HINDI BLOG : डमरू,एक घंटे की कीमत,कंजूस- लघु कथाएँ

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Tuesday, 11 May 2021

डमरू,एक घंटे की कीमत,कंजूस- लघु कथाएँ

Top Best Famous Moral Stories In Hindi  

1.डमरू

एक समय की बात है। देवताओं के राजा इंद्र ने सभी कृषकों से किसी कारणवश नाराज हो गए और उन्होंने निर्णय लिया कि वे अब बारह साल तक बारिश नहीं करेंगे। इंद्र ने यह बात  किसानों से कही कि - "अब से बारह वर्षों तक आप अपने खेतों से फसल प्राप्त नहीं कर पाएँगे।"
यह सुनकर सभी किसान चिंतित होकर एक साथ इंद्रदेव से प्रार्थना करने लगे कि वे वर्षा करवाएँ । 
इंद्र ने किसानों से कहा -" अब मैं कुछ नहीं कर सकता पर भगवान शिव यदि  अपना डमरू एक बार बजा देंगे तो वर्षा अवश्य हो सकती है।" 
एक तरफ इंद्र ने किसानों को इसका समाधान तो बता दिया पर दूसरी तरफ  उन्होंने भगवान शिव से मिलकर उनसे यह आग्रह भी किया कि आप किसी भी सूरत में  किसानों की बात से मत मानना ।
सभी किसान मिलकर भगवान शंकर के पास पहुँच गए और उनसे विनती करने लगे परंतु भगवान शिव ने उन्हें कह दिया कि -"अभी नहीं बजेगा डमरू अब तो यह बारह वर्षों बाद ही बजेगा।"
यह सुनकर सभी किसान निराश हो गए उन्होंने सोचा अब खेती करने का कोई लाभ नहीं क्योंकि वर्षा तो होगी नहीं। 
अतः उन किसानों ने यह निर्णय किया कि वे  बारह वर्षों तक खेती नहीं करेंगे। 
उनमें  एक ऐसा  किसान भी था यह सब होने बाद भी खेत में अपना काम करना बंद नहीं किया। 
वह प्रतिदिन खेत में जाता और अपने खेतों की जुताई, निंदाई, गुड़ाई करता और बीज भी बोता। वह सारे का काम पहले की तरह वैसे ही करता रहा।
 उसे खेतों में काम करता देख गाँव के सारे किसान उसका मज़ाक उड़ाने लगे। 
कुछ साल बीतने के बाद गाँव के सभी किसान इस मेहनती किसान से पूछने लगे कि "जब तुम्हें पता है कि बारह साल तक वर्षा नहीं होगी तो अपना समय और ऊर्जा क्यों मेहनत करके व्यर्थ कर रहे हो?" 
परिश्रमी किसान ने उनसे कहा - मैं, भी सब जानता हूँ कि हमारे यहाँ बारह साल  फसल नहीं उगने वाली लेकिन ये काम मैं अपने अभ्यास के लिए कर रहा हूँ।
क्योंकि बारह वर्षों तक अगर कुछ खेती का काम न किया तो शायद मैं,खेती किसानी का काम करना ही भूल जाऊँगा।
मेरे शरीर को काम करने की आदत  नहीं रहेगी और मेरी भी श्रम करने की आदत बिलकुल  छूट जाएगी। 
मैं यह खेती का सारा काम नियमित रूप से रोज़ करता हूँ ताकि जब बारह वर्षों  बाद अगर वर्षा हुई तो समय मुझे अपना यह काम करने में कोई मुश्किल नहीं होगी। 
किसानों की यह तार्किक चर्चा माता पार्वती भी बड़े ध्यान से सुन रही थीं । उन सब की बातें सुनने के बाद माता पार्वती भगवान शिव के पास गई और उनसे बड़े सहज भाव से बोली - 'हे प्रभु! ऐसा न हो कि कहीं आप भी बारह सालों के बाद डमरू बजाना ही भूल जाएँ।"
 यह बात सुन कर भगवान शिव भी चिंतित हो उठे। अब उन्हें यही चिंता सताने लगी और इसी चिंता में डूबे हुए भगवान शिव ने डमरू उठा लिया  और उसे जाँचने के लिए कि वह अभी भी बजता है या नहीं। उन्होंने उसे बजाने का प्रयास किया।
 उनके डमरू बजाने के प्रयास से शिव का डमरू बजना शुरू हो गया और उसके बजते ही वर्षा शुरू हो गई.... वह किसान जो समय से अपने खेत में नियमित रूप प्रतिदिन काम कर रहा था उसके खेत में वर्षा के कारण भरपूर फसल हुई और बाकी किसान जो समु के भरोसे बैठे थे, वे केवल पश्याताप ही करते रह गए।


