HINDI BLOG : निबंधात्मक प्रश्न-उत्तर /हरिहर काका- संचयन CLASS 10 EXTRA QUESTIONS PART-2

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Wednesday, 9 June 2021

निबंधात्मक प्रश्न-उत्तर /हरिहर काका- संचयन CLASS 10 EXTRA QUESTIONS PART-2

HINDI NCERT SOLUTIONS  CLASS 8, 9,10 SPARSH 

निबंधात्मक प्रश्न 

प्रश्न क)- गाँव में आस्था का प्रतीक ठाकुरबारी लोगों के अविश्वास  का केंद्र बन गई है। 

-धन-संपत्ति के लालच में क्या अन्याय में साझीदार बनते हैं महंत व पुजारी ?

-उनके इस लालची रवैये से बचने के उपाय सुझाए ।

उत्तर- ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं का यह दायित्व है कि वह समाज में व्याप्त स्वार्थ की भावना को दूर कर जन - जन में परोपकार का भाव जगाए । 

- पर 'हरिहर काका' जैसे लोगों के साथ उनकी आस्था और विश्वास के साथ दुर्व्यवहार करके, धोखा और विश्वासघात करके, उन्होंने यह दिखाया कि बदलते समय और समाज के साथ धार्मिक संस्थाएँ भी भ्रष्ट होती जा रही हैं। एक तरह से वे भ्रष्टाचार का अड्डे बन गई हैं। 

-लोभ-लालच और षड्यंत्रों में फंसे महंत व पुजारी धार्मिक संस्थाओं य समाज का आदर्श नहीं हो सकते । 

-एक लाचार असहाय, दुखी बुजुर्ग को ज़बरन उठाना, उसकी जमीन-जायदाद को हड़पने का प्रयास करना, मारना-पीटना, वंदी बनाना महंत व पुजारियों द्वारा किए गए ऐसे कुकृत्य थे जो धार्मिक संस्थाओं से लोगों के विश्वास को डगमगाने के लिए पर्याप्त है ।

 - इन धार्मिक संस्थाओं में फैले लोभ-लालच को दूर करने के उपाय ढूँढ़ने की जरूरत है, ताकि 'हरिहर काका' की तरह फिर कोई व्यक्ति  इनके जाल में न फँसे । 

-इसके लिए शिक्षा के प्रचार की आवश्यकता है।

 -शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास और धोखे की संभावना के प्रति जागरूक रहता है। 

-चोरी -ठगी, धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है । 

ख) हमारे समाज में  एक महंत या पुजारी से क्या-क्या उम्मीदें लगाई जाती हैं ?  'हरिहर काका' कहानी को ध्यान में रखते हुए उत्तर दीजिए।  

उत्तर - समाज को एक महंत या पुजारी से बहुत-सी उम्मीदें होती है कि वह समाज के लोगों में सामाजिक समरसता, उनमें सद्भावना, भक्ति-भावना पैदा करे या जगाए तथा धर्म से  दूर जा हो रहे या धर्म से मुख मोड़ रहे लोगों को वापस रास्ते पर लाएँ  । 

-धार्मिक स्तर पर ही सही एक महंत का स्थान समाज के लोगों के लिए 'गुरु' तथा 'पिता' के समान होता है, जो अपने शिष्यों तथा संतानों की हित-साधना में संलग्न रहता है और ध्यान रखता है कि वे किसी कुमार्ग पर न चल पड़ें । 

-उक्त कहानी के आधार पर देखा जाए तो यहाँ मठों, मंदिरों और ठाकुरबारियों के महंत तथा पुजारी निहायत ही घृणित, दुराचारी और पापी प्रतीत होते हैं । 

- महंत लालचवश अपनी उच्चाकांक्षाओं को बढ़ावा देते हैं और किसी भी तरह अपनी धन-संपत्ति को  बढ़ाना चाहते हैं । 

-इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे हर तरह के हथकंडे अपनाते हुए नीचता की किसी भी सीमा तक पहुँच जाते हैं । 

-चोरी, डाका और अपहरण का सहारा लेना तो मामूली बात है, अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए वे हत्या तक कर सकते हैं या करवा सकते हैं । 

-संभवतः सभी महंत उक्त कहानी के पात्र महंत जैसे न होते हों , किंतु एक महंत का चरित्र अन्य महंतों के प्रति भी अविश्वास और संदेह उत्पन्न कर देता है । 

-यह कहानी समाज के प्रति महंतों और धर्मगुरुओं के कर्तव्यों को स्पष्ट करती है तथा कुछ पथभ्रष्ट महंतों को शिक्षा देती है कि वे ईमानदारी से समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करें । 

ग) ' हरिहर काका ' कहानी हमें समाज के कई पहलुओं की ओर ध्यान देने को बाध्य करती है। 

 ' हरिहर काका' जैसे  ही किसी व्यक्ति को क्या अपने आस-पास देखा है ? 

