HINDI BLOG : शेखचिल्ली और ज्योतिषी -शेखचिल्ली और उसके किस्से

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

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Saturday, 12 June 2021

शेखचिल्ली और ज्योतिषी -शेखचिल्ली और उसके किस्से

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शेखचिल्ली और ज्योतिषी 
एक दिन शेखचिल्ली एक पेड़ पर चढ़कर उसकी शाखाएँ काटने लगा। काटते-काटते बेध्यानी में वह उसी डाल को काटने लगा, जिस पर वह खुद बैठा हुआ था ।

 संयोगवश एक ज्योतिषी उसी समय वहाँ से गुजरा ।
'मैं क्यों गिर जाऊँगा ?' "शेख ने हैरत से पूछा।" क्योंकि तुम उसी डाल को काट रहे हो, जिस पर तुम खुद बैठे हो !"

शेखचिल्ली की बेवकूफी देखकर वह चिल्लाया , "अरे बेवकूफ ! यह तुम क्या कर रहे हो ? इस तरह तो तुम पेड़ से गिर जाओगे ।" 

"अरे ! आप महान हैं ! अगर आप महान नहीं होते तो यह भविष्यवाणी नहीं कर सकते थे कि मैं डाल काटते-काटते गिर जाऊँगा ।

 यह कहते हुए शेखचिल्ली पेड़ से नीचे उतर आया और ज्योतिषी से अपने हाथ की रेखाएँ पढ़ने को कहने लगा । उधर उस ज्योतिषी ने सोचा, 'यह आदमी तो कोई बेवकूफ लग रहा है। 

फिर यह मुझे जानता भी नहीं । 

ऐसा करता हूँ, मौके का फायदा उठाकर इससे पैसे ठग लेता हूँ ।' यह सोचकर वह ज्योतिषी उससे बोला, "तुम मुझे सवा रुपए दक्षिणा दो ।

फिर मैं तुम्हें एक करामाती डोरी दूँगा, जिसमें तुम्हारी जान कैद हो जाएगी । जब तक वह डोरी तुम्हारे गले में मौजूद रहेगी, तुम नहीं मरोगे । जब भी तुम्हारे गले में मौजदू डोरी टूट जाए, तुम समझ लेना कि तुम मर चुके हो।" "और अगर मैं डोरी टूटने के बाद भी नहीं मरा तो ?" 
"तो मैं तुम्हें सवा रुपया दक्षिणा के बदले पाँच रुपए दूँगा।" 

 यह सुनकर शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ। वह सोच रहा था कि सवा रुपए में करामाती डोरी जैसी चीज कहाँ मिलती है ? अगर डोरी करामाती नहीं भी हुई तो भी उसे पाँच रुपए तो मिलेंगे ही। 
यह सोचकर उसने उस ज्योतिषी को सवा रुपए दे दिए। फिर उस ज्योतिषी ने एक डोरी निकाल कर एक मंत्र पढ़ा और वह डोरी शेखचिल्ली के गले में पहना दी । डोरी पहनकर शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ।
 फिर वह ज्योतिषी वहाँ से चलता बना। शेखचिल्ली ने उससे उसका नाम-पता भी नहीं पूछा। 

शेखचिल्ली मुस्कुरा रहा था । वह समझ रहा था कि उसने उस ज्योतिषी को ठग लिया है।
 उसने सोचा, 'वह ज्योतिषी शक्ल से तो बहुत विद्वान लग रहा था, लेकिन था निरा बेवकूफ! जब मैं अपनी बीवी और अम्मी को बताऊँगा कि मैंने उसे कैसे मूर्ख बनाया है तो वे हैरत में पड़ जाएँगी !' 

