Famous Moral Stories In Hindi  -  कहानियाँ एवं लघु कथाएँ

एक दिन शेखचिल्ली ने अभिनेता बनने के लिए मुंबई जाने का पक्का फैसला कर लिया और ट्रेन में बैठकर मुंबई जा पहुँचा । 
जब वह मुंबई रेलवे स्टेशन पर उतरा तो उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी । 
उसके कपड़े फट चुके थे। 
उसकी दाढ़ी लंबी हो गई थी और उसके बाल गंदे हो चुके थे। 
स्टेशन पर मौजूद सभी लोग शेख को कोई पागल आदमी समझ रहे थे ।
 लेकिन शेख मुंबई आकर खुद को बहुत किस्मतवाला समझ रहा था । 
थोड़ी देर स्टेशन पर ही आराम करने के बाद शेखचिल्ली गेटवे ऑफ इंडिया पर जा पहुँचा । 
वहाँ पर काफी शांति थी । 

वह समुद्रतट पर बालू में बैठा हुआ सोच रहा था कि लोग उसे मूर्ख क्यों समझते हैं। 
वह न तो किसी जानवर की तरह दिखता है, न ही उसके सिर में सींग उगे हुए हैं । 
जहाँ तक उसकी बुद्धिमत्ता की बात थी तो वह हर काम बहुत ध्यान से मन लगाकर करता था । 
हाँ, वह बेवकूफियाँ जरूर कर देता था, लेकिन उससे क्या ? 
दुनिया में ऐसा कौन आदमी है, जो कभी बेवकूफी नहीं करता । 
शेखचिल्ली यही सब सोच रहा था, तभी एक मोटा आदमी आकर उसके पैर पकड़कर जोर से चिल्लाया, " शेख मिल गए, शेख मिल गए । 
मोटे आदमी की इस हरकत से शेख बुरी तरह चौंक पड़ा । 
वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मामला क्या है और वह मोटा आदमी उसके पैर पकड़कर चिल्ला क्यों रहा है ?

वह उस मोटे आदमी को घूरता हुआ बोला, ' अरे, क्या हुआ मियाँ ? 
इस तरह मेरे पैर पकड़ने से क्या फायदा ? पैर ही पकड़ने है तो किसी पीर-फकीर के पकड़ो ।" 
लेकिन उस मोटे आदमी ने शेख की बात का कोई जवाब नहीं दिया। 
वह बस उसे देखकर खुश होता रहा और चिल्लाता रहा, “ यही हैं शेख !
 'बेचारा शेखचिल्ली घबराकर वहाँ से भागने ही वाला था, 
तभी वह मोटा आदमी हाथ जोड़कर चिल्लाया, " तुम धन्य हो, मालिक ! आज मैं अपना सारा पैसा लगा दूँगा।" 
यह कहते हुए वह थोड़ी दूर पर खड़ी अपनी कार में बैठकर वहाँ से चला गया। 
उस मोटे के जाने के बाद शेख का ध्यान पेट की आग बुझाने पर गया। 
वह सोचने लगा कि मुंबई में भोजन की व्यवस्था कैसे की जाए ? 
वह कोई नौकरी करना नहीं चाहता था क्योंकि इसके पहले भी वह कई जगह नौकरी कर चुका था, लेकिन कहीं भी उसकी मालिक से पटरी नहीं बैठी थी। 

यही सब सोचते हुए शेख शाम तक गेटवे ऑफ इंडिया पर ही पड़ा रहा। 
शाम तक शेख को तेज भूख लग आई। 
वह भूख मिटाने के लिए पैसे का इंतजाम करने का कोई उपाय सोच ही रहा था, तभी एक कार अचानक शेख के सामने आ खड़ी हुई । 
शेख कुछ कह पाता, इससे पहले ही वही आदमी दोनों हाथ जोड़े कार से उतरकर शेख के पास जा पहुँचा और बोला, “ मैंने आपकी दुआ से पचास हजार रुपए कमाए हैं। 
अब आप कृपा करके मेरे साथ घर चलिए और मुझे अपनी खातिरदारी करने का मौका अदा फरमाइए।
 शेख के तो पल्ले ही नहीं पड़ा कि वह मोटा आदमी कहना क्या चाहता था ? 
लेकिन वह बहुत भूखा था, इसलिए उसने उस मोटे आदमी के साथ जाना ही ठीक समझा। 
वह सोच रहा था कि शायद उसे उस मोटे के घर में ही कुछ खाने को मिल जाए । 
इसलिए वह उसके साथ उसकी कार में जा बैठा ।

फिर उसकी कार तेजी से उसके बंगले की तरफ चल दी और थोड़ी ही देर में उसके बंगले में जा पहुँची। 
उसका स्वागत करने के लिए वहाँ सेठ के नौकर-चाकरों का काफिला घर के बाहर मौजूद था। 
जैसे ही शेख सेठ के साथ कार से उतरा, वे सभी चिल्लाने लगे, “ शेख जिंदाबाद ! शेख जिंदाबाद ! 
फिर शेख की खूब खातिरदारी की गई। उसे बंगले के अंदर ले जाकर उसके सामने लजीज खाना परोसा गया।
 शेख तुरंत कमर कसकर खाने पर टूट पड़ा। 
उसे इस तरह खाते देखकर सेठ भी बहुत खुश हुआ। 