यदि देखा है तो उनकी मदद आप किस प्रकार करेंगे ? अपने शब्दों में लिखिए । 

उत्तर- हरिहर काका कहानी में धार्मिक अंधविश्वास की झलक मिलती है । 

-यह कहानी पारिवारिक रिश्तों की यांत्रिकता व संवेदनहीनता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है । 

-कहानी हमारे टूटते हुए मूल्यों व जनतिकता का परिचय देती है । 

-पहले तो परिवारवालों ने हरिहर काका को खूब आदर-सत्कार दिया, परंतु धीरे-धीरे उनका बर्ताव हरिहर काका के लिए बदलने लगा वे उन्हें बोझ मानकर उनका अपमान करने लगे। स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि उन्होंने हरिहर काका को जान से मारने की भी कोशिश की । 

- उपर्युक्त बातों से यह तो स्पष्ट हो रहा है कि अब समाज में रिश्तों के प्रति लगाव कम होता जा रहा है। लोगों में स्वार्थ भावना बढ़ती जा रही है । 
-इस कहानी में ठाकुरवारी के प्रति लोगों के अंधविश्वास का भी परिचय मिलता है । 
ठाकुरबारी के संतों-महंतों द्वारा हरिहर काका का अपहरण कर उन्हें मारना-पीटना और जबरन उनके अँगूठे का निशान लेना यह स्पष्ट करता है कि साधु-संतों, महंतों के वेश में अपराधी लोग समाज को गुमराह करते हैं ।
 लोगों को धर्म के नाम पर उकसाते हैं, फिर धर्म को ही हथियार बनाकर लूटते हैं, समाज में अंधविश्वास फैलाते हैं ।  हरिहर काका जैसे लोग इसका उदाहरण हैं। 
 आजकल कई बुजुर्ग अपना कोई न होने  घरवालों द्वारा समय न दिए जाने पर अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं।  घरवालों को वे बोझ लगने लगते हैं तो वे उन्हें वृद्ध आश्रमों में भेज देते हैं । 
-हम उन्हें जागरूक करने का प्रयास करते हुए जरूरत पड़ने पर पुलिस या मीडिया की सहायता लेंगे और उनकी मदद करेंगे । 
- समाज में जागरूकता अभियान चलाकर हम इन लोगों की सहायता कर सकते हैं । 

घ)  ठाकुरवारी जैसी धार्मिक संस्थाओं का गाँव के लोगों के प्रति कर्तव्यों तथा उनकी भूमिका पर प्रकाश डालिए । 
उत्तर - ठाकुरबारी जैसी धार्मिक संस्थाओं का गाँव के लोगों के प्रति अपने महत्त्वपूर्ण दायित्व को निभाना  चाहिए । 
-किसी भी धार्मिक संस्था का यह कर्तव्य होता है कि वह समाज व लोगों में फैली स्वार्थ की भावना को दूर करने का प्रयास करे और लोगों में जनकल्याण,परोपकार की भावना विकसित करे । 
-समाज में व्याप्त अनाचार, अराजकता, अन्याय और आपाधापी को दूर कर लोगों में संतोष एवं धैर्य की भावना का प्रसार करें । 
-कहानी 'हरिहर काका' में भी गाँव के लोगों क  ठाकुरबारी पर गहरी आस्था व विश्वास था। 
- गाँव वालों के सभी शुभ कार्यों का आरंभ  ठाकुरबारी से होता था, यदि वे किसी कारणवश दुखी होते थे तो वहीं दुखी मन को आश्रय देने का स्थान भी उन्हें ठाकुर द्वार ही दिखाई देता था । 
-पर आस्था और विश्वास के इस मंदिर ने हरिहर काका जैसे लोगों के साथ विश्वासघात करके, उनके साथ दुर्व्यवहार करके ये दिखा दिया कि बदलते परिवेश के साथ-साथ धार्मिक संस्थाएँ भी भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं । 

-ऐसे में ठाकुरबारी के महंत एवं तथा-कथित साधु समाज के प्रति जन-मानस में विरक्ति और घृणा का भाव ही पैदा होता है क्योंकि समाज उनसे अच्छे और आदर्श आचरण की अपेक्षा करता है। 

-लोभ-लालच और से षड्यंत्रों में फंसे साधु-संतों के इस आचरण से युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

-धार्मिक संस्थाओं और समाज की उच्च आदर्शवादिता से उनका विश्वास उठने लगता है जो किसी भी समाज के लिए हितकारी नहीं है । 

ङ ) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है ?
 आपके मन में इससे ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं के प्रति कैसी धारणा बनती है ?