यही सब सोचते-सोचते वह खुश होता हुआ अपने घर की ओर चल पड़ा। तभी उसके दिमाग में अपनी बीवी के साथ मज़ाक करने का ख्याल आया। घर पहुँचकर वह अपने कुर्ते के बटन खोलकर बिस्तर पर लेट गया। 

जल्दी ही जब उसकी पत्नी की नजर उस डोरी पर पड़ी तो उसने उसके पास जाकर पूछा, “यह डोरी आपके गले में कैसे आई जी ? जब आप घर से गए थे, तब तो यह आपके गले में नहीं थी ?" तब शेख ने उसे 'करामाती' डोरी के बारे में बताया। 
यह सब सुनकर शेख की बीवी भावुक होकर बोली, “मेरे सरताज! मुझे ऐसी फालतू बातों पर बिल्कुल यकीन नहीं ।"
 'अरे बेगम!'  शेखचिल्ली बोला, "तुम्हें मेरी बात पर भरोसा नहीं है ?" 
"नहीं है, "उसकी बेगम ने कहा, “अगर मैं यह धागा अभी तोड़  दूँ, तब भी तुम्हें कुछ नहीं होगा। 
यह सुनकर शेखचिल्ली घबरा कर बोला, "और अगर मैं मर गया तो ?" 
"बेवकूफों जैसी बातें मत करो। इतने तेजदिमाग हो कर कैसी बातें कर रहे हो ? यह सब अंधविश्वास है, और कुछ नहीं।" 
"धागा टूटा और मेरा दम निकला।" यह कहकर शेख रोने लगा। 
"लगता है तुम ऐसे नहीं मानोगे । मुझे धागा तोड़ना ही पड़ेगा।" यह कहकर उसकी बेगम ने धागा तोड़ दिया । धागा टूटते ही शेखचिल्ली जमीन पर लेट गया। 
"अरे! तुम जमीन पर क्यों लेट गए ?" बेगम ने पूछा।
"तुमने धागा जो तोड़ दिया है । अब तो मैं मर गया।" यह सुनकर बेगम ठहाके लगाने लगी और बोली, "मुर्दे कभी बोलते नहीं हैं ।" 
"ठीक है, मैं भी बात नहीं करूँगा, "शेख ने कहा। तभी शेख की अम्मी कमरे में आ गई। जब उसने शेख को फर्श पर लेटा देखा तो वह घबराकर बोली, "क्या हुआ? तुम फर्श पर क्यों लेटे हो?" 
"तुम्हारी बहू ने मेरी जिंदगी की डोरी तोड़ दी है, अम्मी । मैं मर चुका हूँ !" 
यह कहते हुए शेखचिल्ली ने अपनी अम्मी को सारी बात बता दी। 
अम्मी ने कहा, "नहीं मेरे लाल ! तू मरा नहीं है । जल्दी से उठ खड़ा हो ! 
"शेखचिल्ली रोते हुए चिल्लाने लगा, "नहीं, मैं मर चुका हूँ।" 
शेख की ऐसी बातें सुनकर उसकी अम्मी और बेगम ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं । 
उनके रोने की आवाज सुनकर थोड़ी ही देर में गाँववालों की भीड़ वहाँ जमा हो गई।
 शेखचिल्ली की हालत देखकर उन्होंने उसे पागल हो गया समझकर तुरंत पागलखाने में भर्ती कराने का फैसला किया। 
तभी शेख घबराकर चिल्लाया, "रुको, रुको! मैं तो मज़ाक कर रहा था । खेल खत्म हुआ।" 
"अरे! इसने तो पागलपन की हद कर दी !" एक गाँववाले ने कहा । 
"अरे नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूँ । मैं सिर्फ मज़ाक कर रहा था।" शेख गला फाड़कर चिल्लाया। 
"पर लोगों ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे पागलखाने ले गए। 
हकीम के सामने पहुँचते ही शेख फिर चिल्लाया, "हकीम साहब! मैं पागल नहीं हूँ। मैं तो मजाक कर रहा था।
"जब हकीम ने शेखचिल्ली की जाँच-पड़ताल की तो वे भी जान गए कि शेख पूरी तरह ठीक है। 
उन्होंने यह बात गाँव वालों और शेख की अम्मी के सामने जाहिर कर दी । शेख की अम्मी ने उसे खूब डाँटा और घर ले गईं।

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