HINDI BLOG : लघु कथाएँ- '10 मिनट का धैर्य, चित्रकार

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Tuesday, 11 May 2021

लघु कथाएँ- '10 मिनट का धैर्य, चित्रकार

Top Best Famous Moral Stories In Hindi  
1.धैर्य 
टीचर ने अपनी कक्षा के सभी दस बच्चों को एक बहुत ही अच्छी और खूबसूरत टॉफ़ी दी। 
टॉफ़ी देने के बाद टीचर ने बच्चों से कहा , "बच्चो ! आप सब को इस टॉफी को अभी नहीं खाना है। दस मिनट तक आप अपनी टॉफी नहीं खाओगे। 
यह बात कहकर वो टीचर  क्लास रूम से बाहर चला गया ।"
कुछ समय के लिए पूरी कक्षा में पूरा सन्नाटा छा गया, सभी बच्चे अपने सामने पड़ी उस टॉफ़ी को देख रहे थे और जैसे-जैसे पल गुज़रते जा रहे थे, उन बच्चों को खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। 
दस मिनट बीतने के बाद टीचर वापस अपनी क्लास रूम में आ गए और उन्होंने समीक्षा की। 
पूरी कक्षा में केवल सात बच्चे थे, जिन्होंने अपनी टॉफी को उठाया नहीं था। उन बच्चों की टाफियाँ वैसी की वैसी वहीं पड़ी थीं। 
मगर कक्षा के बाकी सभी बच्चे अपनी-अपनी टॉफ़ी को खाने के बाद उसके स्वाद व रंग के बारे में अपनी राय दे रहे थे।   
 टीचर ने कक्षा में आकर देखा कि सात बच्चों ने अपनी टॉफी को छुआ भी नहीं है।   उन्होंने अपनी डायरी निकलकर उन सात बच्चों के नाम अपनी डायरी में लिख लिए  और नाम लिखने के बाद उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया ।

कुछ वर्षों के बाद प्रोफेसर ने अपनी वही डायरी खोली जिसमें उन्होंने उन बच्चों के नाम लिखे थे। उन्होंने उन  सात बच्चों के नाम निकाल कर उनके बारे में खोज करना शुरू कर दिया । 
काफ़ी समय और मेहनत के बाद,  प्रोफेसर को पता चला कि उन सात बच्चों ने अपने जीवन में कई सफलताओं को हासिल किया है और अपनी-अपनी फील्ड में सबसे वे सब बहुत सफल हैं। 
यह शिक्षक थे - 'प्रोफेसर वाल्टर मशाल'।
प्रोफेसर वाल्टर ने अपनी बाकी कक्षा के छात्रों की भी समीक्षा की और उन्हें यह पता चला कि उनमें से अधिकतर एक आम व साधारण जीवन जी रहे थे, परंतु उसी श्रेणी में कुछ  ऐसे भी लोग थे जो बहुत ही कठिन सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रहे थे। 

इस  शोध का परिणाम प्रोफेसर ने जो निकाला, वह यह था।

अपने अंदर केवल दस मिनट का तक का धैर्य जो व्यक्ति नहीं रख पाता, जीवन में वह कुछ नहीं कर पाता और न ही जीवन में कभी आगे बढ़ पाता है । वह जीवन में केवल असफलता का सामना करते है और सफल नहीं हो पाते।”


उस टीचर के इस शोध को पूरी दुनिया में बहुत शोहरत मिली और इस शोध का  नाम "मार्श मेलो थ्योरी" रखा गया  क्योंकि प्रोफेसर वाल्टर ने बच्चों को जो टॉफ़ी दी थी उस टॉफी का नाम "मार्श मेलो" ही था। यह टॉफी फोम की तरह बहुत ही नरम थी।

इस थ्योरी यह बताती है कि दुनिया के सबसे सफल लोगों में बहुत सारे गुणों के साथ एक प्रमुख गुण 'धैर्य' भी पाया जाता है, क्योंकि यह वह ख़ूबी है जो इंसान को  बर्दाश्त की ताक़त देती है। 
यही ख़ूबी उस ताकत को और भी बढ़ाती है,जिसकी बदौलत एक आदमी अपनी कठिन परिस्थितियों में निराश नहीं होता और इन्हीं खूबियों से वह एक असाधारण व्यक्तित्व बन जाता है।