भरपेट खाना खाकर शेख सेठ से बोला, " बढ़िया खाने के लिए शुक्रिया ! अब मुझे चलने की इजाजत दीजिए।" 
"अजी ! आप यहाँ से जाकर क्या करेंगे ? आप तो यहीं रहकर मुझे अपनी मेहमाननवाजी करने का मौका दीजिए।"

'लेकिन मियाँ , हमें समझ में नहीं आ रहा, तुम मुझे अपने साथ क्यों रखना चाहते हो ? मेरे साथ रहकर तुम्हें तकलीफ ही होगी।'


'अरे , कैसी बातें करते हैं आप ? कृपा करके मुझसे इस तरह बात मत करिए । अब आपको मेरे साथ ही रहना है । मैं एक फिल्म बना रहा हूँ और आपको अपनी फिल्म का डायरेक्टर बनाना चाहता हूँ ।'

 "क्या कह रहे हैं आप ? मैं तो कुछ समझ ही नहीं पा रहा हूँ ।" शेखचिल्ली हैरत के साथ बोला ।" 
'जल्दी ही आपको सब कुछ समझ में आ जाएगा । जल्दी ही आपका नाम मुल्क के हर बच्चे की जुबान पर होगा ।' 

अगले दिन फिल्म के संबंध में सारी सूचना अखबारों में छप गई । 
अब तो शेख शहर का ही नहीं बल्कि पूरे देश का जाना-माना नाम बन गया । फिर तो मोटे सेठ ने उसे फिल्म का डायरेक्टर ही नहीं बल्कि हीरो भी बना दिया । 

कुछ ही दिनों में फिल्म का मुहूर्त हुआ । इस मौके पर शेख को कार पर स्टूडियो ले जाया गया ।
 कैमरे के सामने ले जाने से पहले शेख का मेकअप किया जाना था । बेचारा शेख यह सब देखकर हक्का-बक्का था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । 

उसने किसी तरह हिम्मत करके सेठ से पूछा , “ यहाँ यह सब क्या हो रहा है ? " " मेरे मालिक, आज फिल्म का मुहूर्त है। आज आपको कैमरे के सामने अपनी अदाकारी दिखानी है।" सेठ शेख से बोला। 
शेख को तब भी कुछ समझ में नहींआया । 

तभी एक आदमी भागता हुआ वहाँ आया और उससे बोला , “ हुजूर , मेकअपमैन तैयार है ।" 
बेचारा शेख मेकअपमैन का नाम तो पहली बार ही सुन रहा था । उसने सोचा कि उसकी जगह पर मेकअपमैन को फिल्म का हीरो बना दिया गया है। 

यह ख्याल आते ही उसे गुस्सा आ गया। हीरो बनने की उसकी तमन्ना मटियामेट हुई जा रही थी। 
वह गुस्से से बोला, “ तुम लोगों की अक्ल पर मुझे तरस आता है। अगर किसी बेवकूफ को ही हीरो बनाना था तो मुझे यहाँ बुलाने की क्या जरूरत थी ?" 

उधर मोटे सेठ ने सोचा कि शेख को किसी कारण से मेकअपमैन पर गुस्सा आ गया है ।
 उसने शेख का गुस्सा ठंडा करने के लिए उसी वक्त मेकअपमैन को नौकरी से निकाल दिया।

साथ ही उसने शेख का मेकअप करने की जिद भी छोड़ दी। फिर शेख को सेट पर ले जाया गया ।
शेख के आते सेट पर मौजूद सभी लोग तालियाँ बजाने लगे। 

तभी सेठ चिल्लाया , "लाइट , कैमरा !" उसी समय फिल्म की हीरोइन  वहाँ आ पहुँची। 
मैडम बुलबुल बहुत ही चंचल, चुलबुली और बुलबुल की तरह बोलने वाली थी । वह सीधे शेख के पास पहुँचकर उसे प्यार से निहारने लगी। 
तभी सेठ चिल्लाया , “एक्शन ! " इतना सुनते ही वह  शेख की तरफ बढ़ी। उसे इस तरह अपनी ओर बढ़ते देखकर शेख घबरा गया ।

वह चिल्लाया , “तुम्हारे पास शर्म नाम की कोई चीज है भी या नहीं ? 
तुम एक भारतीय नारी हो और इस तरह की हरकतें तुम्हें शोभा नहीं देतीं ।" 
बुलबुल आगे बढ़ती हुई बोली , “ मेरे सरताज , मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती । 

यह सुनते ही शेख आगबबूला होकर चिल्लाया, “ चली जाओ यहाँ से नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा ' 
मैडम बुलबुल रोते हुए बोली , “ आज तो तुम मेरा प्यार ठुकरा रहे हो, लेकिन देखना , कल तुम पछताओगे ।' 
उसकी बात सुनकर शेख घबरा गया और सेट से कूदकर भागा। 
जैसे ही वह नीचे कूदा, उसके चारों ओर खड़े लोग चिल्लाने लगे , “वाह ! क्या शाट दिया है ? " 
यह सुनकर शेख ने सोचा कि लोग उसे पीटने के लिए रहे हैं। 
यह सोचकर वह तेजी से रेलवे स्टेशन भाग खड़ा हुआ। 
वहाँ उसे जो भी ट्रेन पहले दिखाई दी , वह उस पर बिना टिकट जा बैठा और मुंबई से भाग निकला।


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