2.एक घंटे की कीमत
 एक बार एक व्यक्तिऑफिस में काम करने के बाद थका हुआ अपने घर पहुँचा। जैसे ही उसने घर में कदम रखा उसने देखा कि उसका 8 साल का बेटा उसका इंतजार कर रहा था। 
पापा को देखते ही बेटे ने पूछा, "पापा!  क्या आप एक बात बताओगे ?"?"
पापा ने कहा, "हाँ, पूछो ।" 
पापा के हाँ बोलने पर बेटा उनसे कहता है, "पापा आप एक घंटे में कितना पैसा कमाते हो?"
यह सुनते ही वह व्यक्ति गुस्सा हो गया और बेटे को डाँटने लगा। 
बेटे ने कहा कि वह बस जानना चाहता है। इस पर व्यक्ति ने कहा कि करीब सौ  रुपए। 
यह सुनकर बेटे ने फिर सवाल किया कि क्या आप मुझे पचास रुपए दे सकते हैं ?
इस पर उस व्यक्ति का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया और उसने अपने बेटे को डाँटते  हुए कमरे से चले जाने को कहा। 
बेटा रोता हुआ कमरे से चला  गया। 
जब उस व्यक्ति का थोड़ी देर में गुस्सा शांत हुआ तब वह अपने बेटे के पास गया और उसे 50 रुपए देते हुए उससे अपने गुस्से के लिए माफी माँगी। 
बेटा बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत अपनी गुल्लक से पैसे निकाल कर उन्हें गिनना शुरू किया। 
 उस व्यक्ति को बेटे के पास इतने पैसे देखकर हैरानी हुई और उसने बेटे से पूछा कि तुम्हारे पास जब इतने पैसे थे फिर तुमने मुझसे पैसे क्यों माँगे, बताओ ?
 आखिर तुम खरीदना क्या चाहते हो ?
बेटा कहता है कि पापा मेरे पास बहुत कम पैसे थे। 
आप सारे पैसे ले लीजिए और कल अपना एक घंटा मुझे दे दीजिए। 
मैं आपके साथ रहने चाहता हूँ आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ। 


 सार:  काम में इतने व्यस्त न हो जाएँ कि परिवार को आपका समय खरीदना पड़े।


3.कंजूस
एक व्यापारी था। उसका व्यापार बहुतअच्छा था। पैसों की कोई कमी नहीं थी।  उसकी कोई औलाद नहीं थी लेकिन कंजूस बहुत था। 
पत्नी को भी घर चलने के लिए पूरा खर्चा नहीं देता था। पत्नी अगर उसे  तो वह पत्नी से कहता कि "तुम्हें पता है धन की समाज में पूजा होती है। लोग मुझे लाला कहकर पुकारते हैं। मेरी समाज में बहुत इज्ज़त है।"
पत्नी भी उसे बहुत समझाती, कि "कुछ दान-पुण्य भी कर दिया करो। हमारी कोई औलाद भी नहीं है। परमात्मा शायद हमें औलाद दे दे। हम इतने धन का क्या करेंगे ?"
व्यापारी लाला कहता कि औलाद तो पैसा बर्बाद कर देती है।  मैंने अपने कई साथियों को उजड़ते देखा है। 
कई लोग मेरे पास आकर बच्चों की बुराई करते हैं, मैंने उनसे सीख ले ली है।  तू भी यह सीख ले और अच्छी तरह से इस बात को समझ ले। 
 यह सब बातें सुनकर वह चुप रह जाती। इस तरह जब तक पत्नी जिंदा रही, जिंदगी अच्छी चलती रही। 
समय बीतने के साथ अब पत्नी बीमार रहने लग गई। सेठ इलाज के लिए उसे न तो पूरी दवाइयाँ लाता और न ही उसे डॉक्टर की फीस देता। पत्नी का देहांत हो गया। 
अब लाला अकेला रह गया। लोग रिश्तेदार लाला को ताने कसने लगे। 
उसकी सेवा करने वाला कोई नहीं रहा। व्यापार भी ठप्प होना शुरू हो गया। 
वह बस पैसों को ही देखता ही रह गया। जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तो उसने पैसों की तरफ से मुँह फेर लिया। 
लोग हैरान थे कि इतना कंजूस लाला पैसों की तरफ से क्यों मुँह मोड़ रहा है ?
लाला उनसे कहता, "मैं अकेला इतनी धन-दौलत का क्या करूँगा ? मेरा जीवन अर्थहीन है। व्यर्थ जा रहा है।"
उसकी आँखों में आँसू थे। उसकी मृत्यु हो गई। जीवन के अंत में जब कंजूस लाला को पैसे की उपयोगिता समझ आई, तब तक देर बहुत हो चुकी थी। 


1 comment:

If you have any doubt let me know.