 उत्तर -महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण करवाना उसकी दबंगई, मौकापरस्ती, लालची स्वभाव, और -अनैतिक कार्य करने के लिए तत्पर रहने वाले व्यक्ति की छवि हमारे सामने उभरती है।
 -जो साधु के वेश में ठग है । ऐसे धूर्त लोगों को देख कर, हमारे मन में ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं के लिए यही धारणा बनती है कि बदलते परिवेश के साथ ये भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं । 
-अब यहाँ जाकर मनुष्य की आत्मा धैर्य, सुख, शांति प्राप्त नहीं करती । वह इस बात से भयभीत रहती है कि कहीं हरिहर काका जैसी स्थिति हमारी भी न हो जाए । 
-लोभ-लालच और षड्यंत्रों में फँसे साधु -संतों के आचरण से युवा पीढ़ी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। 

च)  कहानी के अंत में हरिहर काका ने ज़मीन को लेकर जो निर्णय लिया वह क्या था ? 
वह निर्णय किस प्रकार परिवार के मूल्यों की परिस्थिति पर असर डालता है ?
 हरिहर काका की यह परिस्थिति हमें क्या संदेश देती है  ? 

उत्तर- गाँव की ठाकुरबाड़ी तथा परिवार के सदस्यों से क्रूरतापूर्ण व्यवहार पाकर अंत में हरिहर काका ने ज़मीन को अपने पास ही रखने का निर्णय लिया। 
-उन्होंने अपनी देखभाल करने के लिए एक सेवक रख लिया । 
-उनका यह निर्णय परिवार को सामाजिक तथा आर्थिक प्रतिष्ठा के हनन के रूप में प्रभावित करता है ।
 -परिवार के वृद्ध व्यक्ति के अलग रहने की स्थिति को समाज में, सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता ।
 -परिवार की कलहपूर्ण स्थिति सबके समक्ष आ जाती है तथा गाँव,समाज को यह पता चल जाता है कि इस घर-परिवार में रिश्तों तथा मानवीय भावनाओं का कोई मूल्य नहीं है। 
-आर्थिक रूप से भी परिवार प्रभावित होता है क्योंकि संपत्ति छोटे-छोटे भागों में विभक्त होने लगती है । 
-यह स्थिति हर व्यक्ति को यह संदेश प्रदान करती है कि परिवार जैसी सुदृढ़ संस्था का विघटन सदैव हानिकारक होता है । 
-अतः पारिवारिक मूल्यों की रक्षा करनी आवश्यक है । 
-घर-परिवार में वयोवृद्धों को पर्याप्त सम्मान, सुरक्षा तथा प्रेम मिले तो संबंध तथा संपत्ति दोनों के साथ प्रतिष्ठा भी सुरक्षित रहेगी । 

छ) संयुक्त परिवार में सुखपूर्वक रहने के लिए आप किन-किन जीवन-मूल्यों को आवश्यक मानते हैं और क्यों ?  
उत्तर- संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की विभिन्न परंपराओं का एक महत्त्वपूर्ण अंग सदैव रहा है। 
-ऐसे परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होती है तथा आयु-वर्ग भिन्न-भिन्न होते हैं । 
-संयुक्त परिवार में सुखपूर्वक रहने के लिए आवश्यक है कि सभी सदस्य आपसी प्रेम, स्नेह तथा बड़ों को आदर देना जैसे मूल्यों को सर्वोपरि मानते हों ।
-उनमें एक-दूसरे के सुख-दुख को समझने तथा विपरीत परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ निभाने की प्रवृत्ति होनी चाहिए । 
-घर के वयोवृद्ध व्यक्तियों के प्रति उपेक्षा तथा अनादर जैसी नकारात्मक भावनाएँ नहीं होनी चाहिए । 
-निजी स्वार्थ, धन-लोलुपता तथा अहंकारी मनोवृत्ति को छोड़कर सहनशीलता तथा सहयोग जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाकर ही संयुक्त परिवार में रहा जा सकता है। 
-हरिहर काका का संयुक्त परिवार तभी बिखरा, जब परिवार के सदस्यों को संपत्ति के लालच ने घेर लिया । -स्वार्थवश पहले तो काका की पूरी आवभगत की गई तथा मान-सम्मान भी दिया गया, परंतु जैसे ही भाईयों की -स्वार्थ-सिद्धि के मार्ग में बाधा आई, उन्होंने अपने नकली मुखौटे उतार दिए । 
-सहनशीलता, प्रेम तथा आदर समाप्त हो गए और काका उपेक्षा के शिकार बन गए। जिसका लाभ महंत, नेता आदि ने उठाने की कोशिश की ।

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