पुनरुत्थान - ओ. हेनरी
अपराध की दुनिया में जिम्मी वैलण्टाइन एक जाना पहचाना नाम था। कितनी भी जटिल तिजोरियाँ हों, कोष अलमारियाँ हों जिम्मी के हाथ घुमाते ही सभी ताले फूल की भाँति झड़ जाते थे। भाँति-भाँति की दुर्भेदद्य तिजोरियाँ जिनका किसी भी प्रकार न खुलने का दावा था, जिम्मी के लिए उन्हें भी खोलना बाएँ हाथ का खेल था। मक्खन की भाँति पिघलकर तिजोरी का ताला उसके हाथ में आ जाता था। चारों ओर तहलका मचा था। जिम्मी की हर सफलता उसका उत्साह और बढ़ा देती थी । पकड़े जाने पर जिम्मी को सजा अवश्य सुनाई जाती किंतु जिम्मी वैलण्टाइन जैसा इंसान जिसे जेल से छुड़ाने के लिए उसके अनेक मित्र प्रयत्नशील हों, जेल में 2-3 मास से अधिक नहीं रुक सकता था। इस बार भी गर्वनर ने समय से पूर्व ही उसकी सजा माफ कर दी। जेल अधीक्षक ने उसे बहुत समझाया - "जिम्मी, तुम एक बहुत ही नेक व्यक्ति हो । परिश्रमी भी बहुत हो। अब यह तिजोरियाँ खोलना और तोड़ना भूलकर कोई ढंग का काम करो। अच्छे इंसान बनकर जीवन व्यतीत करो।"
जिम्मी के चेहरे पर एक अचरज भरी मुस्कान खेल उठी-"क्या कह रहे हो? मैंने तो कभी किसी तिजोरी को नहीं हुआ।"
वार्डन को हँसी आ गई। “ठीक है जिम्मी मेरी सलाह पर ध्यान देना। तुम्हें किस बात की कमी है पूरा जीवन पड़ा है, सुख भोगने के लिए। शरीफ इंसान बन कर जिओ।" जिम्मी ने कोई उत्तर नहीं दिया। केवल मुस्कुराता रहा।
अगले दिन सुबह-सवेरे सवा सात बजे जिम्मी वार्डन के बाहर वाले दफ्तर में आ खड़ा हुआ। उसने अपना बढ़िया सूट पहन रखा था और उसके पास तैयार कपड़े और एक जोड़ी जूते भी थे जो उसे सरकार की ओर से प्राप्त हुए थे।
क्लर्क ने एक रेल का टिकट और पाँच डॉलर उसके हवाले कर दिए जिससे वह पुनः एक समृद्ध नागरिक बन सके। जिम्मी ने सब कुछ संभाला। वह तीन घंटे की यात्रा के पश्चात् राज्य की सीमा से बाहर एक छोटे से शहर में पहुँचा तथा माइक डोलन के जलपानगृह में प्रविष्ट हुआ। माइक उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। “जिम्मी मुझे बहुत दुख है कि इस बार थोड़ा समय अधिक लग गया। तुम्हें हम जेल से जल्दी नहीं छुड़ा सके।"
“चलो ठीक है। मेरी चाबियाँ दो।" जिम्मी ने माइक से चाबियाँ लीं और सीढ़ियाँ चढ़कर अपने कमरे में पहुँच गया। उसने धूल से भरा एक सूटकेस बाहर खींचकर निकाला और उसे साफ करने लगा। उसे खोलकर देखा और मन ही मन अति प्रसन्न हुआ। उसके पास सेंध लगाने का पूरा सेट था। विशेष तापक्रम पर ढले इस्पात से बने नवीनतम प्रकार के बर्मे, कीलें, पंचू, वेणे, गिरगिट आदि । कुछ अनोखी वस्तुएँ जिम्मी के स्वयं के आविष्कार थे। उसे इन सब वस्तुओं पर बहुत गर्व था। उसने इन पर 900 डॉलर व्यय किए थे।
