HINDI BLOG : अगर नाक न होती QUESTION ANSWERS

कहानी 'आप जीत सकते हैं'

'आप जीत सकते हैं एक भिखारी पेंसिलों से भरा कटोरा लेकर ट्रेन स्टेशन पर बैठा था। एक युवा कार्यकारी अधिकारी वहाँ से गुजरा और उसने कटोरे में...

Thursday, 22 June 2023

अगर नाक न होती QUESTION ANSWERS




मौखिक प्रश्न

(क) हमारे शरीर का कौन-सा अंग हमारी इज्जत का प्रतीक है? 
उत्तर- हमारे शरीर का अंग नाक, हमारी इज़्ज़त का प्रतीक है।
(ख) बिना किसी हथियार के कौन-सा अंग कट जाता है?
उत्तर- नाक, हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जो बिना किसी हथियार के ही कट जाता है।
(ग) लेखक ने किस मनोवैज्ञानिक सत्य का उल्लेख किया है?
उत्तर- लेखक ने एक मनोवैज्ञानिक सत्य का उल्लेख करते हुए कहा है कि जिसकी नाक कट जाती है, यानी जो खुद नकटे होते हैं, वे दूसरों को भी नकटा देखना चाहते हैं। 
(घ) लेखक ने नाक की सहेली किसे बताया है?
उत्तर- लेखक ने छींक को नाक की सहेली बताया है।
(ङ) उपन्यासों और कहानियों में सुंदर नाक को क्या कहा गया है? 
उत्तर- उपन्यासों और कहानियों में सुंदर नाक को "सुतवीं" नाक कहा जाता है।
(च) नाक आँखों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर- लेखक के अनुसार नाक ही बीच में पड़कर आँखों को लड़ने से रोकती है, अन्यथा आदमी आखों से ही हाथ धो बैठता। इसके अतिरिक्त नाक हो चश्मे का अच्छा खासा स्टैंड है।


लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) यदि नाक न होती, तो आदमी का जीवन कैसा होता?
उत्तर- यदि नाक न होती, तो आदमी का जीवन कठिन और नीरस हो जाता। नाक के अभाव में खुशबू और बदबू में कोई अंतर न रह जाता तथा चंदन, इत्र इत्यादि सब मानी हो जाते। 
(ख) नाक बचाने के लिए आदमी वरदीधारियों, आयकर अधिकारियों के साथ कैसा व्यवहार करता है?
उत्तर-  नाक बचाने के लिए ही आदमी वरदीधारियों, आयकर अधिकारियों की पत्रम् पुष्पम् के साथ पूजा करते हैं ।
(ग) नाक कब बुरी लगती है ?
उत्तर- जुकाम हो जाने पर नाक बहुत बुरी लगती है।
(घ) करुण रस में बरबस बीभत्स रस कैसे आ टपकता है?
उत्तर- जब रोते समय आँखों से आँसू निकलने के साथ ही नाक भी आँखों का साथ निभाती है और उसमें से पानी निकलने लगता है, तो इस करुण रस में बरबस बीभत्स रस आ टपकता है।
(ङ) चश्मे की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
उत्तर- वर्तमान में लोगों की नजरों में फर्क आता जा रहा है इसीलिए लोगों को चश्मे की जरूरत पड़ती है।
(च) नाक के कारण किन दो महान ग्रंथों की रचना हुई?
उत्तर- नाक के कारण जिन दो महान ग्रंथों की रचना हुई है, वे हैं- रामायण और महाभारत। 

दीर्घ उत्तरीय -

(क) नाक नीची होने के डर से लोग कैसा आचरण करते हैं? 
उत्तर- नाक नीची होने के डर से लोग अपने स्तर को ऊँचा दिखाने का आचरण करते हैं। चाहें उनकी सामान खरीदने की क्षमता न हो, पर वे उधार या किस्त पर ही टी०वी०, फ्रिज आदि ले आते हैं। जन्म-मृत्यु पर लोगों को बड़ी-बड़ी दावतें खिलाते हैं, बच्चों को ऊँचे विद्यालयों में पढ़ाते हैं। नाक ऊँची रहे. इसके लिए वे कुछ भी कर गुजरते हैं।
(ख) नाक का रहना बहुत जरूरी क्यों है?
उत्तर-  नाक का रहना बहुत जरूरी है, चाहे जिस बनावट की हो, क्योंकि जिसकी नाक न हो तो उसे कोई देखना भी पसंद नहीं करता, बल्कि देखने से लोग डर जाते हैं। समान में प्रतिष्ठा कम हो जाती है और लोग खिल्ली उड़ाने लगते हैं क्योंकि नाक हमारी प्रतिष्ठा से जुड़ी है। 
(ग) मध्यकालीन काव्य में नायिकाओं की नाक के लिए कौन-कौन सी उपमाएँ दी गईं हैं? 
उत्तर- मध्यकालीन काव्य में नायिकाओं की नाक के लिए कई उपमाएँ दी गई हैं, जैसे- चंपे की कली, तिल के सुगंधित फूल से निर्मित तलवार की धार से भी बढ़कर तथा तोते को चोंच के समान नुकीली जिस वस्तु में सुंदरता, तीखापन आदि दृष्टिगत हुआ है उसी से नाक की उपमा दे दी गई है।
(घ) नाक हमें बीमारियों से किस प्रकार बचाती है?
उत्तर-  नाक में उगे बाल छन्ने और झाड़ का काम करते हैं। वातावरण में व्याप्त प्रदूषण को फेफड़ों तक जाने से नाक के बाल रोकते हैं यह हमें ठंड लगने से बचाती है। नाक बाहर की ठंडी हवा को गरम करके अंदर पहुँचाती है। इस प्रकार नाक हमें बीमारियों से बचाती है। 
(ङ) 'रामायण' और 'महाभारत' की कथा में नाक का क्या महत्त्व बताया गया है?
उत्तर- सामाजिक दृष्टिकोण से नाक शरीर का महत्त्वपूर्ण अंग है। रामायण और महाभारत में इसका महत्त्व स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है सूर्पनखा की नाक कटने के प्रतिशोधस्वरूप सीता जी का हरण हुआ उस घटना के कारण ही रावण मारा गया और 'रामायण' की रचना हुई। इसी प्रकार महाभारत युद्ध का आधार भी द्रौपदी की नाक ही थी, जिसके कारण इतना भयंकर युद्ध हुआ।
(च) "नाक कटवाने से नाक बचाना ज़्यादा ज़रूरी है।" इस पर सोचकर अपने विचार लिखिए।
उत्तर-  नाक कटवाने से नाक बचाना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि नाक बची रहने से व्यक्ति सुंदर दिखने के साथ ही समाज में इज्जत से रह सकता है। अनेक बीमारियों से हमारी रक्षा होती है। नाक सम्मान और प्रतिष्ठा की प्रतीक है, जिसके बिना जीवन व्यर्थ है। उसके अभाव में व्यक्ति किसी को मुँह दिखाने के योग्य नहीं रहता।

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