HINDI BLOG : भूलने की बीमारी - लघुकथा

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Wednesday, 12 May 2021

भूलने की बीमारी - लघुकथा



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रीमा आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान रहते थी। कारण था उसकी सासू माँ, जो एक हफ्ता पहले तो बिल्कुल भली चंगी थीं, अचानक से सब कुछ भूलने लगी थीं। 
एक  दिन नहा के आईं तो दोबारा नहाने जा रही थी।
खाना खाकर भूल जाती और फिर सबको बोलती कि मुझे अभी तक खाना नहीं दिया। 
सविता को घर के सभी कामों के साथ उनको अकेले संभालना मुश्किल हो रहा था तो पतिदेव से बोली कि माँ के लिए कोई केयरटेकर रख लो, जो उनके आसपास ही रहे।  

कविता को किसी ने मीरा के बारे में बताया कि उसको काम की जरूरत है।
 मीरा अगले दिन से ही काम पर आने लगी। उसकी दस साल की बेटी थी दिव्या जो उसके साथ ही आती थी क्योंकि कोविड की वजह से स्कूल बंद थे तो उसको घर पर अकेले नहीं छोड़ सकती थी। 

 मीरा ने आते ही सासू माँ को अच्छे से संभाल लिया। 
दिव्या अपनी माँ  को काम करते चुपचाप देखते रहती।
 शाम को काम के बाद जब दोनों माँ- बेटी अपनी खोली में वापस गईं तो दिव्या ने मीरा से पूछा, "मम्मी आंटी के घर में जो दादी अम्मा है उनको क्या हुआ है ? 
वह देखने में तो बीमार नहीं लगतीं। 
माँ बोली, "मीरा  उनको भूलने की बीमारी हो गई है जिसमें इंसान देखने में तो बिल्कुल ठीक लगता है लेकिन दिमागी तौर पर बातें भूलने लग जाता है। "

आगे से दिव्या बोली, "माँ क्या भगवान जी को भी भूलने की बीमारी है?" 

"मीरा,  क्यों बिटिया ऐसा क्यों बोल रही हो ?" 
दिव्या, "वह इसलिए माँ. भगवान जी ने हमें इस धरती पर भेज तो दिया लेकिन हमें घर तो देना भूल ही गए और कभी-कभी तो रोटी देना भी भूल ही जाते हैं!" 

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