कल वाली बात
एक बार जंगल का राजा शेर इधर-उधर घूम रहा था। घूमते-घूमते उसे एक सेब दिखाई दिया।
रसीला सेब शेर ने बिना धोए सेब चखा। रोज मांस खाने वाले शेर को सेब अच्छा नहीं लगा। शेर ने सोचा “मैं सेब नहीं खाता। लालच के कारण मैंने सेब बिना धोए खा लिया। अगर किसी ने देख लिया होता, तो वह सबको बता देता । सब तो यहाँ सोचते कि राजा शेर कितना गंदा है। बिना साफ़ किए कुछ भी खा लेता है।" तभी शेर ने देखा कि सुरीली कोयल ऊपर पेड़ पर बैठी मुसकुरा रही है। शेर को लगा कि कोयल ने जरूर उसे गंदा सेब खाते देखा है। शेर चुपचाप अपनी गुफा में आ गया।
अगले दिन जंगल में उत्सव था। वहाँ सुरीली कोयल भी आई थी। सबने कोयल से गाने के लिए कहा। कोयल ने गाना शुरू किया -
"राजा कल वाली बात बता दूँगी।
राजा चुप रहने के बदले अँगूठी लूँगी ।"
राजा ने डरकर अपनी अँगूठी कोयल को दे दी। सुरीली तो कोई बात जानती ही नहीं थी। सुरीली ने सोचा, राजा को गाना बहुत अच्छा लगा। वह आगे गाने लगी-
"राजा कल वाली बात बता दूँगी।
चुप रहने के बदले हार लूँगी।"
शेर ने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपने गले का हार भी सुरीली को दे दिया। सुरीली यही समझ रही थी कि राजा को गाना बहुत अच्छा लगा रहा है। सुरीली ने आगे गाना शुरू किया-
"राजा कल वाली बात बता दूँगी।
चुप रहने के बदले मुकुट लूँगी।"
कोयल का इतना गाना सुनते ही शेर को गुस्सा आ गया। वह बोला- “बता दो। क्या बताओगी? सेब ही तो खाया था बिना धोए। गलती हो गई। मुझे पता है, बिना धोए फल नहीं खाते।"
शेर को एकदम इतना गुस्सा होते देख सुरीली को कुछ भी समझ नहीं आया। बाद में पूरी बात समझकर सभी जानवर हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।
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