धैर्य कठिन परिस्थितियों में वह स्थिति है जो एक व्यक्ति की सहनशीलता की अवस्था है जो उस व्यक्ति के उस व्यक्ति के व्यवहार को क्रोध और खीझ जैसी नकारात्मकता से बचाती है। 
लंबे समय तक समस्याओं से घिरे होने के कारण व्यक्ति जो दबाव या तनाव अनुभव करने लगता है उससे उसमें सहनशीलता का गुण विकसित होता है। धैर्य का एक उदाहरण है समस्याओं को आसानी से सहन कर पाने की क्षमता।  
यही मनुष्य की सबसे बड़ी चरित्रदृढ़ता का परिचय भी है।

व्यक्ति को धैर्य के बिना धन की प्राप्ति नहीं होती, उसे वीरता के बिना विजय की प्राप्ति नहीं होती, उसे ज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती और साथ ही उसे दान के बिना यश भी प्राप्त नहीं होता है।

2. महान चित्रकार  
 चित्रकला ही उसकी पहचान थी और चित्रकारी मुहाल का शौक था। वह जब बहुत छोटा था तभी से चित्रकारी कर रहा था। 
चित्रकारी करना मेरा शौक है, यह मैं कोई सम्मान पाने की इच्छा नहीं करता हूँ -मुहाल का यह कहना था। उसने जीवनभर कहीं कोई ओर कार्य भी नहीं किया। कहीं किसी के पास नौकरी भी नहीं की। वह ताउम्र चित्रकार ही रहा और चित्रकारी ही करता रहा। 
अनेक प्रकृति चित्रों, फूलों में , विभिन्न व्यक्तित्व के चित्रों में वह अपनी चित्रकारी से अजीब व खूबसूरत सौंदर्य भर देता था।
उसने कभी लालच नहीं किया और जीवनभर दरिद्रता के साये में ख़ामोशी से जीवन जीता रहा। 
चित्रकारी के माध्यम से वह बिना किसी स्वार्थ के चित्रकला की सेवा करता रहा। उसका यही प्रयास और कोशिश रहती कि वह छोटे-छोटे बच्चों में चित्रकारी के माध्यम से प्रेम-भाव जगाए। 
उसके प्रयास से कई बच्चों ने चित्रकला में नाम भी कमाया। 
मुहाल कहता था कि निःस्वार्थ भाव की कला है चित्रकारी । चित्रकारी एक बाजारी वस्तु नहीं है न ही इसका प्रयोग धन या सम्मान पाने के लिए करना चाहिए। चित्रकारी एक आभूषण है। यह हृदय की गहराई का संगीत है। "
जीवन की अंतिम क्षणों तक यही उसका लक्ष्य रहा। 
उसके दोस्तों ने उसकी चित्रकला का बहुत लाभ उठाने का प्रयास किया और  कई प्रशंसा पत्र चित्रकला में प्राप्त भी किए। 
 वह हँस कर कहता कि छोटी-छोटी चित्रकारी के लिए आज सम्मान पाने की प्रतियोगिता लगी हुई है। 
कोई भी क्षेत्र हो चाहे साहित्य क्षेत्र हो अथवा चित्रकला , लोग सम्मान पाते हैं और दिखावे के लिए उसे वापस भी करते हैं।
उसकी मृत्यु अचानक हृदय गतिरोध से हो गई। पूरे जीवनकाल में किसी ने उसे  पूछा तक नहीं कि वह एक कलाकार है।परंतु मृत्यु के बाद अब उसे देश का महान चित्रकार कहा जाने लगा। 
अपना सारा जीवन चित्रकारी में लगा दिया। वह सही अर्थों में एक सच्चा कलाकार था। उसको जीवनकल में जीवित रहते हुए कभी कोई सम्मान नहीं मिला परंतु मृत्यु के बाद 'महान चित्रकार' की  उपाधि से उसे सम्मानित किया गया।

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