थोड़ी देर के उपरांत जिम्मी अपना सूटकेस लेकर वहाँ से चल पड़ा। जिम्मी वैलण्टाइन 9762 की रिहाई के लगभग एक सप्ताह पश्चात् स्किमाण्ड इण्डियाना में काफी सफाई के साथ तिजोरी टूटने की घटना हुई। जिसके अपराधी का कुछ पता नहीं चल रहा था। दो सप्ताह पश्चात् लोगसपोर्ट में एक दुर्भेदय तिजोरी इस प्रकार खोल ली गईं मानो केक उठा लिया गया हो। पन्द्रह सौ डॉलर के नोट उसमें से निकाल लिए गए। कुछ समय पश्चात् जैफरसन सिटी के एक बैंक की पुरानी तिजोरी की दराजों से पाँच हजार डॉलर के नोट गायब हो गए। चोर पकड़ने में अत्यधिक सतर्कता की आवश्यकता थी अतः जासूस बैन प्राइस को जो इस प्रकार की गुत्थियाँ सुलझाने में माहिर था। इस मामले को सुलझाने के लिए नियुक्त किया गया। बैन प्राइस ने बारीकियों से चोरियों की जाँच की और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि "सब चोरियों में साम्य है। लगता है यह एक ही व्यक्ति का काम है।
इन सबके पीछे जिम्मी वैलण्टाइन का हाथ लगता है। चैन प्राइस अब तक जिम्मी वैलण्टाइन के हथकण्डों से भली भाँति परिचित हो चुका था। दूर-दूर तक धावा मारना; जल्दी भाग निकलना; संगठन नहीं बनाना; संघांत समाज में घूमना, इन ढंगों से किसी भी प्रतिकार को चकमा देने में बैलण्टाइन बहुत प्रसिद्ध था।
उस दिन जिम्मी वैलण्टाइन अपने सूटकेस के साथ गुलामों के प्रदेश अरकांसास के इलमोर नगर में एक होटल की ओर जा रहा था। उसी समय अचानक एक युवती उसके पास से निकलकर "इलमोर बैंक" में चली गई। जिम्मी वैलण्टाइन की दृष्टि उससे चार हुई। वह जाने क्यों सम्मोहित सा होने लगा। युवती ने शर्मा कर नजरें झुका लीं। वैलण्टाइन के व्यक्तित्व से वह भी प्रभावित हुए बिना न रह सकी।
पूछताछ करने पर जिम्मी को ज्ञात हुआ कि वह युवती अन्नाबेल एडम्स है, बैंक के मालिक की बेटी। तत्पश्चात् हुआ जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। कठोर जिम्मी वेलस्टाइन में जाने कहाँ निःशेष हो गया और उसके स्थान पर जन्मा मिस्टर राल्फ स्पेंसर जो अत्यंत ही भावुक, संवेदनशील तथा विनम्र था। इन गुणों के कारण इलमोर में वह बहुत प्रसिद्ध हो गया। स्पेंसर ने जूतों का स्टोर खोल लिया। सामाजिक क्षेत्र में वह अत्यंत सफल रहा। उसके वहाँ कई मित्र बन गए तथा वह कुमारी अन्नाबेल एडम्स और उसके परिवार के लोगों से शीघ्र ही घुल-मिल गया।
वर्ष के अंत तक समाज में राल्फ स्पेंसर की पर्याप्त प्रतिष्ठा हो गई। जूतों का स्टोर चल निकला था अन्नाबेल से उसकी सगाई हो चुकी थी तथा दो सप्ताह में शादी होने वाली थी। जिम्मी वेलेण्टाइन का पूर्ण रूप से कायाकल्प हो चुका था। उसने अपना पुराना धंधा त्याग दिया था और ईमानदारी के साथ जीविकोपार्जन कर रहा था। उसने अपने एक मित्र को सारा हाल पत्र में लिखकर भेज दिया तथा अपना सूटकेस तथा औजारों का सेट भी उसी को देने की इच्छा प्रकट की। अचानक उसी दिन बैन प्राइस जासूस जिम्मी को ढूँढता हुआ इलमोर आ पहुँचा। उसने अच्छी प्रकार पूछताछ कर राल्फ स्पेंसर को देख भी लिया। वह जिम्मी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखने लगा। राल्फ, अन्नाबेल के परिवार के सदस्यों से भली भाँति परिचित हो चुका था। अन्नाबेल की विवाहित बहन तथा उसके बच्चों के साथ वह खूब घुल-मिल गया था।
इलमोर बैंक में एक नई तिजोरी और तहखाना बनवाया गया था। उसके मालिक मिस्टर एडम्स उत्साहपूर्वक सभी लोगों से बैंक का यह नया करिश्मा देखने का अनुरोध करते थे। तहखाना छोटा था मगर उसका दरवाजा तीन ठोस फौलाद के पेचों से कसा हुआ था जो एक साथ बंद होते थे। उसका एक ही हत्था था और उसमें समय-लॉक लगा था। सभी लोग इस पर बातचीत में व्यस्त हो गए। तभी चैन प्राइस बाहर आकर खड़ा हो गया। उसका पूरा ध्यान जिम्मी पर केन्द्रित था।
अचानक एक चीख ने सबके रोंगटे खड़े कर दिए। देखते-ही-देखते वहाँ खलबली मच गई। एक नौ वर्षीय बच्ची 'में' ने खेल ही खेल में अपनी छोटी बहन 'अगाथा' को तहखाने के अंदर बंद कर दिया था। उसने कुण्डा लगाकर अक्षरों वाले खटके को वैसे ही घुमा दिया जैसे मिस्टर एडम्स ने दिखाया था।
बूढ़ा बैंक मालिक कराह रहा था, "यह मैंने क्या किया? अब यह दरवाजा नहीं खुल सकेगा। न तो घड़ी ही मिलाई गई थी और न ताले के अक्षरों को ही जमाया गया था।"
अगाथा की माँ चीखे जा रही थी। रो-रोकर उसका बुरा हाल था। "हाय। कोई मेरी बच्ची को निकालो। वह मर जाएगी। उसका दम वहाँ घुट जाएगा। अरे! कोई कुछ करता क्यों नहीं ?"
तभी अन्नाबेल की प्यार भरी नजर जिम्मी पर पड़ी। उसकी आँखों में व्यथा और याचना के भाव थे। "कुछ करो न राल्फ ?" अन्नाबेल ने कहा।
राल्फ ने अपने होठों पर एक विचित्र मुस्कान तथा आँखों में समस्त प्यार भरकर अन्नाबेल की ओर देखा "अन्ना, वह खूबसूरत गुलाब का फूल ज़रा मुझे दे दो।"
अन्नाबेल ने अपने कोट में लगे गुलाब के फूल को निकालकर उसके हाथ में रख दिया। जिम्मी ने फूल को होठों से लगाया और फिर जेब में डाल लिया? उसने कोट उतारा, कमीज की बाहे ऊपर चढ़ाई और पुनः जिम्मी बन बैठा। सबको वहाँ से हटाकर उसने अपना सूटकेस खोला और इस्पात के दरवाजे को निर्विरोध काटने लगा। दस मिनट में ही उसने चिटखनी खिसकाकर दरवाजा खोल दिया। बेहोश होती अगाथा अपनी माँ की बाँहों में थी। जिम्मी वैलण्टाइन ने अपना कोट पहना और मुख्य द्वार की ओर बढ़ा। कोई परिचित स्वर पीछे से पुकार रहा था “राल्फ" किंतु वह नहीं रुका।
दरवाजे पर उसकी मुलाकात बैन प्राइस से हुई, "आखिर तुमने मुझे ढूँढ ही लिया बैन ? चलो। अब कुछ फर्क नहीं पड़ता। सब खेल खत्म हो गया।"
किंतु बैन प्राइस के हृदय का मानव जाग उठा था। जिम्मी लाइन के 'पुनरुत्थान' को रोकने वाला भला वह कौन?
वह जिम्मी की ओर कुछ हैरानी से देखता हुआ बोला, "मेरे विचार से आप से कहीं कुछ भूल हुई है। मैं तो आपको नहीं पहचानता। आप उस और जाइए। कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।" और बैन प्राइस मुड़कर सड़क के दूसरी ओर चल दिया।
-ओ. हेनरी
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